रांची : राज्य के वित्त मंत्री रामेश्वर उरांव ने सोमवार को विधानसभा में वित्तीय वर्ष 2019-20 का आर्थिक सर्वेक्षण रिपोर्ट पेश की. इसमें झारखंड की आर्थिक और सामाजिक स्थिति का उल्लेख किया गया है. रिपोर्ट के मुताबिक झारखंड प्रति व्यक्ति आय के मामले में देश के 28 राज्यों में 25वें नंबर पर है. राज्य में बेरोजगारी दर राष्ट्रीय औसत से अधिक है. स्वास्थ्य के क्षेत्र में सुधार के बावजूद डेंगू, एचआइवी एड्स, मलेरिया जैसे रोगों में वृद्धि हुई है.
इसके अलावा मधुमेह, हाई ब्लड प्रेशर और दिल की बीमारी में भी तेजी से वृद्धि होने की बात कही गयी है. रिपोर्ट में राज्य गठन के बाद मातृत्व और शिशु मृत्यु दर में कमी दर्ज करने की बात की गयी है. राज्य के ग्रामीण क्षेत्रों में रहने वाले 82% अनुसूचित जाति परिवारों की मासिक आमदनी पांच हजार रुपये से कम है. पिछले दो वर्षों के दौरान कृषि की गतिविधियों में गिरावट दर्ज की गयी है.
रिपोर्ट में राज्य के विकास दर की चर्चा करते हुए कहा गया है कि 2014-15 में अर्थ व्यवस्था की औसत वार्षिक विकास दर 12.5% थी. 2018-19 तक यह घट कर औसत 5.7 प्रतिशत हो गयी. सर्वेक्षण रिपोर्ट में चालू वित्तीय वर्ष के दौरान विकास दर में आंशिक बढ़ोतरी की उम्मीद जतायी गयी है. विकास दर 7.2% होने का अनुमान किया गया है.
चालू वित्तीय वर्ष में महत्वपूर्ण तथ्य
राज्य के 82 फीसदी अनुसूचित जाति परिवारों की मासिक आय पांच हजार रुपये से भी कम
2014-15 में राज्य की विकास दर 12.5% थी, जो 2018-19 तक घटकर 5.7% हो गयी
मौजूदा राष्ट्रीय बेरोजगारी दर 6.1% है, जबकि झारखंड में बेरोजगारी दर 7.7% बतायी गयी
इन क्षेत्रों में सफलता
2011 में साक्षरता दर 46.4 प्रतिशत थी, जो 2017-18 में बढ़ कर 71.8 प्रतिशत हुई.
राज्य में प्रति व्यक्ति आय का ब्योरा
वित्तीय वर्ष तय दर पर वर्तमान मूल्य
2014-15 48,781 57,301
2015-16 44,524 52,754
2016-17 48,826 60,018
वित्तीय वर्ष तय दर पर वर्तमान मूल्य
2017-18 54,246 69,265
2018-19 57,157 76,019
2019-20 60,339 83,592
बिहार, यूपी और मणिपुर ही झारखंड से पीछे
रिपोर्ट में प्रति व्यक्ति आय के मामले में देश के 28 राज्यों में झारखंड 25वें पायदान पर है. केवल बिहार, यूपी व मणिपुर में ही प्रति व्यक्ति आय झारखंड के मुकाबले कम है. 2019 की रिपोर्ट के अनुसार 2015-16 में झारखंड की 46.5% आबादी गरीबी रेखा के दायरे में थी. यानी, 2015-16 में राज्य के 1.62 करोड़ लोग गरीबी रेखा के दायरे में थे. 82% अनुसूचित जाति परिवारों की मासिक आमदनी पांच हजार रुपये से कम है. जबकि, लातेहार, खूंटी, लोहरदगा व पाकुड़ में 92% से अधिक परिवारों की मासिक आमदनी 5000 रुपये से कम है.
झारखंड में बेरोजगारी दर राष्ट्रीय औसत से अधिक
भारत सरकार के आंकड़ों के हवाले से सर्वेक्षण रिपोर्ट में राष्ट्रीय बेरोजगारी दर 6.1% और झारखंड में बेरोजगारी दर 7.7% होने का उल्लेख है. झारखंड के ग्रामीण क्षेत्रों में बेरोजगारी दर 7.1% और शहरी क्षेत्रों में 10.7%है. जबकि, राष्ट्रीय स्तर पर शहरी क्षेत्र की बरोजगारी दर 7.8% और ग्रामीण क्षेत्र में 5.3% है. झारखंड में पुरुषों और महिलाओं की बेरोजगारी दर क्रमश: 8.2% और 5.2% है. राष्ट्रीय स्तर पर पुरुषों व महिलाओं में बेरोजगारी दर 6.2% व 7.5% है. झारखंड के श्रमिक बल का 61.3% स्वरोजगार के क्षेत्र में है. 23.6% अनियमित श्रमिक हैं.
साक्षरता दर बढ़ी, स्कूलों में नामांकन में वृद्धि
आर्थिक सर्वेक्षण रिपोर्ट में कहा गया है कि राज्य में साक्षरता दर बढ़ी है. 2011 में साक्षरता दर 46.4% थी, जो 2017-18 में बढ़ कर 71.8 प्रतिशत हुई. यह परिणाम स्कूली शिक्षा के सभी स्तरों पर नामांकन में हुई वृद्धि की वजह से आया है.