पूर्व चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया रंजन गोगोई ने राज्यसभा की सदस्यता को लेकर उठ रहे सवालों का जवाब देते हुए कहा कि यह सरकार की तरफ से मिला कोई उपहार नहीं, बल्कि राष्ट्रपति की अनुशंसा पर देश की सेवा करने का एक मौका है. रंजन गोगोई ने कहा कि उन्हें सरकार से उपहार ही लेना होता तो क्या वह राज्यसभा की सदस्यता से मान जाते? पूर्व चीफ जस्टिस ने बताया कि सविंधान के आर्टिकल 80 के तहत राष्ट्रपति को लगा कि मुझे राज्यसभा सदस्यता से सम्मानित किया जाना चाहिए. जब सम्मान मिल रहा हो तो स्वाभाविक है कि आप उसे लेने से इनकार नहीं कर सकते.
टीवी चैनल टाइम्स नाऊ से बात करते हुए रंजन गोगई ने कहा कि 18 नववंबर, 2019 तक जो फैसले मैंने दिए, उनका मेरा राज्यसभा के लिए नामांकन से कोई संबंध कैसे है? मैंने अपना कार्यकाल पूरा कर लिया, मेरे फैसले वाली बेंच में पांच, तीन अन्य जज हुआ करते थे. फैसलों पर उनकी सहमति हुआ करती थी. मैंने आर्टिकल 80 पर संविधान सभा में हुई बहसों को पढ़ा और मैंने पाया कि यह एक सेवा है जिसके जरिए आप अपनी विशेषज्ञता से संसदीय चर्चाओं को समृद्धि और गंभीरता प्रदान करते हैं. क्या यह रिटायरमेंट के बाद का उपहार जैसा है. अगर मुझे उपहार की पेशकश होती तो क्या मैं राज्यसभा की सदस्यता से मान जाता. बता दें कि विपक्ष के नेता बर बार ये कह रहे थे कि पूर्व चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया रंजन गोगोई ने अयोध्या सहित कुछ और मामलों के फैसले सरकार के हित में सुनाए इस कारण सरकार ने उन्हें उपहार स्वरूप राज्यसभा भेजा है.
सुप्रीम कोर्ट के जजों द्वारा दो साल पहले केंद्र सरकार के खिलाफ प्रेस कॉन्फ्रेंस पर बात करते हुए रंजन गोगोई ने साफ कहा कि वो नेताओं का खेल न जानते हैं और न ही समझेते हैं. उन्होंने कहा- मैंने प्रेस कॉन्फ्रेंस में भाग लेने का फैसला इसलिए किया क्योंकि मुझे लगा कि चीजें सुधरनी चाहिए. प्रेस कॉन्फ्रेंस का मुद्दा जज लोया केस नहीं था, मुद्दा था जजों के बीच केसों के बंटवारे का तरीका. जस्टिस दीपक मिश्रा बेहद संवेदनशील थे, उन्होंने हमारी बात समझी और सुधार किया.
मीलार्ड से माननीय बने रंजन गोगई ने कांग्रेस के दिग्गज नेता कपिल सिब्बल पर एक बड़ा आरोप लगाया है. टाइम्स नाऊ से बात करते हुए उन्होंने कहा कि साल 2018 में जब सुप्रीम कोर्ट के चार जजों ने ऐतिहासिक प्रेस कॉन्फ्रेंस की थी, उसके बाद वह तत्कालीन चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा के खिलाफ महाभियोग प्रस्ताव में सुप्रीम कोर्ट का समर्थन मांगने उनके आवास गए थे. हालांकि, उन्होंने दिग्गज वकील कपिल सिब्बल को घर में घुसने नहीं दिया था.
साक्षात्कार में राज्यसभा सदस्य गोगोई से जब कपिल सिब्बल को लेकर पूछा गया तो उन्होंने कहा, व्यक्तिगत रूप पर मैं कपिल सिब्बल पर कोई टिप्पणी नहीं करना चाहूंगा, मगर मुझे नहीं पता कि मैंने सही किया या गलत, मगर मैं यह जरूर बताना चाहूंगा कि प्रेस कॉन्फ्रेंस (सुप्रीम कोर्ट के तत्कालीन चार जजों की 18 जनवरी, 2018 की प्रेस कॉन्फ्रेंस) के बाद वो मेरे आवास पर आए थे. वह तत्ककालीन पूर्व चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा के खिलाफ महाभियोग प्रस्ताव पर सुप्रीम कोर्ट का समर्थन मांगने आए थे. मैंने उन्हें अपने घर में आने ही नहीं दिया था.