अमृतसरः कांग्रेस नेता और पूर्व मंत्री नवजोत सिंह सिद्धू ने अपना यूट्यूब चैनल शुरू करने की शनिवार को घोषणा की. उन्होंने इसे पंजाब का ‘पुनरुद्धार तथा पुनजार्गरण’ करने वाला मंच बताया. क्रिकेटर से नेता बने सिद्धू ने चैनल का नाम जीतेगा पंजाब’ रखा है. इसमें ‘एक जैसी विचारधारा के लोगों” को चर्चाओं, साक्षात्कारों और विचारों के आदान-प्रदान के लिए आमंत्रित किया जाएगा. सिद्धू के कार्यालय द्वारा यहां जारी एक बयान में कहा गया है, सिद्धू आसान/समझने योग्य तरीके से पंजाब के लोगों के साथ विचारों को साझा करने के लिए यूट्यूब पर अपना खुद का चैनल आज ला रहे हैं.यह पंजाब को पुनरुद्धार तथा पुनजार्गरण की ओर प्रेरित करने वाला मंच है.
बयान में कहा गया है, नौ महीने तक चिंतन करने और खुद में नई ऊर्जा लाने के बाद संसद के चार बार के सदस्य और अमृतसर पूर्व से विधायक पंजाब के ज्वलंत मुद्दों पर मुखर रहेंगे और एक कल्याणकारी राज्य के रूप में पंजाब के पुनरुत्थान के लिए ठोस रूपरेखा तैयार करने का प्रयास करते रहेंगे. इसमें कहा गया है कि यह चैनल बाबा नानक द्वारा दिखाए वैश्विक भाईचारे, सहिष्णुता, प्यार और शांति के रास्ते से प्रेरित है. अपने यूट्यूब चैनल पर पहले वीडियो में सिद्द्धू ने 27 फरवरी को नई दिल्ली में कांग्रेस की अंतरिम अध्यक्ष सोनिया गांधी से हुई मुलाकात के बारे में बताया. इस मुलाकात में उन्होंने पार्टी प्रमुख को पंजाब की राजनीतिक स्थिति से अवगत कराया था.
सिद्धू पिछले साल जुलाई में राज्य मंत्रिमंडल से इस्तीफा देने के बाद से खबरों से दूर थे. उन्होंने पंजाब के मुख्यमंत्री अमरिंदर सिंह के साथ तनाव की खबरों के बाद इस्तीफा दे दिया था. हाल ही में वो तब सुर्खियों में आए थे जब उन्होंने दिल्ली में सोनिया गांधी और राहुल गांधी से मुलाकात की थी. सिद्धू यू- ट्यूब चैनल शुरू करने के बाद नौ महीने बाद पहली बार लोगों के सामने होंगे. इससे पहले हालांकि वह श्री करतारपुर साहिब कॉरिडोर के उद्घाटन के अवसर पर सामने आए थे, लेकिन वह पाकिस्तान में आयोजित समारोह में शामिल हुए थे. वहां पाकिस्तान के प्रधानमंत्री के समारोह को उन्होंने संबोधित किया था. इसके बाद भारत आने पर वह खामोश ही रहे. उन्होंने मीडिया से दूसरी बना ली.
उन्होंने दिल्ली विधानसभा चुनाव 2020 में स्टार कैंपेनर बनाए जाने के बाद भी कांग्रेस के लिए प्रचार नहीं किया था. सूत्रों के मुताबिक, उन्होंने जानबूझकर दिल्ली में चुनाव प्रचार से दूरी बनाई. इसके बाद उनके कांग्रेस छोड़ने की अटकलें लगाई जाने लगीं. कभी उनके आम आदमी पार्टी तो कभी भाजपा में फिर से शामिल होने की चर्चा शुरू हो गई.