नयी दिल्ली : कोरोना वायरस का असर अब अर्थव्सवस्था पर भी दिखने लगा है. लगभग दो महीनों से चीनी सामान का आयात बंद है, जिसके कारण भारतीय बाजार में चीन से निर्मित सामान खत्म होने लगा है. एक रिपोर्ट के अनुसार, भारतीय बाजार में अब सिर्फ 10 दिनों का ही चीन से निर्मित सामान बचा है. हालांकि वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण किसी भी तरह की संकट से पहले ही इंकार कर चुकी है.
आइए जानते हैं कोरोना वायरस के कारण उद्योग जगत और कंपनियों पर क्या-क्या असर पड़ रहा है. कौल से सेक्टर बदहाल स्थिति में है?
टेक सेक्टर पस्त– कोरोना वायरस के कारण दुनियाभर के मोबाइल सेक्टर पर असर पड़ा है. एलसीडी,आईफोन,शायोमी, विवो, ओप्पो, हुवावे जैसी तमाम दुनिया की बड़ी-बड़ी टेक कंपनियां या तो चीन में मैन्युफैक्चरिंग करती हैं या वहां से पार्ट हासिल करती हैं. चीन दुनिया में मोबाइल फोन, कंप्यूटर और टेलीविजन का सबसे बड़ा उत्पादक है. कोरोना वायरस के प्रकोप की वजह से टेक कंपनियों की आपूर्ति में व्यवधान आया है.
हुंडई कारखाना बंद– दक्षिण कोरिया की वाहन कंपनी हुंडई ने पिछले सप्ताह अपने विशाल उलसान संयंत्र का परिचालन रोक दिया था. चीन में कोरोनावायरस के संक्रमण से औद्योगिक उत्पादन पर असर पड़ने से वाहनों के कल-पुर्जों की कमी होने का कारण कंपनी ने यह कदम उठाया. इस संयंत्र की क्षमता सालाना 14 लाख वाहन बनाने की है. कंपनी की इस फैसले से दक्षिण कोरिया में ही करीब 25 हजार कामगार बेरोजगार हो गये.
मंदी का खतरा– रिसर्च कंपनी मूडीज ने अनुमान व्यक्त किया था कि अगर कोराना वायरस की स्थिति नहीं सुधरी तो, वैश्विक मंदी आ सकती है, मूडीज ने इसके पीछे तर्क बताया है कि कोरोना के कारण चीन की जीडीपी गिरेगी, जिससे पूरा विश्व प्रभावित होगा. इसके अलावा, कोरोना वायरस ईरान में भी फैल चुका है, जिसके कारण कच्चे तेल की कीमत में बेहताशा कमी हो गयी है.
वैश्विक निर्यात में बड़ी भागीदारी- कोरोना वायरस के कारण अर्थव्यवस्था पर पड़ रहे असर का सबसे बड़ा कारण निर्यात क्षेत्र में चीन की भागीदारी है. चीन वैश्विक व्यापार में बड़ा देश है और वस्तुओं के कुल वैश्विक निर्यात में उसका योगदान करीब 13 प्रतिशत है.
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