पटना : मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने बिहार को विशेष राज्य का दर्जा देने जाने की मांग एक बार फिर दोहरायी है. शुक्रवार को ओड़िशा की राजधानी भुवनेश्वर में आयोजित पूर्वी क्षेत्रीय परिषद की बैठक में नीतीश कुमार ने कहा कि बिहार समेत अन्य पिछड़े राज्यों को एक समय सीमा में पिछड़ेपन से उबारने और राष्ट्रीय औसत के करीब लाने के लिए केंद्र से सकारात्मक पहल की जरूरत है.
केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह की अध्यक्षता में हुई बैठक में उन्होंने कहा कि पिछले कुछ वर्षों में दोहरे अंक में विकास दर हासिल करने के बावजूद भी बिहार विकास के प्रमुख मापदंडों- गरीबी रेखा, प्रति व्यक्ति आय, औद्योगीकरण और सामाजिक एवं भौतिक आधारभूत संरचना में राष्ट्रीय औसत से नीचे है.
उन्होंने कहा कि पिछड़े राज्यों को मुख्य धारा में लाने के लिए नयी सोच के तहत आवश्यक नीतिगत ढांचा तैयार करने की तत्काल आवश्यकता है, ताकि वे भी देश के विकास में योगदान दे सकें. ओड़िशा के मुख्यमंत्री नवीन पटनायक और पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी की मौजूदगी में नीतीश कुमार ने कहा कि जिन राज्यों को विशेष श्रेणी के राज्य का दर्जा मिला है, उन राज्यों ने विकास के मामले में प्रगति की है.
पिछड़ेपन से निकल कर विकास के राष्ट्रीय औसत स्तर को करने के लिए बिहार और उसके जैसे अन्य पिछड़े राज्यों को विशेष राज्य का दर्जा मिलना आवश्यक है. उहोंने कहा कि हमने केंद्र सरकार के सामने अपनी मांग को पुरजोर दोहराया है.
नीतीश कुमार ने पूर्वी क्षेत्र के राज्यों के गौरवशाली इतिहास की चर्चा करते हुए कहा कि हमारी संस्कृति और विरासत एक जैसी है. ऐतिहासिक, राजनीतिक, सामाजिक और आर्थिक कारणों से वर्तमान परिस्थिति भी एक-सी है. कुछ समस्याएं भी समान हैं और हम सबको साथ मिलकर उनका हल निकालना है.
मुख्यमंत्री ने बताया कि ब्रिंगिंग ग्रीन रिवोल्युशन इन इस्टर्न इंडिया के तहत 2019-20 में बिहार को मात्र 52 करोड़ रुपये प्राप्त हुए हैं. उन्होंने इस योजना के तहत बिहार के लिए प्रति वर्ष हजार करोड़ रुपये जारी करने की मांग की.
उन्होंने कहा कि फसल अवशेष प्रबंधन के लिए पंजाब और हरियाणा की तरह बिहार को भी विशेष पैकेज में शामिल किया जाये. साथ ही इसके लिए उन्होंने बिहार को 200 करोड़ रुपये उपलब्ध कराने को कहा. नीतीश कुमार ने केंद्र सरकार से बिहार समेत पूर्वी राज्यों में कृषि के क्षेत्र में पर्याप्त निवेश की मांग की.
झारखंड से मिले पेंशन की राशि
मुख्यमंत्री ने झारखंड सरकार द्वारा पेंशन राशि के मामले में बिहार के हिस्से की राशि नहीं दिये जाने के मामला उठाया. कहा कि इस मामले में महालेखाकार के आंकड़े और गृह मंत्रालय के सुझाव के बाद झारखंड सरकार की आपत्ति का कोई औचित्य नहीं है. उन्होंने झारखंड सरकार से बिहार के हिस्से को लेकर सुप्रीम कोर्ट के निर्णय होने तक अंतरिम व्यवस्था के तहत 2017–18 तक की लगभग 310.52 करोड़ रुपये का भुगतान करने की मांग की.
बीआरजीएफ के 911.82 करोड़ हों जार
मुख्यमंत्री ने कहा कि वैशाली में रैपिड एक्शन फोर्स का वाहिनी मुख्यालय बनाने के लिए 50 एकड़ भूमि नि:शुल्क उपलब्ध करायी जा रही है. 29 एकड़ जमीन मुहैया भी करा दी गयी है. बाकी जमीन भी दो से तीन महीने में उपलब्ध करा दी जायेगी. उन्होंने केंद्रीय गृह मंत्री से वैशाली में जल्द दफ्तर खोले जाने का अनुरोध किया. उन्होंने केंद्र सरकार से पुलिस बलों के लिए स्पेशल इन्फ्रास्ट्रक्चर स्कीम पहले की तरह जारी रखने का अनुरोध किया. उन्होंने बिहार में तैनात सीआरपीएफ पर होनेवाले खर्च को केंद्र व राज्य द्वारा बराबर-बराबर वहन करने की मांग दोहरायी.
झारखंड और बंगाल की सरकारें शराब तस्करों पर सख्त कार्रवाई करें
मुख्यमंत्री ने बैठक में झारखंड और पश्चिम बंगाल की सरकारों से कहा कि वे बिहार की सीमा में अवैध शराब की आपूर्ति करने वाले तस्करों के खिलाफ सख्त कार्रवाई करने का अनुरोध किया. उन्होंने कहा कि बिहार में पूर्ण शराबबंदी लागू है. पहले दोनों राज्यों के मुख्यमंत्रियों से कार्रवाई करने का अनुरोध किया गया था.
उन्होंने 27 जून, 2016 को रांची में आयोजित पूर्वी क्षेत्रीय परिषद की बैठक में झारखंड और पश्चिम बंगाल राज्य से किये गये अनुरोध की याद दिलायी, जिसमें शराब की आवक बिहार राज्य में न हो सके, इसके लिए प्रशासनिक तंत्र को कड़े निर्देश देने की मांग की थी.
मुख्यमंत्री ने इस बात पर प्रसन्नता जाहिर की कि झारखंड से लगे गढ़वा, पलामू, चतरा, हजारीबाग, कोडरमा, गिरिडीह, देवघर, दुमका, गोड्डा व साहेबगंज जिलों में 2015–16 की तुलना में 2016–17, 2017–18 और 2018–19 में शराब दुकानों की मिनिमम गारंटी क्वाटिंटी में कमी आयी है. साथ ही यह भी कहा कि अवैध शराब की आवाजाही में कमी नहीं हुई है.
गया के डोभी, नवादा के रजौली, बांका के बॉसी, जमुई के चकाई व बटिया, पूर्णिया के दालकोला, किशनगंज के फरीमगोला, खगड़ा व ब्लॉकचौक चेकपोस्टों पर भी बड़ी संख्या में अवैध शराब ले जाते हुए वाहनों को पकड़ा है और भारी मात्रा में शराब जब्त होने की जानकारी दी.
उन्होंने झारखंड सरकार से बिहार की शराबबंदी का समर्थन करने की मांग करते हुए कहा कि राज्य की सीमा से 3.2 किमी के दायरे में शराब की किसी भी सरकारी दुकान का लाइसेंस बिना राज्य सरकार की अनुमति के नहीं दी जायेगी, का शत प्रतिशत पालन नहीं किया जा रहा है.