लंदन : दिल्ली हिंसा मामले पर ब्रिटेन की निचली संसद हाउस ऑफ कॉमन्स में भी जोरदार बहस हुई. हाउस के कई सांसदों ने इस मुद्दे पर ब्रिटिश सरकार से हस्तक्षेप करने की मांग की, लेकिन सरकार ने अंतरराष्ट्रीय कानून का हवाला देकर हस्तक्षेप करने से इंकार कर दिया. हालांकि ब्रिटेन के विदेश राज्यमंत्री ने भारत सरकार से इस मुद्दे पर बात करने का आश्वासन जरूर दिया. संसद में लेबर पार्टी के नेता तनमनजीत सिंह ढेसी ने इस मामले को उठाते हुए ब्रिटिश सरकार से इसपर हस्तक्षेप करने की मांग की थी.
तनमनजीत ने संसद में कहा कि दिल्ली में जो हिंसा हो रही है, वो 1984 की सिख दंगा की याद दिला रही है. तनमनजीत ने आगे कहा कि दिल्ली की सड़कों पर एक वर्ग शांतिपूर्ण तरीके से प्रदर्शन कर रहे थे, जिसके बाद दूसरे वर्ग ने उन पर हिंसक हमला कर दिया, जिसके कारण स्थिति तनावपूर्ण हो गयी और दिल्ली में हिंसा भड़क गया. उन्होंने आगे कहा कि पूरे मामले में पुलिस की भूमिका भी सवालों के घेरे में है.
तनमनजीत के बयान पर जवाब देते हुए ब्रिटेन के मंत्री ने कहा कि जो भी बात कही गयी है, उसपर मैं भी कुछ नहीं कहूंगा, लेकिन अंतरराष्ट्रीय नियम और कानून में जो प्रावधान होगा, उसका प्रयोग कर इस मामले में भारतीय समकक्ष से बात किया जायेगा.
ऊपरी सदन में भी उठ चुका है मुद्दा– ब्रिटेन के ऊपरी सदन में भी तीन दिन पहले सीएए का मुद्दा उठाया जा चुका है. भारतीय मूल के सासंदों ने इस मुद्दे को उठाते हुए ब्रिटेन सरकार से हस्तक्षेप करने के लिए कहा था, लेकिन सरकार ने इस मांग को अंतरराष्ट्रीय कानून का हवाला देकर खारिज कर दिया था.
अब तक 45 से अधिक मौत– 24 और 25 फरवरी को उत्तर पूर्वी दिल्ली में हिंसा सीएए समर्थक और विरोधियों के बीच हिंसा भड़की थी, जिसके कारण अब तक 45 से अधिक लोगों की मौत हो गयी है. सरकार इस मामले में जांच के लिए एसआईटी गठन की घोषणा की है.