रांची : झारखंड में कोरोना वायरस के संदिग्ध 15 मरीजों के क्वारेंटाइन फैसिलिटी सेंटर से भाग जाने की वजह से स्वास्थ्य विभाग में हड़कंप मच गया है. गांव के लोग भी परेशान हैं कि कहीं इनके संपर्क में आकर वे भी इस जानलेवा वायरस की चपेट में न आ जायें. मामला हजारीबाग जिला के कटकमसांडी ब्लॉक का है.
कटकमसांडी स्थित कंचनपुर पंचायत भवन में बने क्वारेंटाइन फैसिलिटी सेंटर में बाहर से आये 70 लोगों में से 15 लोगों को शुक्रवार (27 मार्च, 2020) की शाम अधिकारियों को चकमा देकर और झगड़ा करके वहां से फरार हो गये. इसकी सूचना क्वारेंटाइन सेंटर प्रभारी ने प्रखंड एवं जिला के आला अधिकारियों को दी.
सूचना मिलते ही सदर एसडीओ मेघा भारद्वाज क्वारेंटाइन सेंटर पहुंचीं और पूरे मामले की जानकारी ली. क्वारेंटाइन सेंटर से भागे लोगों के खिलाफ संक्रामक रोग अधिनियम-1997 तथा झारखंड राज्य संक्रामक रोग विनियम अधिनियम-2020 के प्रावधानों के तहत प्राथमिकी दर्ज की गयी है.
उल्लेखनीय है कि कोरोना के संक्रमण के खतरे को देखते हुए प्रखंड के कंचनपुर पंचायत भवन को क्वारेंटाइन सेंटर बनाया गया है. सेंटर में रखे लोगों की समुचित निगरानी एवं आवासीय व्यवस्था सुनिश्चित करने के लिए बीडीओ ने चार कर्मियों की प्रतिनियुक्ति कर रखी है.
हजारीबाग जिला के बरही अनुमंडलीय अस्पताल में शुक्रवार को 280 प्रवासी मजदूरों के स्वास्थ्य का परीक्षण किया गया. इनमें से एक व्यक्ति बुखार से पीड़ित था. उसे हजारीबाग सदर अस्पताल रेफर कर दिया गया. वह मुंबई में काम करता था और चार दिन पहले अपने घर आया था. जांच में बाकी लोग स्वस्थ्य पाये गये. उनमें सर्दी-खांसी व बुखार के लक्षण नहीं पाये गये. डॉक्टर प्रकाश ज्ञानी ने सभी को 14 दिनों तक घर में अलग-थलग रहने के लिए कहा है.
उल्लेखनीय है कि 21 दिन के लॉकडाउन की घोषणा के बाद से पूरा देश एक तरह से थम सा गया है. सरकार बार-बार लोगों से अपील कर रही है कि वे अपने घरों में रहें. बाहर नहीं निकलें, क्योंकि संक्रमित लोगों के संपर्क में आने से कोरोना वायरस के तेजी से फैलने का खतरा है. बावजूद इसके कुछ लोग न केवल घरों से निकल रहे हैं, बल्कि एक शहर से दूसरे शहर पहुंच जा रहे हैं.
भारी संख्या में ऐसे भी लोग हैं, जो सरकार और प्रशासन की अपील को दरकिनार कर एक राज्य से दूसरे राज्य चले जा रहे हैं. कोई कंटेनर में बंद होकर आ रहा है, तो कोई पैदल ही सिर पर सामान की गठरी लिये सैकड़ों किलोमीटर की दूरी तय करके अपने घर पहुंचने के लिए बेताब है. ऐसे लोगों को जगह-जगह रोककर उनकी जांच की जा रही है और जरूरत पड़ने पर उन्हें पृथक किया जा रहा है.