नयी दिल्ली : परंपरागत रूप से शारीरिक, मानसिक और आध्यात्मिक संतुलन के लिए किये जाने वाले योग को शांत वातावरण, स्वच्छ हवा में किया जाना उचित माना जाता है, लेकिन पारंपरिक बेड़ियों को तोड़ते हुए इन दिनों इसके अलग एवं अनोखे रूप लोगों को आकर्षित कर रहें हैं, जिनमें बियर योग, डॉग योग या डोगा, आर्टिस्टिक योग, एरियल योग, गोट योग और एक्रोयोग आदि काफी लोकप्रिय हैं.
दिल्ली के ‘द योग चक्रा’ की मालकिन कविता दास वसक का कहना है कि एरियल योग की बढ़ती लोकप्रियता में लोगों की जिज्ञासा का काफी बड़ा योगदान है. उन्होंने कहा, एरियल योग से योग में आनंद का पहलू जुड़ जाता है. लोग थोड़ा झिझकते हैं क्योंकि यह अलग है लेकिन साथ ही वे इसको लेकर उत्सुक भी रहते हैं.
डॉग योग से आपको अपने पालतू जानवरों के साथ अधिक समय बिताने का मौका मिलता है. अपने कुत्तों के साथ समय बिताने के लिए विशेष कार्यक्रम कराने वाले पॉसम पेट वेलनेस की शीर्ष मनोवैज्ञानिक नंदिता दास का कहना है इससे व्यायाम के साथ-साथ अपने पालतू जानवरों के साथ अधिक समय बिताने का मौका मिलता है.
एक्रो योग या एक्रोबेटिक योग एक्रोबेटिक्स, योग और थाई मालिश का एक मेल है. राष्ट्रीय राजधानी स्थित संस्था द दिल्ली रॉक के अनुराग तिवारी ने बताया कि योग का यह वैकल्पिक रूप करीब 10 वर्ष पहले विकसित हुआ था और हाल के वर्षों में एक्रो योग खासा लोकप्रिय हुआ है. एक्रोविन्यासा की लेवल 1 प्रमाणित प्रशिक्षक एलिना के अनुसार इन वैकल्पिक रूपों के उदय का श्रेय पारंपरिक अभ्यास की प्रकृति की स्थिरता को दिया जा सकता है.
एक्रोविन्यास पारंपरिक विन्यास योग और आधुनिक विपरीत प्रशिक्षण का मेल है. दूसरी ओर, ईशा फाउंडेशन के हर्षित मान का कहना है कि योग के ये सभी रूप पश्चिम की देन है, जिन्हें अक्सर शरीर तथा ऊर्जा की समझ के बिना किया जाता है. उन्होंने कहा, गलत तरीके से योग करने के कई तरीके हैं. इसमें सिर्फ शारीरिक अंश ही होता है.
आध्यात्मिक अंश इससे विलुप्त रहता है. इंडियन हेरिटेज सोसाइटी की निवेदिता जोशी का मानना है कि योग के ये सभी नये रूप ज्ञान की कमी की उपज हैं. उन्होंने कहा, ये नये तरीके योग को कमजोर कर रहे हैं. ये इन्हें पेश करने का गलत तरीका है, जो केवल इन्हें मजाक बना देता है जिसके परिणाम विनाशकारी होते हैं.