गढ़वा : मेराल थाना क्षेत्र के टिकुलडीहा गांव की दलित नाबालिग लड़की के साथ हुए सामूहिक दुष्कर्म की घटना में पुलिस पर मामले को दबाने और आरोपियों को बचाने का आरोप लग रहा है. बताया जा रहा है कि पुलिस ने मामले के नाबालिग गवाह को ही पकड़ कर रिमांड होम भेज दिया है. जबकि, पीड़िता ने अपने आवेदन में जिन युवकों को आरोपी बनाया है, वे खुलेआम घूम रहे हैं.
पीड़िता के अनुसार जिसे पुलिस ने आरोपी बनाकर रिमांड होम भेजा, वह उसका ममेरा भाई है. पीड़िता के मुताबिक अगर घटना के समय उसका ममेरा भाई अचानक वहां नहीं पहुंचा होता, तो दुष्कर्म के बाद आरोपी उसकी हत्या कर देते. पीड़िता ने केंद्रीय अनसूचित जाति आयोग की टीम और सीडब्ल्यूसी की टीम को अलग-अलग दिये बयान में यही बात कही है. पीड़िता ने कहा कि जब वह मेराल थाना में शिकायत करने गयी, तो पुलिस ने उसे उसकी मौसी के साथ रात में भी वहीं बैठाये रखा. साथ ही उस पर दबाव बनाकर पुलिस ने अपने अनुसार उससे 164 का बयान दिलवाया.
इसके अलावा उसने पुलिस पर सीडब्ल्यूसी चेंबर से जबरन उसे ले जाने तथा अनावश्यक दबाव बनाने के लिये घर के बाहर चौकीदार बैठाने का भी आरोप लगाया है. पीड़िता ने पूरे मामले की उच्चस्तरीय जांच की मांग की है.
यह है मामला : पलामू जिले के विश्रामपुर थाना के लालगढ़ गांव की रहनेवाली यह पीड़िता अपने पिता के मरने के बाद टिकुलडीहा गांव में अपने मामा के घर रह रही है. टिकुलडीहा में दो मार्च की दोपहर करीब तीन बजे वह जब नाना के पास जा रही थी, तो गांव के दो युवकों समीर खान व सम्मी खान ने दुपट्टे से उसका मुंह बंद किया और अरहर के खेत में ले जाकर उसके साथ दुष्कर्म किया. इसके बाद सभी उसे जान से मारने का प्रयास करने लगे. इसी दौरान उसका ममेरा भाई वहां पहुंचा और शोर मचाना शुरू कर दिया. इस पर दोनों युवकों ने उसके भाई के साथ भी मारपीट की. जब तक आरोपी उसके भाई के साथ उलझे रहे, नाबालिग लड़की भागकर अपने घर पहुंच गयी और परिवारवालों को इसकी जानकारी दी. पीड़िता के अनुसार, इस घटना के कुछ देर बाद गांव के ही फारूख खान, नजाम खान एवं इसराइल खान उसके घर पहुंचे और उसे केस करने से मना किया. साथ ही पैसा लेकर समझौता करने के लिये दबाव बनाया, लेकिन वे इसके लिये तैयार नहीं थे.