नयी दिल्ली : वैश्विक रेटिंग एजेंसी स्टैंडर्ड एंड पूअर्स (एसएंडपी) ने सोमवार को भारत के वर्ष 2020- 21 के सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) के वृद्धि के पूर्वानुमान को घटाकर 5.2 फीसदी कर दिया. इससे पहले एजेंसी ने 6.5 फीसदी वृद्धि का अनुमान व्यक्त किया था. कोरोना वायरस से अर्थव्यवस्थाओं में भारी गिरावट के बीच उसने अनुमान घटाया है. एजेंसी ने कोरोना वायरस ‘कोविड 19′ की वजह से एशिया प्रशांत क्षेत्र में करीब 620 अरब डॉलर के स्थायी नुकसान का अनुमान लगाया है. हालांकि, उसने इसका देशवार ब्यौरा नहीं दिया है.
एस एंड पी ने कहा है कि उसने एशिया प्रशांस्त क्षेत्र में वास्तविक जीडीपी, मुद्रास्फीति और नीतिगत ब्याज दर के अनुमानों में भी संशोधन किया है. भारत के लिए एजेंसी ने वर्ष 2020- 21 की जीडीपी वृद्धि के अपने अनुमान को पहले के 6.5 फीसदी से घटाकर 5.2 फीसदी कर दिया है. इसी तरह उसने देश की 2021- 22 की वृद्धि के सात फीसदी रहने के अनुमान को भी घटाकर 6.9 फीसदी किया है. चालू वित्त वर्ष के लिए रेटिंग एजेंसी ने जीडीपी वृद्धि के अनुमान को पांच प्रतिशत रखा है.
एजेंसी ने 2022-23 और 2023- 24 के लिए जीडीपी वृद्धि अनुमान को सात फीसदी बताया है. एजेंसी ने कहा है कि मुद्रास्फीति की दर चालू वित्त वर्ष के 4.7 फीसदी से घटकर अगले वित्त वर्ष में 4.4 फीसदी रह सकती है. इसके बाद 2021- 22 में यह और घटकर 4.2 फीसदी रह सकती है. इसके बाद, इसमें हल्की वृद्धि होगी और यह 2022- 23 में 4.4 फीसदी और उससे अगले वित्त वर्ष में बढ़कर 4.5 फीसदी तक पहुंच सकती है. इससे पहले, कई अन्य अंतरराष्ट्रीय एजेंसियों ने भारत की वृद्धि दर का अनुमान घटाया है.
फिच रेटिंग ने शुक्रवार को ही भारत की आर्थिक वृद्धि का अनुमान 2020- 21 के लिए 5.6 फीसदी से घटाकर 5.1 फीसदी किया है. वहीं, मूडीज इनवेस्टर्स सर्विस ने पिछले सप्ताह ही 2019- 20 के लिए भारत की जीडीपी वृद्धि का अनुमान 5.4 फीसदी से घटाकर 5.3 फीसदी किया है.
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