पटना : प्रदेश में चाइल्ड केयर सेंटर, चाइल्ड ऑब्जर्वेशन होम और दूसरे बाल संरक्षण गृहों में रह रहे सैकड़ों बच्चों को घर की याद आ रही है. तमाम वजहों से वे पहले ही सरकारी आब्जर्वेशन सेंटर पर रहना पड़ रहा है. लॉक डाउन के दौरान उनके माता-पिता मिलने नहीं आ पा रहे हैं. उनकी हताशा बढ़ गयी है़ अपने और अपने अभिभावकों केा लेकर उनके मन में तमाम मनोवैज्ञानिक आशंकाएं खड़ी हो गयी हैं. सरकार ने उनके लिए यूनीसेफ की मदद से आब्जर्वेशन में रह रहे बच्चों की चिंताओं को सरकारी एजेंसियों तक पहुंचाया है़ इस क्रम में यूनिसेफ ने उनकी हताशाओं को दूर करने के लिए चिकित्सकों का एक ग्रुप तैयार किया है़ सामाजिक कल्याण, बाल संरक्षण, शिक्षा विभाग आदि से जुड़ी संस्थाओं की मदद से यूनीसेफ ने चिकित्सकों की प्रदेश मुख्यालय से लेकर सभी जिलों तक चिकित्सकों की एक श्रंखला खड़ी कर दी है.
यह चिकित्सक बतायेंगे कि बच्चे लॉक डाउन की स्थिति में कैसे रहें? तनाव कैसे कम करें? आधिकारिक जानकारी के मुताबिक वर्तमान में इन बच्चों की फील्ड एक्टविटी बिल्कुल बंद हैं. हालांकि कोरोना को लेकर पूरी एहतियात बरता जा रहा है़ सभी चिकित्सकों की देखरेख में हैं. यूनीसेफ ने राज्य सरकार की एजेंसियों की मदद से सायको-सोशियो सपोर्ट एडवाइजर ग्रुप का गठन किया गया है. स्टेट लेवल पर सायकोलॉजिस्ट, न्यूरोसायक्लोजिस्ट ,टेक्निकल सायको एक्सपर्ट शामिल किये गये हैं. इसके अलावा जिला स्तर पर टीम गठित कर उन सेटर्स पर भेजा जा रहा है. यहां वे बच्चों की जिज्ञासाओं,अकेलेपन और उनकी लॉक डाउन को लेकर तमाम सवालों का जवाब देंगे, ताकि बच्चे हताश न हों. उनके मन पर कोई नकारात्मक असर न पड़े़ सभी चिकित्सकों के सेल फोन नंबर भी बच्चों के सेंटर्स पर मुहैया कराये जायेंगे़ वर्सन–बाल संरक्षण व दूसरे बच्चों के सेंटर्स में लॉक डाउन की वजह से बच्चों की मानसिक हताशा को दूर करने के लिए हमने प्रदेश के जाने माने चिकित्सकों का एक समूह बनाया है़ जिला स्तर पर भी चिकित्सकों की टीमें बना दी गयी हैं. उन्हें बच्चों के सेंटर्स पर रवाना किया जा रहा है़ ताकि उनकी समस्याओं का समाधान किया जा सके.
अजय कुमार सीनियर कंसल्टेंट , चाइल्ड केयर, यूनिसेफ