कोरोना वायरस से जितने के जद्दोजहद में भारत लगातार मात खा रहा है. पहले hydroxychloroquine दवा, जिसपर भारत को उम्मीद थी, वो कारगार साबित नहीं हुई. फिर भारत में हुए लॉकडाउन के बावजूद लोगों का उस तरह का समर्थन नहीं मिल पाया. लेकिन, भारत में लगातार मौत के आंकड़े बढ़ते ही जा रहे हैं. अब सरकारी अस्पतालों में पीपीई किट का समाप्त हो जाना चिंता का विषय बन गया है.
आपको बता दें कि जहां मौतों की संख्या भारत में बढ़ती ही जा रही है, वहीं कई लोग यहां स्वस्थ्य भी हो रहे हैं. और जिनकी वजह से वे स्वस्थ्य हो रहा है वे हैं हमारे सफेद योद्धा यानी डॉक्टर, जो लगातार मरीजों का देखभाल कर रहे हैं. जैसा की ज्ञात हो, अबतक इस वायरस का वैकसीन नहीं बन पाया है. ऐसे में डॉक्टरों को भी इससे संक्रमण होने का खतरा हो सकता है.
लेकिन, उन्हें इसी संक्रमण से बचाता है पीपीई. दरअसल, पीपीई किट की वजह से ही संक्रमण के बीच काम करने के बावजूद डॉक्टर, नर्स और बाकी स्टाफ संक्रमित नहीं होते हैं. इसे पर्सनल प्रोटेक्टिव गियर यानी व्यक्तिगत सुरक्षा उपकरण भी कहते हैं. ये वह उपकरण होते हैं जो एक शख्स की रक्षा में इस्तेमाल होते हैं. मौजूदा स्थिति में पीपीई शब्द का इस्तेमाल मेडिकल फील्ड के संदर्भ में किया जा रहा है. यानी डॉक्टर, नर्स या बाकी स्टाफ द्वारा कोरोना वायरस से बचने के लिए पहने जाने वाले ग्लव्स, मास्क, चश्मे, सूट आदि सभी पीपीई होते हैं.
दुभार्गय की बात यह है कि भारत में अब पीपीई किट की भी कमी हो गई है. यह किट एक पब्लिक सेक्टर यूनिट एचएलएल लाइफकेयर द्वारा सभी अस्पतालों को सप्लाई किए जाते हैं. सरकारी अस्पतालों से कंपनी ने कहा है कि इसकी कमी कम से कम 25-30 दिन में पूरी की जा सकेगी. ऐसे में अगर जल्द से जल्द किट नहीं मिला तो, देश के सामने खड़ी कोरोना मुसीबत दिन पर दिन और भयावह हो सकती है.
पीपीई किट सप्लाई करने वाले कंपनी का कहना है कि कच्चे माल की कमी की वजह से पीपीई की सप्लाई नहीं हो पा रही है. कंपनी की मानें तो यह किट के उपकरण छोटे और मझले सेक्टर के मैन्युफैक्चरर्स बनाते हैं. जिसे एचएलएल कंपनी सप्लाई करती है. लॉकडाउन के कारण इसे प्रोडक्शन कम हो गया है. कच्चे माल नहीं उपलब्ध हो पा रहे हैं. जिसके वजह से माल समय पर अस्पतालों को नहीं पहुंचाया जा रहा. भारत में फिहलाल भारी मात्रा में इन पीपीई सूट्स की जरूरत पड़ने वाली है.
Disclaimer: हमारी खबरें जनसामान्य के लिए हितकारी हैं. लेकिन दवा या किसी मेडिकल सलाह को डॉक्टर से परामर्श के बाद ही लें.