भोपाल : मध्यप्रदेश में चल रही राजनीतिक उथल-पुथल के बीच एक बड़ी खबर है कि सोमवार को होने वाला फ्लोर टेस्ट टल सकता है. ऐसा इसलिए क्योंकि विधानसभा की कार्यसूची में फ्लोर टेस्ट का कोई जिक्र नहीं किया गया है. मीडिया रिपोर्ट के अनुसार विधानसभा की कार्यसूची में केवल राज्यपाल के अभिभाषण का ही जिक्र किया गया है.
हालांकि राज्यपाल लालजी टंडन ने मुख्यमंत्री कमलनाथ को सोमवार को राज्यपाल के अभिभाषण के तत्काल बाद विश्वास प्रस्ताव पर मतदान कराने के निर्देश दिए हैं. टंडन ने निर्देश दिए हैं कि मध्यप्रदेश विधानसभा का सत्र 16 मार्च 2020 को प्रातः 11 बजे प्रारंभ होगा और राज्यपाल के अभिभाषण के तत्काल बाद एकमात्र कार्य विश्वास प्रस्ताव पर मतदान होगा.
Madhya Pradesh: The list of business of the State Assembly for tomorrow has schedule for Governor Lalji Tandon's address and Motion of Thanks towards the Governor's address. It does not mention the floor test. pic.twitter.com/3oreHrWnjP
— ANI (@ANI) March 15, 2020
दूसरी ओर विधानसभा अध्यक्ष एनपी प्रजापति ने फ्लोर टेस्ट को लेकर कुछ भी कहने से इनकार कर दिया. उन्होंने कहा, इस बारे में सोमवार को ही फैसला लूंगा. उन्होंने मीडिया के सवाल पर कहा, मैंने पहले ही कहा कि मैं कोई फैसला लूंगा, इस बारे में मैं पहले से कुछ तय नहीं करता. यह सवाल अंधेरे में तीर मारने जैसा है. मैं इसका हिस्सा नहीं बनना चाहता. मैं कल ही अपना फैसला सुनाऊंगा.
उल्लेखनीय है कि कांग्रेस की उपेक्षा से परेशान होकर ज्योतिरादित्य सिंधिया ने मंगलवार को कांग्रेस की प्राथमिक सदस्यता से इस्तीफा दे दिया था और वह बुधवार को भाजपा में शामिल हो गये. उनके साथ ही मध्यप्रदेश के छह मंत्रियों सहित 22 कांग्रेस विधायकों ने इस्तीफा दे दिया था, जिनमें से अधिकांश उनके कट्टर समर्थक हैं.
इन 22 विधायकों में से 19 बेंगलुरू में एक रिसॉर्ट में है, जबकि तीन विधायकों का अब तक कोई पता-ठिकाना नहीं है. इससे प्रदेश में कमलनाथ के नेतृत्व वाली कांग्रेस सरकार गिरने के कगार पर पहुंच गई है.
बेंगलुरु में ठहरे सिंधिया खेमे के मध्यप्रदेश कांग्रेस के 16 बागी विधायकों ने रविवार को विधानसभा अध्यक्ष को अपना त्यागपत्र फिर से भेजा है. इसमें कहा गया है कि जिस प्रकार शनिवार को इनके छह विधायक साथियों के त्यागपत्र मंजूर किए गए हैं, उसी प्रकार ये इस्तीफे भी मंजूर किए जाएं.
16 विधायकों ने 15 मार्च को विधानसभा अध्यक्ष एनपी प्रजापति को त्यागपत्र लिखा. मालूम हो कि इससे पहले प्रजापति ने छह विधायकों के त्यागपत्र शनिवार शाम को मंजूर कर लिए थे. सिंधिया खेमे के ये छह विधायक कमलनाथ मंत्रिमंडल में मंत्री भी थे. कांग्रेस से बागी हो ये 22 विधायक पहले ही अपने त्यागपत्र दे चुके हैं लेकिन फिलहाल विधानसभा अध्यक्ष ने 16 विधायकों के त्यागपत्र पर कोई निर्णय नहीं लिया है.
विधानसभा अध्यक्ष को 15 मार्च को लिखे 16 विधायकों के त्यागपत्र की भाषा एक जैसी ही है. रविवार को पुन: अपने त्यागपत्र भेजने वाले 16 विधायकों नाम जजपाल सिंह जज्जी (अशोकनगर), ब्रजेन्द्र सिंह यादव (मुंगावली), रणवीर सिंह जाटव (गोहद), कमलेश जाटव (अंबाह), गिरीराज दंडोतिया (दिमनी), मनोज चौधरी (हाटपिपल्या), ओपीएस भदौरिया (मेहगांव), रक्षा संतराम सिरोनिया (भांडेर), सुरेश धाकड़ (पोहरी), राज्यवर्धन सिंह (बदनावर), बिसाहूलाल सिंह (अनूपपुर), हरदीप सिंह डंग (सुवासरा), जसमंत सिंह जाटव (करैरा), मुन्नालाल गोयल (ग्वालियर पूर्व) रघुराज कंषाना (मुरैना) और ऐदल सिंह कंषाना (सुमावली) हैं.