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रांची : ब्लास्टिंग जोन में बस रहा सीयूजे कैंपस, क्रशरों से फैल रहा प्रदूषण, 28 को राष्ट्रपति करेंगे उदघाटन

राणा प्रताप रांची : कांके प्रखंड के चेरी-मनातू में वर्ष 2013 से निर्माणाधीन सेंट्रल यूनिवर्सिटी अॉफ झारखंड (सीयूजे) के नये एकेडमिक ब्लॉक का उदघाटन 28 फरवरी को राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद करेंगे. लेकिन, इस नये भवन के भविष्य को लेकर अभी से सवाल उठने लगे हैं. दरअसल, सीयूजे कैंपस ब्लास्टिंग जोन में बन रहा है. इसके […]

राणा प्रताप
रांची : कांके प्रखंड के चेरी-मनातू में वर्ष 2013 से निर्माणाधीन सेंट्रल यूनिवर्सिटी अॉफ झारखंड (सीयूजे) के नये एकेडमिक ब्लॉक का उदघाटन 28 फरवरी को राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद करेंगे. लेकिन, इस नये भवन के भविष्य को लेकर अभी से सवाल उठने लगे हैं.
दरअसल, सीयूजे कैंपस ब्लास्टिंग जोन में बन रहा है. इसके तीन तरफ पहाड़ हैं, जिनसे पत्थर निकालने का लीज कंपनियों को दिया गया है. पत्थर निकालने के लिए यहां ब्लास्ट किया जाता है. जिला खनन पदाधिकारी का दावा है कि पत्थर के खदान यूनिवर्सिटी कैंपस से 500 मीटर दूर हैं और इससे किसी तरह के नुकसान की आशंका नहीं है.
लेकिन यहां साफ देखा जा सकता है यूनिवर्सिटी कैंपस में बन रहे जिस बिल्डिंग का उदघाटन राष्ट्रपति करनेवाले हैं उसकी चहारदीवारी से ही पहाड़ सटा हुआ है और यह भी लीज पर दिया गया है. इसमें ब्लास्ट हुआ या क्रशर का काम शुरू हुआ, तो इसका सीधा असर इस कैंपस पर पड़ेगा.
यूनिवर्सिटी कैंपस में जानेवाले रास्ते में सबसे पहले बायीं अोर बड़े पैमाने पर पत्थर काटे जा रहे हैं. पत्थर तोड़ने के लिए ब्लास्टिंग की जा रही है. आसपास क्रशर भी लगे हैं, जहां से दिन भर पत्थरों की ढुलाई हो रही है.
इस कारण आसपास का इलाके में प्रदूषण फैल रहा है. साथ ही पहाड़ व घाटी की प्राकृतिक सुंदरता भी नष्ट हो रही है. गौरतलब है कि कैंपस में ही छात्र-छात्राओं के लिए हॉस्टल भी बने हैं. जानकारी मिली है कि जिला खनन पदाधिकारी (डीएमअो) ने हिंदू-कुश कंस्ट्रक्शन, हीरा लाल, विन्ध्यवासिनी और एक अन्य कंपनी को चेरी-मनातू व विवि कैंपस के आसपास पत्थरों की माइनिंग और क्रशर लाइसेंस दिया है.
दीक्षांत समारोह में शामिल होंगे राष्ट्रपति
राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद 28 फरवरी को सीयूजे दीक्षांत समारोह में भी शामिल होंगे. साथ ही कैंपस में बन सेंट्रल स्कूल बिल्डिंग का उदघाटन करेंगे. उदघाटन के मद्देनजर स्कूल बिल्डिंग को अंतिम रूप दिया जा रहा है. भवन में रंग रोगन के साथ-साथ सड़क का भी निर्माण कराया जा रहा है. साथ ही अन्य तैयारियां भी चल रही हैं.
एप्रोच रोड के लिए अब तक भूमि का अधिग्रहण नहीं
सीयूजे ने सरकार से रिंग रोड से परिसर तक पहुंचने के लिए जमीन अधिग्रहण कर 1.7 किमी लंबा एप्रोच रोड बनाने के लिए कई बार आग्रह किया. राज्यपाल से भी आग्रह किया गया. जिला स्तर पर भूमि अधिग्रहण कर विवि को उपलब्ध कराने के लिए सूचना जारी की गयी, लेकिन अब तक जमीन का अधिग्रहण नहीं हो सका है.
फलस्वरूप अभी नये परिसर में पहुंचने के लिए गांव के बीच की सड़क का इस्तेमाल करना पड़ रहा है. वर्ष 2009 से भवन निर्माण प्रक्रिया चलते रहने व बीच में कार्य रुक जाने से निर्माण कार्य में लगे संवेदक को भी नुकसान उठाना पड़ रहा है. क्योंकि, भवन को विवि को हैंडअोवर नहीं किया गया. इस भवन में लगी खिड़की, दरवाजे, रॉड, नल आदि को लोग उखाड़ कर ले जा रहे हैं.
तो खत्म हो जायेगी प्राकृतिक सुंदरता
जानकारों कहना है कि अगर जल्द से जल्द यहां पत्थरों की माइनिंग बंद नहीं की गयी, तो कोई कारण नहीं की यहां के पहाड़ गायब हो जायें और प्राकृतिक सुंदरता भी खत्म हो जाये. इधर, सीयूजे प्रशासन कैंपस के अंदर पड़े पत्थरों को जस के तस छोड़कर उसकी सुंदरता बरकरार रखने की कोशिश कर रहा है. पत्थरों की सजावट भी की जा रही है.
उग्रवादियों ने कंपनी साइट पर किया था हमला
अक्तूबर 2018 में कांके थाना क्षेत्र के मनातू गांव स्थित हिंदकुश कंस्ट्रक्शन कंपनी के क्रशर कैंप पर रात एक बजे नौ हथियारबंद उग्रवादियों ने जमकर उत्पात मचाया था. कई राउंड फायरिंग के बाद कंपनी की जेसीबी, बाइक व अन्य सामानों में आग लगा दी थी. उस वक्त कैंप में जो भी मजदूर या कर्मी दिखे उनके साथ उग्रवादियों ने मारपीट की थी. चार लोग घायल हुए थे. इसके बाद पुलिस ने कई दिनों तक वहां कैंप किया था.

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