मुंबई : वैश्विक अर्थव्यवस्था पर कोरोना वायरस का प्रभाव बढ़ने की आशंका में दुनियाभर के बाजारों में निवेशकों की घबराहट भरी बिकवाली जारी रही. इस बिकवाली के चलते शुक्रवार को बंबई शेयर बाजार के सेंसेक्स में 1448.37 अंक की इतिहास की दूसरी सबसे बड़ी एकदिनी गिरावट दर्ज की गयी.
कोरोना वायरस के फैलते संक्रमण के कारण वैश्विक अर्थव्यवस्था के आर्थिक मंदी के चपेट में आने का जोखिम बढ़ गया है. इस कारण वैश्विक बाजार के लिए यह सप्ताह 2008 के आर्थिक संकट के बाद का दूसरा सबसे बुरा सप्ताह साबित हुआ है. इस वायरस का संक्रमण चीन से शुरू हुआ और अब न्यूजीलैंड, नाईजीरिया, अजरबैजान, नीदरलैंड, दक्षिण कोरिया, इटली, ईरान आदि समेत 57 देश इसकी चपेट में आ चुके हैं.
घरेलू शेयर बाजारों में लगातार छठे दिन गिरावट रही और सेंसेक्स 1448 अंक गिर गया. बीएसई के 30 शेयरों वाले संवेदी सूचकांक सेंसेक्स में कारोबार के दौरान एक समय 1525 अंक तक की गिरावट आ गई. हालांकि, कारोबार की समाप्ति पर यह अंतत: 1448.37 अंक यानी 3.64 प्रतिशत गिरकर 38,297.29 अंक पर बंद हुआ.
यह सेंसेक्स के इतिहास की दूसरी सबसे बड़ी एकदिनी गिरावट है. इससे पहले 24 अगस्त 2015 को सेंसेक्स 1624.51 अंक टूटा था. इसी तरह एनएसई का निफ्टी भी 431.55 अंक यानी 3.71 प्रतिशत गिरकर 11,201.75 अंक पर बंद हुआ. शेयर बाजार में मचे इस हाहाकार में निवेशकों के 5,45,452.52 करोड़ रुपये डूब गये. बीएसई में सूचीबद्ध कंपनियों का सम्मिलित बाजार पूंजीकरण गिरकर 1,46,94,571.56 करोड़ रुपये पर आ गया. यह बृहस्पतिवार को कारोबार की समाप्ति पर 1,52,40,024.08 करोड़ रुपये रहा था.
इस सप्ताह सेंसेक्स में 2,872.83 अंक यानी 6.97 प्रतिशत की गिरावट आयी है. निफ्टी भी सप्ताह के दौरान 879.10 अंक यानी 7.27 प्रतिशत गिरा है. सेंसेक्स की कंपनियों में टेक महिंद्रा में सबसे अधिक 8.14 प्रतिशत की गिरावट रही. इसके अलावा, टाटा स्टील में 7.57 प्रतिशत, महिंद्रा एंड महिंद्रा में 7.50 प्रतिशत, एचसीएल टेक में 6.98 प्रतिशत, बजाज फायनांस में 6.24 प्रतिशत और इंफोसिस में 5.95 प्रतिशत की बड़ी गिरावट देखने को मिलीं. सेंसेक्स की कंपनियों में सिर्फ आईटीसी के शेयर ही मजबूत हुए.
बीएसई के सभी समूहों में गिरावट रही. धातु, सूचना प्रौद्योगिकी, प्रौद्योगिकी, मूल सामग्रियां, उद्योग, ऊर्जा, वित्त, वाहन और बैंकिंग समूहों में 7.01 प्रतिशत तक की गिरावट दर्ज की गयी. जियोजीत फाइनेंशियल सर्विसेज के शोध प्रमुख विनोद नायर ने कहा, वायरस के संक्रमण के नये मामले सामने आने से दुनिया भर में निवेशकों की संपत्तियां डूबीं. घरेलू स्तर पर व्यापक स्तर पर बिकवाली हुई और धातु तथा सूचना प्रौद्योगिकी क्षेत्र की कंपनियों पर अधिक असर हुआ. उन्होंने कहा, बाजार अभी तक यह अनुमान नहीं लगा पाया है कि कोरोना वायरस के संक्रमण का अर्थव्यवस्था पर ठीक-ठाक कितना असर पड़ेगा.
यदि यह संकट और खिंच गया तो मध्यम अवधि के लिए जोखिम उपस्थित हो सकते हैं. विश्लेषकों के अनुसार, चीन के अलावा अन्य देशों में भी कोरोना वायरस का संक्रमण तेजी से फैलने से वैश्विक अर्थव्यवस्था पर इसके हो सकने वाले असर को लेकर निवेशक घबराये हुए हैं. इस वायरस से दुनिया भर में अब तक 83 हजार से अधिक लोग संक्रमित हो चुके हैं. विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों (एफपीआई) की जारी निकासी ने भी घरेलू शेयर बाजारों को कमजोर किया. प्राथमिक आंकड़ों के अनुसार, एफपीआई इस सप्ताह अब तक 9,389 करोड़ रुपये के शेयरों की शुद्ध बिकवाली कर चुके हैं.
एशियाई बाजारों में चीन के शंघाई कंपोजिट, हांगकांग के हैंगसेंग, दक्षिण कोरिया के कोस्पी और जापान के निक्की में 3.71 प्रतिशत तक की गिरावट रही. यूरोप के शेयर बाजार कारोबार के दौरान चार प्रतिशत तक की गिरावट में चल रहे थे. बृहस्पतिवार को अमेरिका के डाउ जोन्स इंडस्ट्रियल एवरेज 1190.95 अंक गिरकर बंद हुआ. यह इसके इतिहास की सबसे बड़ी एकदिनी गिरावट है. इस बीच कच्चा तेल 3.38 प्रतिशत गिरकर 49.98 डॉलर प्रति बैरल पर आ गया. रुपया भी कारोबार के दौरान 55 पैसे गिरकर 72.16 रुपये प्रति डॉलर पर चल रहा था.
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