2012 Delhi gang rape: निर्भया गैंगरेप और हत्याकांड मामले के दोषी हरसंभव फांसी से बचने का प्रयास कर रहे हैं. इनमें से एक मुकेश सिंह अपनी मौत की सजा खारिज कराने के अनुरोध के साथ मंगलवार को दिल्ली की एक अदालत में पहुंचा है. उसने दावा किया है कि वह अपराध के दिन दिल्ली में नहीं था.
अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश धर्मेंद्र राणा के समक्ष दायर याचिका में दावा किया गया कि मुकेश को राजस्थान से गिरफ्तार किया गया था और उसे 17 दिसंबर, 2012 को दिल्ली लाया गया था. साथ ही कहा गया कि वह 16 दिसंबर को शहर में मौजूद नहीं था जब यह अपराध हुआ था. याचिका में यह भी आरोप लगाया कि मुकेश सिंह को तिहाड़ जेल के भीतर प्रताड़ित किया गया.
आपको बता दें कि पांच मार्च को निचली अदालत ने मामले के चार दोषियों – मुकेश सिंह (32), पवन गुप्ता (25), विनय शर्मा (26) और अक्षय कुमार सिंह (31) को 20 मार्च की सुबह साढ़े पांच बजे फांसी देने के लिए मृत्यु वारंट जारी किया था.
निर्भया गैंगरेप में फांसी की सजा रुकवाने के लिए दोषियों ने अब नया पैंतरा चला है. गैंगरेप के तीन दोषी अक्षय, पवन और विनय ने फांसी रोकने के लिए इंटरनेशनल कोर्ट ऑफ जस्टिस (आइसीजे) में याचिका दायर की है. याचिका पर शीघ्र सुनवाई की मांग की गयी है. दोषियों के वकील एपी सिंह ने कहा कि एनआरआइ और उनके संगठन इस मामले पर नजर बनाये हुए हैं. विभिन्न संगठनों की तरफ से याचिकाओं की प्रति मिली थी जिसमें कहा गया था कि इस मामले को इंटरनेशल कोर्ट के समक्ष उठाया जाना चाहिए.
चारों दोषियों के परिजनों ने अब राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद को पत्र लिखकर इच्छामृत्यु की अनुमति मांगी है. इच्छामृत्यु मांगने वालों में दोषियों के बुजुर्ग माता-पिता, भाई-बहन और उनके बच्चे शामिल हैं. निर्भया के दोषियों के परिजनों ने राष्ट्रपति को लिखे पत्र में कहा है कि हम देश के राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद और पीड़िता के माता-पिता से अनुरोध करते हैं कि वे हमारे अनुरोध को स्वीकार करें और हमें इच्छामृत्यु की अनुमति दें.
दोषी अक्षय कुमार सिंह का परिवार अगले दो दिन में उससे आखिरी मुलाकात कर सकता है. मुकेश, पवन और विनय अपने-अपने परिवारों से आमने-सामने की मुलाकात कर चुके हैं जबकि अक्षय का परिवार उससे मिलने अबतक नहीं आया है.