बेरूत : अफगानिस्तान में राष्ट्रपति के महल के पास सोमवार को हुए हमले की जिम्मेदारी इस्लामिक स्टेट (आईएस) जिहादी समूह ने ली है. इस्लामिक स्टेट ने अपने सोशल मीडिया चैनलों के माध्यम से एक वक्तव्य जारी कर कहा कि ‘अत्याचारी’ अशरफ गनी के शपथ ग्रहण के दौरान खिलाफत के सिपाहियों ने काबुल में राष्ट्रपति के महल के पास दस राकेट दागे.
अफगानिस्तान में प्रतिंद्वद्वी नेताओं अशरफ गनी और अब्दुल्ला अब्दुल्ला के सोमवार को समांतर समारोहों में राष्ट्रपति के तौर पर शपथ लेने से राजनीतिक संकट गहरा गया और इस दौरान राजधानी में कम से कम दो विस्फोट भी हुए. इससे तालिबान के साथ वार्ता की अमेरिका की योजना पर संकट गहरा गया है जिसे तालिबान के साथ उसकी शांति वार्ता को आगे बढ़ाने के बारे में सोचना है.
अमेरिका-तालिबान के बीच कुछ दिन पहले हुए समझौते को अफगानिस्तान में संघर्ष समाप्त करने के अमेरिका के प्रयास के तौर पर देखा जा रहा था. राष्ट्रपति अशरफ गनी और उनके प्रतिद्वंद्वी अब्दुल्ला अब्दुल्ला ने अपने मतभेदों को नहीं सुलझाया. गनी को पिछले साल सितंबर में हुए चुनाव में विजयी घोषित किया गया था. अब्दुल्ला ने मतदान में धोखाधड़ी के आरोप लगाये थे.
एक ही समय पर दो अलग-अलग समारोह आयोजित किये गये. एक समारोह राष्ट्रपति महल में गनी के लिए आयोजित किया गया, वहीं पास में ही स्थिति सापेदार पैलेस में अब्दुल्ला ने शपथ ली. दोनों के समर्थक भी बड़ी संख्या में अपने-अपने चहेते नेता के शपथ ग्रहण के लिए जुटे. इस दौरान दो जोरदार धमाके हुए जिनकी आवाज से कुछ लोगों को भागते देखा गया.
गनी ने सायरनों की आवाज के बीच समारोह में मौजूद रहे लोगों को संबोधित करते हुए कहा, ‘मेरे पास बुलेटप्रूफ जैकेट नहीं है और केवल शर्ट पहन रखी है. मैं यहीं रुका रहूंगा चाहे मुझे अपना सर कुर्बान करना पड़े.’ एएफपी के एक संवाददाता ने देखा कि जब गनी ने मंच छोड़ने से इनकार किया तो तालियां बजने लगीं और विस्फोट की आवाज सुनकर भागे कई लोग अपने स्थानों पर लौट गये.
सत्ता को लेकर इस गतिरोध की स्थिति से अंतरराष्ट्रीय समुदाय और अफगानिस्तान के नागरिकों में असमंजस की स्थिति है. अमेरिका ने चेतावनी दी थी कि यह झगड़ा अमेरिका के समझौते पर खतरा पैदा कर सकता है. अफगानिस्तान के चुनाव आयोग ने सितंबर में हुए मतदान में राष्ट्रपति अशरफ गनी को विजयी घोषित किया था.
गठबंधन सरकार में उनके पूर्व साझेदार अब्दुल्ला और चुनाव शिकायत आयोग ने भी कहा कि परिणामों में अनियमितताएं हैं. नतीजतन दोनों ने खुद को विजयी घोषित कर दिया. अब्दुल्ला पक्ष के वरिष्ठ सदस्य बशीर सालंगी ने स्थानीय अफगान चैनल टोलो टीवी से कहा कि अमेरिकी शांति दूत ने दोनों पक्षों को गतिरोध समाप्त करने के लिहाज से शपथ-ग्रहण समारोहों को तीन दिन तक टालने की सलाह दी थी.
खबरों के मुताबिक अब्दुल्ला ने कहा कि वह तैयार हैं, लेकिन अगर गनी अपना कार्यक्रम नहीं टालते तो वह सोमवार को शपथ लेंगे. तालिबान प्रवक्ता जबीउल्लाह मुजाहिद ने कहा कि समांतर शपथ-ग्रहण समारोहों से पता चलता है कि दोनों के लिए उनके निजी हितों से ज्यादा कुछ भी अहम नहीं है. समारोहों के लिए सुरक्षा कड़ी रखी गयी थी और दोनों के शपथ-ग्रहण के समय से कई घंटे पहले काबुल में कई जगह जांच की गयी.