पटना : कोरोना महामारी के चलते बिहार दिवस पर होने वाले कार्यक्रमों को पहली बार रद्द करना पड़ा है. 2005 के बाद ऐसा पहली बार हुआ है जब इस आयोजन को बंद करना पड़ा. नीतीश कुमार की अगुवाइ में बनी प्रदेश की नयी सरकार ने बड़े पैमाने पर बिहार की अस्मिता की प्रतीक बिहार दिवस को मनाये जाने का फैसला लिया था. इसके तहत सभी सरकारी भवनों को दो दिनों तक रोशनी से नहलाने और सांस्कृतिक कार्यक्रम आयोजित कर बिहार स्थापना की वर्षगांठ मनाये जाने की परंपरा शुरू हुइ थी. सरकारी अवकाश घोषित कर स्कूलों में भी अनोखे अंदाज में यह दिवस मनाया जाता था.
सूत्रों का कहना है कि इस बार भी जल-जीवन-हरियाली थीम के तहत बिहार दिवस का आयोजन 22 से 24 मार्च के दौरान तीन दिनों तक करने की तैयारी शुरू हो चुकी थी. इसके आयोजन के लिए बिहार शिक्षा परियोजना को नोडल बनाकर जिम्मेवारी सौंपी गयी थी. इस अवसर पर कई सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आयोजन करने की योजना बनायी गयी थी.
सूत्रों का कहना है कि बिहार दिवस के लिए आयोजित कार्यक्रमों का उद्घाटन मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के हाथों 22 मार्च को गांधी मैदान में होना तय हुआ था. वहीं इस अवसर पर
सांस्कृतिक कार्यक्रमों के आयोजन के लिए जसविंदर सहित अन्य प्रसिद्ध गायकों को बाहर से बुलाने की योजना थी. इसे लेकर गांधी मैदान में व्यापक इंतजाम किये जाने थे.
जानकारों का कहना है कि केवल यही नहीं बिहार की लोक संगीत को लेकर 23 मार्च को श्रीकृष्ण मेमोरियल हॉल में भव्य आयोजन की योजना बनायी गयी थी. इसके लिए मैथिली, भोजपुरी, मगही, अंगिका सहित अन्य भाषाओं के कलाकारों का सांस्कृतिक कार्यक्रम होना था.
बिहार दिवस के अवसर पर जल-जीवन-हरियाली अभियान में बेहतर काम करने वालों को सम्मानित करने की योजना बनायी गयी थी. इसे लेकर प्रत्येक जिले से आंकड़ों के आधार पर चयन होना था. पर्यावरण और जलवायु में सुधार के मकसद से शुरू किया गया जल-जीवन-हरियाली अभियान राज्य सरकार की महत्वाकांक्षी योजना है.