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लॉकडाउन में मुफ्ती अब्दुल जलील अपील : गुनाहों से तौबा करने वाली रात शब-ए-बराअत, घरों में ही करें इबादत

शब-ए-बराअत बेहद अहम रात है

हजारीबाग : शब-ए-बराअत बेहद अहम रात है. किसी सूरत से भी इसे गफलत में न गुजारा जाये. इस रात में खुसूसियत के साथ रहमतों की बारिश होती है. इस मुबारक रात में अल्लाह लोगों को जहन्नुम से आजाद फरमाता है. छह आदमियों की इस रात भी बख्शिश नहीं होगी. शराबी, मां बाप को तकलीफ पहुंचाने वाला, बलात्कारी, कतआ-ए-तअल्लुक करने वाला, तस्वीर बनाने वाला और चुगलखोर.

किसी गुनाह में शामिल हैं, तो शब-ए-बराअत के आने से पहले बल्कि आज और अभी सच्ची तौबा कर लें. रसूले अकरम, नूरे मुजस्सम फरमाते हैं, जो शख्स शाबान की 15 तारीख 10 अप्रैल को रोजा रखेगा, उसे जहन्नुम की आग न छुएगी. एक और हदीस है कि हजरत रसूल फरमाते हैं कि जिसने शाबान में एक दिन रोजा रखा, उसको मेरी शफाअत हासिल होगी. हजरते सय्यिदुना आइशा सिद्दीका फरमाती हैं. ताजदार रिसालत पूरे शाबान के रोजे रखा करते थे.

जामा मस्जिद के इमाम ने कहा कि जामा मस्जिद हजारीबाग के इमाम मुफ्ती अब्दुल जलील ने कहा कि शब ए बराअत की रात को अपनी खाताओं को माफ करने के लिए घरों में रहकर इबादत में गुजारने और अल्लाह से देश को कोरोना महामारी के अजाब से निजात के लिए दुआ करने की अपील की. सभी मस्जिदों में लॉकडाउन का पालन बेहतर ढंग से हो रहा है.

शब-ए-बराअत में ऐसे पढ़ें नमाज : इमाम

शब-ए-बराअत की नवाफिल नमाज : दो रिकअत नफिल तहियातुल वजू पढ़िये. हर रिकअत में अलहमद के बाद एक बार आरातलकुर्सी, तीन बार कुलहोवल्ला. इस नमाज से हर कतरा पानी के बदले सात सौ रेकअत नफिल का सवाब मिलेगा.

12 रिकअत नमाज : हर रिकअत में अलहमदोलिल्ला के बाद दस बार कुल्हो अवल्ला, बारह रिकअत पढ़ने के बाद दस बार कलाम तौहिद, दस बार कलमा तमजीद दस बार दुरूद शरीफ पढ़ें.

14 रिकअत नमाज : दो-दो रिकअत करके हर रिकअत में अलहमद के बाद जो सूरह चाहे पढ़ें. जो भी दुआ मांगे कबूल होगी.

8 रिकअत नमाज, एक सलाम से : हर रिकअत में अलहमद के बाद 11 बार कुल्हो अवल्ला. इसका सवाब खातून जन्नत हजरत फातिमा जोहरा रजि. को नजर करें. हजरत फातिमा फरमाते हैं कि नमाज पढ़ने वालों की रफअत किये बिना जन्नत में कदम न रखूंगी.

2 रिकअत नमाज : हर रिकअत में अलहमद के बाद एक बार आयतलकुर्सी, पंद्रह बार कुलहोवल्ला, सलाम के बाद सौ बार दरूद शरीफ पढ़ें. इस नमाज के पढ़ने से रोजी में बरकत होगी. रंज व गम से निजात. गुनाहों की बख्शीस होगी.

8 रिकअत नमाज : हर रिकअत में अलहमदों के बाद पांच बार कुलहोअल्लाह पढ़ें. इससे गुनाहों से पाक साफ होगा. दुआएं कबूल होगी. सवाब-ए-अजीम होगा.

4 रिकअत नमाज, एक सलाम से : हर रिकअत में अलहमद के बाद पचास बार कुल्होवल्ला पढ़ें. इस नमाज के पढ़ने से गुनाहों से ऐसा पाक हो जायेंगे. जैसे अभी मां के पेट से पैदा हुआ हो.

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