रांची : भारत के चुनाव आयोग ने झारखंड विकास मोरचा (प्रजातांत्रिक) के भाजपा में विलय को मंजूरी दे दी है. चुनाव आयोग में निबंधित राजनीतिक दलों की सूची से झाविमो को बाहर कर दिया गया है. झाविमो का चुनाव चिह्न कंघी छाप अगले आदेश तक फ्रीज कर दिया गया है़ इसके साथ ही पार्टी का निबंधन भी रद्द कर दिया गया है. पार्टी के दो विधायकों प्रदीप यादव व बंधु तिर्की को पार्टी विरोधी गतिविधियों के लिए निलंबित माना गया है. शुक्रवार देर शाम चुनाव आयोग के दिल्ली कार्यालय से इससे संबंधित आदेश जारी किया गया है.
इसकी सूचना राज्य निर्वाचन पदाधिकारी के कार्यालय को भेज दी गयी है. आदेश में कहा गया है कि झाविमो पर किसी भी व्यक्ति दावा प्रस्तुत नहीं किया था. आयोग ने माना है कि झाविमो के कुल तीन विधायकाें में से दो पार्टी विरोधी कार्यों की वजह से निलंबित किये गये. इसके बाद 14 फरवरी 2020 को भाजपा ने झाविमो के विलय की सूचना आयोग को दी थी.
21 फरवरी को आयोग ने राज्य चुनाव पदाधिकारी कार्यालय से विलय से संबंधित जानकारी मांगी थी. यह भी पूछा था कि झाविमो के टिकट पर जीतने वाले किसी विधायक ने पार्टी पर दावा तो नहीं किया है. इसके उत्तर में राज्य निर्वाचन पदाधिकारी ने झाविमो पर किसी के भी दावे से इंकार किया़ आयोग को बताया गया है कि 11 फरवरी को झाविमो की कार्यकारिणी ने विलय का प्रस्ताव पारित किया था. कार्यकारिणी के दो-तिहाई सदस्यों ने विलय के प्रस्ताव को मंजूरी दी थी.
आयोग विधानसभा से पूछ चुका है झाविमो की स्थिति : राज्य निर्वाचन पदाधिकारी के कार्यालय से विधानसभा से झाविमो की वर्तमान स्थिति पूछी गयी है. राज्य निर्वाचन को विधानसभा ने बताया है कि झाविमो के तीन विधायक सदन में है. इसके विलय की कोई सूचना विधानसभा को नहीं है. इससे संबंधित पत्र राज्य निर्वाचन पदाधिकारी को भेजने के बाद आयोग का यह पत्र आया है.
आयोग के पत्र में बंधु तिर्की को बाबूलाल तिर्की लिखा : चुनाव आयोग द्वारा जारी पत्र में बंधु तिर्की की जगह बाबूलाल तिर्की लिखा गया है. आयोग ने बताया है पार्टी के दो विधायक विरोधी गतिविधि के कारण निष्कासित किये गये है.
अब आगे क्या
आयोग विधानसभा से दुबारा झाविमो की स्थिति की जानकारी ले सकता है
आयोग भाजपा मेें विलय की मंजूरी के बाद जानना चाह सकता है कि अब क्या स्थिति
प्रदीप यादव व बंधु तिर्की को निष्कासित माने जाने के बाद भाजपा इनके कांग्रेस में शामिल होने पर सवाल उठा सकती है
भाजपा का दबाव अब विधानसभा के अंदर बढ़ेगा
स्पीकर विधायकों की सदस्यता तय करने को लेकर अधिकार रखते है
भाजपा विधानसभा के फैसले में देरी होने की सूरत में कोर्ट का रास्ता अख्तियार कर सकती है़