लखनऊ प्रशासन द्वारा सीएए प्रदर्शनकारियों से वसूली के लिए लगाया गया पोस्टर पर हाईकोर्ट ने सुनवाई टाल दी है. अगली सुनवाई आज तीन बजे होगी. सुनवाई से पहले इस मामले में अपना पक्ष रखने के लिए लखनऊ डीएम की ओर से एडीएम जबकि कमिश्नर की ओर से डिप्टि कमिश्नर नॉर्थ पहुंचे. सुनवाई के दौरान महाधिवक्ता उपस्थित नहीं हुए, जिसके बाद कोर्ट ने सुनवाई तीन बजे तक के लिए टाल दी.
हाईकोर्ट सख्त- इससे पहले, हाईकोर्ट ने सुनवाई के दौरान जिला प्रशासन से पूछा कि बताइए किस नियम के तहत पोस्टर लगाये गये हैं? क्या कोई नियम किसी व्यक्ति के खिलाफ सार्वजनिक तौर पर आपको पोस्टर लगाने की इजाजत देता है? हाईकोर्ट ने कहा कि पब्लिक प्लेस पर बिना इजाजत लिये किसी की तस्वीर को नहीं लगाया जा सकता है. यह गलत है.
दरअसल, प्रदर्शन के दौरान सरकारी संपत्ति को हुई नुकसान की भरपाई के लिए लखनऊ प्रशासन ने कैसर बाग चौराहे पर पोस्टर लगाये थे, जिसमें 28 लोगों से वसूली करने की बात कही गयी थी. इस मामले में जिलाधिकारी (लखनऊ) अभिषेक प्रकाश ने कहा था कि हिंसा फैलाने वाले सभी जिम्मेदार लोगों के लखनऊ में पोस्टर व बैनर लगाये गये हैं. उन्होंने कहा सभी की संपत्ति की कुर्क की जायेगी. सभी चौराहों पर ये पोस्टर लगाए गये हैं, जिससे उनके चेहरे बेनकाब हो सकें. इस हिंसा में सरकार का लगभग 1 करोड़ 55 लाख रुपये नुकसान होने का आकलन किया गया है.
योगी ने वसूली करने का दिया था निर्देश- 19 दिसंबर को लखनऊ में हुई हिंसा के बाद सीएम योगी आदित्यनाथ ने दंगाईयों से वसूली करने की बात कही थी, जिसके बाद लखनऊ के एडीएम ने इसपर वसूली का नोटिस जारी किया था.