पटना : फाल्गुन मास के शुक्लपक्ष की एकादशी को रंगभरी एकादशी के नाम से जाना जाता है, जिसे आमलकी एकादशी भी कहते हैं.बाबा विश्वनाथ की नगरी काशी में इसे धूम-धाम से मनाया गया. कल गुरुवार के दिन बाबा विश्वनाथ माता गौरा के संग काशी भ्रमण पर निकले और पूरी काशी ने स्वागत में शिव व गौरा के साथ होली खेली.इसके साथ ही बनारस (काशी) में होली खेलने की शुरुआत हो गयी है.
मान्यताओं के अनुसार बाबा विश्वनाथ फाल्गुन माह के शुक्लपक्ष की एकादशी को ही माता गौरा को गौना कर पहली बार अपनी प्रिय नगरी काशी लाये थे और उसी खुशी में काशी उनके स्वागत में रंगभरी होली खेलती है. बाबा विश्वनाथ पूरे परिवार के साथ काशी भ्रमण पर निकले और भक्तों ने धूम धड़ाके के साथ बाबा विश्वनाथ को रंग लगाकर होली खेला.काशी का हर कोना हर -हर महादेव के नारे से गूंज उठा वहीं पूरी काशी रंगों से सराबोर हो गयी. इस साल रंगभरी एकादशी का शुभ मुहूर्त पांच मार्च को दोपहर एक बजकर अठ्ठारह मिनट से छ मार्च को सुबह ग्यारह बजकर सैंतालिस मिनट तक रहा.