मुंबई: 8 मार्च को अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस (International Women’s Day) मनाया जा रहा है. ऐसे में बॉलीवुड में भी इस दिन को बेहद खास तरीके से मनाया जाता है. हिंदी सिनेमा में महिला निर्देशकों ने अपनी पहचान बनाने के लिए लंबी लड़ाई लड़ी हैं. आइए आज बात करते हैं उन महिला निर्देशकों के बारे में जिन्होंने अपने काम का लोहा मनवाया.
मीरा नायर
डायरेक्टर मीरा नायर अपनी बेबाक राय के लिए जानी जाती हैं, जिसकी झलक उनकी फिल्मों में भी देखने को मिलती है. मीरा ने ‘सलाम बॉम्बे’ और ‘मॉनसून वेडिंग’ जैसी फिल्में बनायी हैं. ‘सलाम बॉम्बे’ भारत की ओर से ऑस्कर के लिए बेस्ट फॉरेन लैंग्वेज कैटेगरी में भेजी गयी दूसरी फिल्म थी. मीरा ने हॉलीवुड फिल्में जैसे Amelia, Queen of Katwe, The Namesake जैसी फिल्में डायरेक्ट की हैं.
फातिमा बेगम
फातिमा बेगम बॉलीवुड की पहली महिला निर्देशक थीं. उन्होंने अपने करियर की पहली फिल्म ‘वीर अभिमन्यू’ बनायी थी. इस फिल्म के बाद उन्होंने एक के बाद कई फिल्मों का निर्देशन किया. बुलबुल-ए-पाकिस्तान (1926), गॉडेस ऑफ लव (1927), हीर रांझा (1928), चंद्रावली (1928), कनकतारा (1929). जिस दौर में इन्होंने फिल्म बनायी, उस दौर में महिलाओं पर हमारा समाज काफी प्रतिबंध लगाकर रखता था.
जद्दनबाई
जानी-मानी हिंदी अभिनेत्री नरगिस की मां और संजय दत्त की नानी जद्दनबाई वह नाम जो अपने जमाने में बड़ी कलाकार थीं और फिल्मों के हर फन में माहिर थीं. जद्दनबाई एक साहसी और सशक्त महिला थीं. काफी संघर्ष करने के बाद जद्दनबाई मुंबई फिल्म इंडस्ट्री की सबसे बड़ी नाम बनीं. 1935 में उन्होंने संगीतकार की भूमिका निभाते हुए ‘तलाशे हक’ में अपना जौहर दिखाया. 1936 में ‘मैडम फैशन’, 1936 में एक अन्य फिल्म ‘हृदय मंथन’ का निर्माण किया.
मेघना गुलजार
हाल ही में मेघना गुलजार के निर्देशन में आयी फिल्म ‘छपाक’ ने लोगों को काफी प्रभावित किया था. 2018 में ‘राजी’, 2015 में आई ‘तलवार’ आदि कई फिल्मों से उन्होंने अपनी प्रतिभा का लोहा दुनिया से मनावाया. इसके साथ ही दीपा मेहता, कल्पना लाजमी, अपर्णा सेन, पूजा भट्ट, जोया अख्तर, फराह खान कई महिलाओं ने अपने नाम बॉलीवुड की महिला निर्देशक के तौर दर्ज करा लिये हैं.
जोया अख्तर
अरुणा राजे के बाद बॉलीवुड में तमाम वह महिला निर्देशक आयीं, जिन्होंने अपने काम से लोगों की बोलती बंद कर दी. जोया अख्तर की 2019 में आई ‘गली ब्वाय’ को ऑस्कर के लिए नॉमिनेट किया गया है. उन्होंने साल 2009 में लक बाई चांस, 2011 में जिंदगी फिर न मिलेगी दोबारा, 2015 में दिल धड़कने दो जसी शानदार फिल्मों का निर्देशन किया.
अश्विनी तिवारी
निर्देशक अश्विनी अय्यर तिवारी को 2017 में उनकी फिल्म ‘निल बटे सन्नाटा’ के लिए फिल्म फेयर सर्वश्रेष्ठ (डेब्यू) निर्देशक का अवॉर्ड मिला था. इसके अलावा उन्होंने बरेली की बरफी और पंगा जैसी फिल्मों का भी निर्देशन किया है.