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झारखंड की लेडी टार्जन चामी मुर्मू को अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस पर राष्ट्रपति ने नारी शक्ति पुरस्कार से किया सम्मानित

nari shakti puraskar to lady tarjan of jharkhand chami murmu. चामी मुर्मू (47) को एक जुनूनी पर्यावरणविद् के रूप में उनके काम के लिए सम्मानित किया गया है. झारखंड की ‘लेडी टार्जन’ के रूप में जानी जाने वाली मुर्मू वन विभाग के साथ 25 लाख से अधिक पेड़ लगाने और 3,000 से अधिक महिलाओं को संगठित करने में शामिल रही हैं. उन्होंने स्थानीय वन्यजीवों की सुरक्षा और जंगलों को लकड़ी माफियाओं तथा नक्सलियों से बचाने के लिए सक्रिय रूप से काम किया है.

नयी दिल्ली : राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने रविवार (8 मार्च, 2020) को अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस के मौके पर एक महिला राजमिस्त्री, 100 वर्ष से अधिक उम्र की एक एथलीट के साथ-साथ झारखंड की महिला टार्जन चामी मुर्मू और ‘मशरूम महिला’ समेत 15 महिलाओं को नारी शक्ति पुरस्कार से सम्मानित किया. सरकार महिला सशक्तीकरण और सामाजिक कल्याण में महिलाओं की अथक सेवा को पहचान देने के लिए हर साल नारी शक्ति पुरस्कार प्रदान करती है.

चामी मुर्मू (47) को एक जुनूनी पर्यावरणविद् के रूप में उनके काम के लिए सम्मानित किया गया है. झारखंड की ‘लेडी टार्जन’ के रूप में जानी जाने वाली मुर्मू वन विभाग के साथ 25 लाख से अधिक पेड़ लगाने और 3,000 से अधिक महिलाओं को संगठित करने में शामिल रही हैं. उन्होंने स्थानीय वन्यजीवों की सुरक्षा और जंगलों को लकड़ी माफियाओं तथा नक्सलियों से बचाने के लिए सक्रिय रूप से काम किया है.

कोल्हान प्रमंडल के सरायकेला-खरसावां जिला के राजनगर प्रखंड की रहने वाली आदिवासी महिला को राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने पुरस्कार में दो लाख रुपये व प्रशस्ति पत्र प्रदान किया. चामी मुर्मू राजनगर प्रखंड भाग-16 की जिला परिषद सदस्य हैं. महिला सशक्तीकरण की दिशा में उनके उत्कृष्ट योगदान के लिए उन्हें इस प्रतिष्ठित पुरस्कार के लिए चुना गया.

पर्यावरण एवं महिला सशक्तीकरण के क्षेत्र में चामी मुर्मू का योगदान अतुलनीय है. वह 1988 से पर्यावरण संरक्षण एवं महिलाओं को सशक्त करने में जुटी हैं. जिस दौर में महिलाओं को सामाजिक रूप से कई बेड़ियों में बांधकर रखा जाता था, अकेले घूमने की इजाजत नहीं थी, उस दौर में चामी ने घर की दहलीज लांगी और एक अलग सफर पर चल पड़ीं.

चामी मुर्मू ने गांव-गांव में घूमकर महिलाओं को जागरूक किया. लोगों को पर्यावरण का महत्व बताया, बंजर भूमि को हरा-भरा करने में जुट गयीं. जहां आंगनबाड़ी केंद्र नहीं था, वहां वह पोषाहार पहुंचाने का काम करतीं थीं. उन्होंने दो हजार से अधिक महिलाओं का समूह बनाकर उन्हें स्वरोजगार से जोड़ा. 32 साल के अपने सफर में चामी ने 780 हेक्टेयर से अधिक सरकारी, गैर-सरकारी एवं बंजर भूमि पर 27,25,960 पौधे लगा चुकी हैं.

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