दुनियाभर में कहर मचाने के बाद कोरोना भारत में भी पांव पसार चुका है. जिसके बाद से यहां लॉकडाउन जारी है. सच्चाई यह भी है कि लोगों की लापरवाही के वजह से लॉकडाउन के दौरान भी कई मामले यहां बढ़ चुके हैं. हालांकि, सरकार ने समय रहते लॉकडाउन जारी कर दिया था, नहीं तो भारत अभी अमेरिका होता. जिस तरह अमेरिका का लॉकडाउन में विलंब उसे भारी पड़ा, उसी तरह भारत का भी हाल हो सकता था.
हालांकि, इन सबके बीच एक अच्छी खबर यह भी है कि भारत के कई हिस्सों का मौसम सुहावना हो गया है. पार्यावरणविदों की मानें तो इस बार गर्मी कम पड़ सकती है.
दरअसल, लॉकडाउन के वजह से देश में वाहनों की रफ्तार थम सी गई है. जिसका सकारत्मक प्रभाव झारखंड समेत देशभर के पार्यावरण में देखने को मिल रहा है.
आपको बता दें कि दिल्ली की वायु में प्रदूषण की मात्रा काफी बढ़ गयी थी. यहां आम दिनों में भी मास्क की बिक्री जारी थी. स्थिति इतनी भयावह हो गयी थी की पूरा दिन शहर प्रदूषित दिखता था. ऑड ईवेन के अनुसार गाड़ियों को चलवाने का आदेश दिल्ली सरकार ने दे रखा था. जबकि अब प्रदूषण की मात्रा में करीब 20-25 प्रतिशत की कमी आयी है.
झारखंड के जिलों का औसतन एयर क्वालिटी इंडेक्स 70 से 75 के बीच आ गया है, जो पिछले साल अप्रैल में 90 से 95 था.
प्रदूषण कम होने के पीछे सबसा कारण है गाड़ियों का कम चलना. प्राइवेट वाहन भी लगभग बंद हो चुके हैं. जिसके वजह से जहरीली गैसों का उत्सर्जन न के बराबर हो रहा है. फैक्टरियां भी बंद पड़ी हुई है जिससे नदियां भी प्रदूषित होने से बच रही हैं. वाहनों और कारखानों से निकलने वाली कार्बनडाइऑक्साइड जैसी गैसों के कम होने से मौसम साफ रहता है.
डीजल और पेट्रोल की मांग भी पहले की अपेक्षा लगभग न के बराबर ही है. रांची जैसे जिलों में पहले प्रतिदिन एक पेट्रोल पंप से 300-400 कीलोलीटर से अधिक डीजल और 400-500 कीलोलीटर पेट्रोल की बिक्री हो रही थी, जो घट कर 16-20 लीटर डीजल और 30-50 लीटर पेट्रोल पर आ गया है.
वहीं, पूरे झारखंड की औसतन एयर क्वालिटी इंडेक्स की बात करें तो पहले 150 के उपर ही रहता था जो अब घट कर 50-70 पर आ गया है.
विशेषज्ञों की मानें तो अगर कुछ महीनों तक ऐसा ही रहा तो मौसम चक्र पहले की तरह हो जाएगा. समय पर बारिश का मौसम आएगा, समय पर तापमान चढ़ेगा और समय पर ही ठंड जाएगी.