कोरोना वायरस का प्रकोप विश्वभर में तेजी से फैल रहा है. हर दिन कोरोना वायरस को लेकर कई तरह कि अफवाहें से घिरे रहते हैं. COVID-19 इलाज को लेकर कई झूठी खबरों से सामना करना पड़ रहा है. लोगों को आए दिन कोरोना वायरस के टीके, इलाज और दवाइयों को लेकर कई फर्जी और तथ्यहीन खबरों से सामना करना पड़ता है. अब कोरोना वायरस को एक अफवाह हाल ही में वायरल हुई है, जिसमें कहा गया है कि करोना वायरस हवा में घुलनशील है, पर इन सब अफवाहों पर विराम लगाते हुए WHO ने फिलहाल यह मानने से इंकार किया है कि कोरोना वायरस हवा में घुल सकते हैं.
WHO का मानना है कि ‘ COVID-19 एक एयरबोर्न बीमारी हो सकती है, पर फिलहाल इसपर शोध जारी है. विश्व में कोरोना वायरस से हुई तबाही को देखते हुए इसके लिए एहतियात बरतना जरुरी है. पर यह जानना भी जरुरी है कि एयरबोर्न और एयरोसोल दो अलग चीजें हैं. एयरबोर्न का मतलब है कि बीमारी को हवा के माध्यम से फैल सकती है, जबकि एयरोसोल का अर्थ है कि यह बूंदों या संपर्क संचरण के माध्यम से फैल सकता है.
चिकित्सा कर्मचारियों को विशेष रूप से सावधानी बरतने की सलाह दी जाती है क्योंकि वे आमतौर पर एरोसोल पैदा करने की प्रक्रिया करते हैं और इस प्रकार किसी और की तुलना में संक्रमण के लिए अधिक संवेदनशील होते हैं.
COVID-19 के बारे में यह बात बिलकुल सच है कि यह सतहों पर रहकर संक्रमण फैलाता है. पर कोरोना वायरस हवा में फैलता है या नहीं इसकी पुष्टि के लिए अभी कई अध्ययन चल रहे हैं. इसमें यह भी कहा गया है कि डब्ल्यूएचओ ने चिकित्साकर्मियों को सावधानी बरतने की सिफारिश की है क्योंकि COVID-19 हवा में पनप सकता है या नहीं, इसकी पुष्टि के लिए कई अध्ययन चल रहे हैं. इसमें यह भी कहा गया है कि डब्ल्यूएचओ ने चिकित्साकर्मियों को एयरोसोल ट्रांसमिशन के रूप में सावधानी बरतने की सिफारिश की है.
WHO दक्षिण-पूर्व एशिया की क्षेत्रीय निदेशक डॉ पूनम खेत्रपाल सिंह ने कहा, “एयरबोर्न को COVID-19 को एयरबोर्न बीमारी के रुप में सामने नहीं आया है. COVID-19 ज्यादातर सांस की बूंदों और निकट संपर्क के माध्यम से फैलता है. यही कारण है कि WHO हाथ और सांस की स्वच्छता बनाए रखने की सिफारिश करता है. ”
Disclaimer: हमारी खबरें जनसामान्य के लिए हितकारी हैं. लेकिन दवा या किसी मेडिकल सलाह को डॉक्टर से परामर्श के बाद ही लें.