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प्रशांत किशोर ने कहा- पितातुल्य हैं नीतीश कुमार, लेकिन भाजपा के हो गये पिछलग्गू

पटना : जदयू से निकाले जाने के 20वें दिन चुनावी रणनीतिकार प्रशांत किशोर ने मंगलवार को मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को पितातुल्य बताकर वैचारिक मतभेद की बात कुबूल की. प्रशांत किशोर ने नीति आयोग के आंकड़ों का हवाला देकर बिहार को विकास में अन्य राज्यों के मुकाबले पीछे बताया. उन्होंने भाजपा और जदयू गठबंधन पर कहा […]

पटना : जदयू से निकाले जाने के 20वें दिन चुनावी रणनीतिकार प्रशांत किशोर ने मंगलवार को मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को पितातुल्य बताकर वैचारिक मतभेद की बात कुबूल की. प्रशांत किशोर ने नीति आयोग के आंकड़ों का हवाला देकर बिहार को विकास में अन्य राज्यों के मुकाबले पीछे बताया.
उन्होंने भाजपा और जदयू गठबंधन पर कहा कि गांधी और गोडसे की विचारधारा एक साथ नहीं चल सकती. नीतीश कुमार से उन्होंने पूछा कि क्या वह किसी का पिछलग्गू बनकर रहना चाहते हैं? आगे की रणनीति के बारे में उन्होंने कहा कि कोई राजनीतिक पार्टी बनाने या किसी गठबंधन के लिए काम करने नहीं जा रहे. बिहार को अग्रणी राज्य बनाने के लिए वह 20 फरवरी से ‘बात बिहार की’ कार्यक्रम शुरू करेंगे. इसमें अगले 10 साल में करीब एक करोड़ लोगों को जोड़ेंगे.
विकसित बिहार बनाने में नीतीश कुमार और सुशील मोदी यदि लीड करना चाहें तो स्वागत है. अपनी कंपनी आइपैक के कार्यालय में संवाददाता सम्मेलन के दौरान प्रशांत किशोर ने कहा, नीतीश कुमार कहते रहे हैं कि वह गांधी, जेपी और लोहिया की विचारधारा नहीं छोड़ सकते हैं. क्या ऐसे में वह गोडसे की विचारधारा वालों के साथ खड़े हो सकते हैं? भाजपा के साथ खड़ा होना ठीक है, लेकिन गांधी और गोडसे की विचारधारा एक साथ नहीं चल सकती है.
उन्होंने कि बिहार में जदयू की पोजिशनिंग को लेकर मतभेद हुए. भाजपा और जदयू का 15 साल से संबंध है. हम ऐसा नेता चाहते हैं जो किसी का पिछलग्गू न हो और स्वतंत्र विचार रखे. कुछ लोग कहते हैं कि बिहार के विकास के लिए मूल बातों पर समझौता करना पड़े, तो कोई गुरेज नहीं होना चाहिए, लेकिन आपको देखना चाहिए कि क्या इस गठबंधन से बिहार का विकास हो रहा है.
अमित शाह के कहने पर जदयू में शामिल करने के सवाल पर प्रशांत किशोर ने नीतीश कुमार के बारे में कहा, ’70 साल की उम्र में अगर झूठ का सहारा ले रहे हैं तो पुत्र जैसा होने के नाते मैं उनकाे इसकी छूट देता हूं’.
उन्होंने कहा कि नीतीश कुमार के आने के बाद बिहार में बदलाव हुआ, लेकिन विकास की गति-मानक ऐसे नहीं रहे कि इसे बेहतर कहा जाये. नीतीश कुमार ने बच्चों को साइकिल और पोशाक बांटी, बच्चों को स्कूल तक पहुंचाया, लेकिन अच्छी शिक्षा नहीं दे पाये. एजुकेशन इंडेक्स में बिहार सबसे नीचे है.
पिछले 10 साल में हर घर में बिजली पहुंची, लेकिन देश के 900 किलोवाट के मुकाबले यहां हर परिवार को 202 किलोवाट बिजली मिलती है. प्रति व्यक्ति आय के मामले में 2005 में बिहार 22वें स्थान पर था, आज भी वहीं है. लालू प्रसाद के समय से मुकाबला तो ठीक है, लेकिन दूसरे राज्यों के मुकाबले कहां खड़े हैं, यह भी बताएं. उन्होंने फिर दोहराया कि बिहार में सीएए, एनपीआर और एनआरसी मौजूदा प्रारूप में लागू नहीं होंगे. लागू होने पर इसका विरोध करेंगे.
बिहार के युवा फेसबुक-ट्विटर चलाते हैं, तो गलत क्या
ट्विटर पर राय जाहिर करने के लिए पिछले दिनों नीतीश कुमार द्वारा आलोचना किये जाने का मामला उठाते हुए प्रशांत किशोर ने कहा कि बिहार के युवा अगर फेसबुक-ट्विटर चलाते हैं, तो इसमें क्या गलत है? बिहार हमेशा पोस्टकार्ड वाला ही राज्य बना रहे, यह मैं नहीं चाहता हूं. फेसबुक और ट्विटर पर सिर्फ गुजरात के लोगों का एकाधिकार नहीं. गुजरात के लोगों को सिखाने वाले भी बिहार के ही थे. आप क्यों चाहते हैं कि बिहार हमेशा गरीब ही रहे? यहां के लोग फेसबुक-ट्विटर और सोशल मीडिया न चलाएं.

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