पटना. बिहार राज्य धार्मिक न्याय पर्षद ने कोरोना वायरस के बढ़ते संक्रमण को देखते हुए सूबे के 4500 से अधिक धार्मिक स्थल, कबीर मठ, ठाकुरबाड़ी में पूजा, उत्सव व किसी भी प्रकार के धार्मिक आयोजन पर 31 मार्च तक रोक लगा दी है. इस दौरान मंदिर में केवल महंत या पुजारी भगवान की आरती, राग-भोग और नियमित पूजा-पाठ अधिक से अधिक तीन व्यक्ति की उपस्थिति में करेंगे. उन्होंने बताया कि यह निर्णय इस लिए लिया गया है, ताकि लोग सुरक्षित रहें और उनका परिवार भी सुरक्षित रहें. पर्षद के अध्यक्ष अखिलेश कुमार जैन ने सभी लोगों से अपील करते हुए कहा है कि महामारी से बचने के लिए साफ पानी पीएं, मास्क का इस्तेमाल करें और सोने से तीन घंटे पूर्व भोजन करें. उन्होंने बताया कि पर्षद में राज्य के विभिन्न जिलों से लोग आते हैं. उनकी सुरक्षा को देखते हुए पर्षद का कार्य भी 31 मार्च तक नहीं होगा. संचिका के संबंध में जो भी जानकारी होगी, वह निबंधित डाक के माध्यम से लोगों को दे दी जायेगी.
दो अप्रैल को शहर में नहीं निकलेगी रामनवमी शोभायात्रा
रामनवमी के दिन दों अप्रैल को शहर में 40 जगहों से निकाली जाने वाली शोभा यात्रा को स्थगित कर दिया गया है. श्री रामनवमी शोभायात्रा अभिनंदन समिति की शनिवार को बैठक में यह निर्णय लिया गया है. बैठक में विधायक नितिन नवीन, राजेश जैन, अक्षय कुमार, संतलाल राय, नितिन अभिषेक आदि मौजूद थे. बैठक की अध्यक्षता कर रहे जगजीवन सिंह बबलू ने बताया कि कोरोना वायरस के खतरे को लेकर प्रधानमंत्री का आह्वान को देखते हुए शोभा यात्राएं रद्द की गयी है. इसको लेकर पूजा कमेटियों से भी चर्चा की गयी. उन्होंने सभी कमेटियों से आग्रह किया है कि लोगों को जागरूक एवं सतर्क रखें तथा अपने इर्द-गिर्द समाज को पूरी तरह से इस महामारी से लड़ने के लिये तैयार करें. इसके साथ ही रामनवमी एवं हिंदू नववर्ष के पहले दिन अपने घरों के इर्द-गिर्द स्वच्छता कार्यक्रम चला कर महावीरी ध्वज लगाएं, ताकि समाज में सकारात्मक माहौल बना रहे.
आज बंद रहेगा महाबोधि मंदिर
बिहार के बोधगया कोरोना वायरस के संक्रमण को फैलने से रोकने के लिए विश्व धरोहर महाबोधि मंदिर में शनिवार से नयी व्यवस्था लागू कर दी गयी है. इसके तहत मंदिर परिसर में हर हाल में एक समय में 50 से ज्यादा श्रद्धालुओं की मौजूदगी पर रोक लगा दी गयी है, जबकि मंदिर के गर्भगृह में एक वक्त में मात्र तीन श्रद्धालुओं को ही इंट्री दी जा रही है. बोधगया मंदिर प्रबंधन समिति (बीटीएमसी) ने इसके लिए टोकन सिस्टम की व्यवस्था की है. मंदिर में प्रवेश करने वाले श्रद्धालुओं व पर्यटकों को सुरक्षा जांच व थर्मल स्क्रीनिंग के बाद टोकन दिया जा रहा है, जिसे मंदिर में दर्शन-पूजा के बाद निकास द्वार के पास डेटॉल के घोल वाले बरतन में वापस डालना होता है. यहां मौजूद बीटीएमसी के कर्मचारी ग्लब्स पहने हाथों से उक्त टोकन को निकालते हैं और फिर उसे मंदिर में प्रवेश करने वाले श्रद्धालुओं को दिये जाते हैं. यह प्रक्रिया सुबह 10 बजे से शुरू हुई और शाम पांच बजे बंद कर दी गयी. इसके साथ ही, इस बात का भी ध्यान रखा जा रहा है कि टोकन लेकर मंदिर परिसर में प्रवेश करनेवाले श्रद्धालु ज्यादा वक्त तक मंदिर परिसर में नहीं ठहरें. इसके लिए मंदिर परिसर में बीटीएमसी के कई कर्मियों को तैनात किया गया है.