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डॉक्टर कर रहे थे इलाज, एंबुलेंस ड्राइवर ने छूते ही कहा ये तो मृत

एशियन जालान अस्पताल में हरिनारायण सिंह कॉलोनी (बरमसिया) निवासी 62 वर्षीय रवींद्र प्रसाद सिंह की मौत के बाद रविवार की शाम परिजनों ने जमकर हंगामा किया. उनका आरोप था कि मरीज की मौत पहले ही हो चुकी थी. लेकिन इसे बताया नहीं गया और बिल वसूली के लिए इलाज का नाटक किया गया

धनबाद : एशियन जालान अस्पताल में हरिनारायण सिंह कॉलोनी (बरमसिया) निवासी 62 वर्षीय रवींद्र प्रसाद सिंह की मौत के बाद रविवार की शाम परिजनों ने जमकर हंगामा किया. उनका आरोप था कि मरीज की मौत पहले ही हो चुकी थी. लेकिन इसे बताया नहीं गया और बिल वसूली के लिए इलाज का नाटक किया गया. जब वे मरीज को दूसरे अस्पताल ले जा रहे थे तो एंबुलेंस ड्राइवर ने छूते ही बोल दिया कि ये तो मृत हैं. बाद में डॉक्टर ने इसे स्वीकार किया.

दूसरी ओर अस्पताल प्रबंधन ने परिजनों के आरोपों को सिरे से खारिज कर दिया. हंगामे के कारण मरीज का इलाज करने वाले डॉ कुणाल किशोर वहां से चले गये. स्थिति बिगड़ती देख अस्पताल प्रबंधन ने सदर थाना की पुलिस को बुला लिया. थाना प्रभारी संजीव तिवारी दल-बल के साथ पहुंचे और दोनों पक्षों में समझौता करा दिया. अस्पताल प्रबंधन बिल वापस करने पर राजी हो गया. कुल एक लाख 20 हजार रुपये का बिल हुआ था. तत्काल 75 हजार वापस कर दिया गया. शेष 45 हजार जल्द वापस करने का आश्वासन दिया गया. परिजनों के अनुसार इसमें दवा का खर्च शामिल नहीं है.

बाहर के अस्पताल भी नहीं ले जाने दे रहे थे : राकेश कुमार सिंह के अनुसार जब भी वह डॉ से अपने पिता को बाहर ले जाने की बात करते तो वह मना कर देते. दस दिन से कोई सुधार नहीं होने पर रविवार को वे लोग एंबुलेंस बुलाकर अपने पिता को बाहर ले जा रहे थे. एंबुलेंस चालक ने जब उन्हें छुआ तो कहा कि इनकी तो मौत हो चुकी है. बाहर ले जाने से कोई फायदा नहीं है. राकेश ने जब डॉक्टर से पूछताछ की तो उन्होंने मौत की बात कबूल ली. इसके बाद मामला भड़क गया. राकेश का मानना है कि उनके पिता की मौत पहले हो गयी थी. मगर पैसे बनाने के चक्कर में जानबूझ कर उन्हें वेंटिलेटर पर रखा गया.

जालान अस्पताल में मरीज की मौत के बाद हंगामा, पहुंची पुलिस

बिल बनाने के लिए वेंटिलेटर पर रख इलाज के नाटक का आरोप

गंभीर अवस्था में मरीज को अस्पताल लाया गया था. इसकी जानकारी परिजन को दे दी गयी थी. इलाज के दौरान मरीज की मौत हो गयी. अस्पताल का खर्च लौटाया जा रहा है.

अस्पताल प्रबंधन ने रकम लौटायी 10 दिनों से चल रहा था जालान में इलाज

रवींद्र किसी निजी कंपनी में काम करते थे. गत छह मार्च को हाउसिंग कॉलोनी में वह गिर पड़े. उनके पुत्र राकेश कुमार सिंह ने बताया कि यह ब्रेन हेमरेज था. उन्होंने फौरन अपने पिता को जालान अस्पताल में भर्ती कराया. अस्पताल में भर्ती करवाते ही डॉ कुणाल किशोर ने उन्हें वेंटिलेटर पर रखवा दिया. उनके शरीर में कोई हरकत नहीं हो रही थी. मगर डॉक्टर का कहना था कि वह अभी जिंदा हैं और उन्हें बचा लिया जाएगा. इलाज के नाम पर लगातार उनसे पैसे लिया जा रहे थे. दवाइयों में भी बहुत खर्चा कराया जा रहा था. वेंटिलेटर पर रखने के दौरान उनकी सांस चलती रहती थी. मगर वेंटिलेटर से हटाने के बाद उनकी सांस नहीं चलती थी.

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