कोरोना का कहर हमारे देश में भी फैल चुका है. रविवार तक यहां 110 मामले सामने आ चुके हैं. ऐसे में डर से ज्यादा हमें सावधानी बरतने की जरूरत है. तो आज हम आपको बताने जा रहे हैं कि इस वायरस से गर्भवती महिलाओं को है कितना खतरा, क्या बरतनी चाहिए उन्हें सावधानी और इससे संबंधित क्या फैलाये जा रहे भ्रम..
अगर आपके भी फैमिली में कोई गर्भवती महिला हैं और इस बात को लेकर आप चिंतित हैं कि इस महामारी में उनका प्रसव कैसे सुरक्षित किसी अस्पताल में करवाया जाये, ताकि बच्चे को कोई संक्रमण न हो और मां भी सुरक्षित वापसी करें, तो जानें ये बात-
– अगर आपके प्रसव का समय हाल फिलहाल का ही दिया हुआ हैं, तो आप अस्पताल वैसा ही चुनें जहां, संक्रमित लोगों के लिए अलग आइसोलेशन वार्ड बनाया गया हो
– अगर संक्रमित लोगों के लिए अलग वार्ड की व्यवस्था नहीं है, तो ही गर्भवती महिला का उपचार वहां बिल्कुल न करवाएं, किसी बड़े या सुरक्षित अस्पलाल की ओर रूख कर लें
– कोशिश करें कि मरीज के आसपास डॉक्टर व नर्स के अलावा आसपास कोई भी न भटकें
– डॉक्टरों से बोल कर अलग रूम या वार्ड में मरीज को रखें
सोशल मीडिया में ऐसा भ्रम फैलाया गया है कि संक्रमित ग्रभवती महिला के फीडींग से नवजात को भी संक्रमण का खतरा हो जाता हैं. आपको बता दें कि यह वायरस कम इम्यूनिटी वालों को ही ज्यादा प्रभावित कर रहा हैं. डब्ल्यूएचओ की रिर्पोट की मानें तो यह वायरस अबतक 50 वर्ष से अधिक के लोगों को प्रभावित कर रहा है. हाल ही में छपी एक खबर की मानें तो इससे प्रेग्नेंट महिला को खतरा नहीं हैं, बल्कि सावधानी बरतने की जरूरत हैं.
अबतक ऐसा कोई भी मामला सामने नहीं आया हैं जिसमें इस वायरस से प्रभावित गर्भवती महिला के बच्चे को भी संक्रमण हुआ हो. बल्कि विशेषज्ञों की मानें तो ऐसे हालात में नवजात शिशु को मां से बिल्कुल अलग नहीं करना चाहिए.
विशेषज्ञों की मानें तो मां का दूध बच्चा पी सकता है. अगर मां को संक्रमण हैं फिर भी बच्चें को दूध पिलाने से मां से बच्चें तक संक्रमण फैलने की अबतक पुष्टि नहीं हुई हैं.
– कोशिश करें की ज्यादा इम्यूनिटी बढ़ाने वाले फूड्स ही खाएं
– खुद को बार-बार सेनिटाइज करे रहें
– आस-पास स्वच्छता बनाए रखें
Disclaimer: हमारी खबरें जनसामान्य के लिए हितकारी हैं. लेकिन दवा या किसी मेडिकल सलाह को डॉक्टर से परामर्श के बाद ही लें.