MP Crisis: मध्य प्रदेश की कमलनाथ सरकार रहेगा या जाएगी, इसपर पूरे देश की निगाह टिकी हुई है. कांग्रेस सूबे में अपनी सरकार बचाने का हरसंभव प्रयास कर रही है. ऐसे कयास लगाये जा रहे हैं कि विधानसभा अध्यक्ष 22 में से 21 कांग्रेस के बागी विधायकों का इस्तीफा नामंजूर कर सकते हैं. इसके पीछे का तर्क यह दिया जा रहा है कि इन्होंने अपने इस्तीफे में राज्य ‘विधानसभा’ शब्द अंकित नहीं किया है.
इन 22 में से केवल एक मात्र विधायक बिजेंद्र सिंह यादव हैं जिन्होंने अपने इस्तीफे में विधानसभा शब्द लिखा है जबकि अन्य बागी कांग्रेस विधायकों ने केवल सभा लिखकर छोड़ दिया है. इसके अलावा एक और तर्क भी है. इन विधायकों ने इमेल के जरीए अपना इस्तीफा दिया है. ये व्यक्तिगत रूप से उपस्थित नहीं हुए हैं.
सिंधिया ने मंगलवार को प्रधानमंत्री मोदी और गृह मंत्री शाह से मुलाकात के बाद कांग्रेस की प्राथमिक सदस्यता से इस्तीफा दे दिया था. उनके साथ ही मध्य प्रदेश के 22 कांग्रेस विधायकों ने इस्तीफा दे दिया था. इससे प्रदेश में कमलनाथ के नेतृत्व वाली 15 महीने पुरानी कांग्रेस सरकार गिरने के कगार पर पहुंच गयी है. विधानसभा का सत्र 16 मार्च को बुलाया गया है. इधर, भाजपा ने अपने 106 विधायकों को भोपाल से बाहर भेज दिया है. उधर, सिंधिया समर्थक विधायक बेंगलुरु से दिल्ली लाये गये. भोपाल स्थित सीएम हाउस से कांग्रेस के 98 विधायकों को जयपुर भेज दिया गया है.
कांग्रेस के साथ ज्योतिरादित्य सिंधिया का 18 साल से सीधा नाता था. भाजपा की सदस्यता ग्रहण करते हुए सिंधिया ने कहा कि उनके जीवन की दो अहम तारीखें हैं. पहली 30 सितंबर 2001 जब उनके पिता की मृत्यु हुई. दूसरी 10 मार्च, 2020 जब उन्होंने अपने जीवन का अहम फैसला यानी कांग्रेस छोड़ने का फैसला लिया. आपको बता दें कि भाजपा का दामन थामने के बाद गुरुवार को यानी आज सिंधिया भोपाल पहुंचेंगे.
मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री कमलनाथ ने मीडिया से बात करते हुए कहा है कि सूबे की कांग्रेस सरकार को कोई खतरा नहीं है. हम विधानसभा में बहुमत साबित कर लेंगे.
मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल में भाजपा कार्यालय के बाहर होर्डिंग नजर आ रहे हैं जिसमें लिखा है स्वागत, वंदन, अभिनंदन…इस होर्डिंग में कई नेताओं के चेहरे नजर आ रहे हैं.