किशनगंज : नियोजित शिक्षक सोमवार से अनिश्चितकालीन हड़ताल पर चले गये हैं. इस हड़ताल में नियोजित शिक्षकों का भी उन्हें सहयोग मिल रहा है. नियोजित शिक्षकों के हड़ताल से प्राथमिक, मध्य, माध्यमिक और उच्च माध्यमिक स्कूलों में पठन-पाठन ठप हो चुकी है. हड़ताल सफल बनाने को लेकर तमाम शिक्षक संगठनों द्वारा शिक्षक समन्वय समिति का गठन किया गया है.
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शिक्षकों की हड़ताल से स्कूलों में लटके ताले, प्रदर्शन
किशनगंज : नियोजित शिक्षक सोमवार से अनिश्चितकालीन हड़ताल पर चले गये हैं. इस हड़ताल में नियोजित शिक्षकों का भी उन्हें सहयोग मिल रहा है. नियोजित शिक्षकों के हड़ताल से प्राथमिक, मध्य, माध्यमिक और उच्च माध्यमिक स्कूलों में पठन-पाठन ठप हो चुकी है. हड़ताल सफल बनाने को लेकर तमाम शिक्षक संगठनों द्वारा शिक्षक समन्वय समिति का […]
हड़ताल के पहले दिन नियोजित शिक्षक संघ दिघलबैंक प्रखंड अध्यक्ष वजीर आलम के नेतृत्व में मोटरसयकिल रैली निकाली गयी. फिर बीआरसी तुलसिया में बैठक की और आंदोलन की कार्ययोजना बनायी गयी.
यह बैठक बिहार राज्य शिक्षक संघर्ष समन्वय समिति के तत्वाधान में आयोजित की गयी थी. इसमें एक बार फिर से अनिश्चितकालीन हड़ताल की घोषणा की गयी. नियोजित शिक्षकों का कहना हैं कि हड़ताल के दौरान स्कूलों में पठन-पाठन को ठप रखा जायेगा. इसके अलावे वीक्षण कार्य, बीएलओ, जनगणना सहित सभी कार्यों का बहिष्कार जारी है.
नियोजित शिक्षकों कि मांग
नियोजित शिक्षक समान काम, समान वेतन का मांग कर रहे है. रिटायरमेंट की उम्र 60 से बढ़ाकर 65 करने, राज्यकर्मियों का दर्जा देने, अनुकंपा, पेंशन सहित सात सूत्री मांगों को सरकार से मनवाने के लिए दबाव बना रहे हैं. ज्ञात हो कि नीतीश सरकार के कार्यकाल में निश्चित वेतन पर अनगिनत शिक्षक बहाल किये गये हैं. लेकिन, उन्हें अभी तक वेतनमान सहित अन्य सरकारी फायदों से वंचित रहना पड़ रहा हैं.
इस वजह से नियोजित शिक्षकों में आक्रोश हैं. बिहार राज्य प्रारंभिक शिक्षक संघ के दिघलबैंक प्रखंड अध्यक्ष वजीर आलम ने राज्य सरकार पर निशाना साधते हुए कहा कि शिक्षकों को सम्मान नहीं देने वालों का बुरा हश्र होना तय है. झारखंड इसका सबसे ताजा उदाहरण है. जब तक शिक्षक भूखा है ज्ञान का सागर सूखा है.
राज्य सरकार हठ धर्मिता पर अड़ी है. लिखित करार के पांच साल बाद भी सेवाशर्त का प्रकाशन नहीं होना सरकार की घोर लापरवाही को दर्शाता है. इन बार आर-पार की लड़ाई है, काम देश के भविष्य निर्माण का और वेतन चपरासी से भी कम अब ये नहीं चलेगा. नीतीश सरकार प्रदेश के चार लाख नियोजित शिक्षकों को समान काम के बदले समान वेतन दें.
अन्यथा स्कूलों में अनिश्चित काल के लिए ताला बंद रहेगा. वहीं विनय कुमार गणेश ने सरकार पर हमला करते हुए कहा कि सरकार जिस संविधान से चलती है, उसी में समान काम के बदले समान वेतन का वर्णन है. इसके बावजूद सरकार नियम कानून को ताक पर रखकर निरंकुश बनी हुई है. शक्ति कुमार सिन्हा ने कहा कि शिक्षकों के साथ इस तरह का बर्ताव बर्दाश्त से बाहर है. सरकार शिक्षकों की मांगों को मानकर तुरंत सेवा शर्त को लागू करें. इस अवसर पर प्रखंड के सैकड़ों शिक्षक, शिक्षिकाएं मौजूद थे.
पौआखाली प्रतिनिधि के अनुसार.
बिहार राज्य शिक्षक संघर्ष समिति के बैनर तले 17 फरवरी से आहूत हड़ताल के कारण प्रखंड के नियोजित शिक्षक हड़ताल पर चले गये हैं. जिस कारण क्षेत्र के विद्यालयों में पठन पाठन ठप रहा. विद्यालय सुनसान रहा, कुछेक विद्यालयों को छोड़कर लगभग सभी विद्यालय पूर्णतः बंद रहे.
प्रखंड शिक्षक संघर्ष समन्वय समिति ठाकुरगंज के उपाध्यक्ष अब्दुल मलिक ने बताया कि नियोजित शिक्षकों के न्यायोचित मांगों-समान काम का समान वेतन, सहायक शिक्षक का दर्जा समान सेवा शर्त, पुरानी पेंशन सहित अन्य मांगों के समर्थन में ‘बिहार राज्य शिक्षक संघर्ष समन्वय समिति’ पटना के आह्वान पर प्रखंड के सभी नियोजित शिक्षक हड़ताल में चले गये हैं.
उन्होंने कहा कि सरकार जब तक हमारी मांगों को नहीं मानती है, तब तक हमारा चरणबद्ध आंदोलन जारी रहेगा. उन्होंने कहा कि कुछ नियमित शिक्षक विद्यालय में पूर्णतः ताला बंदी नहीं किये संघ की ओर से उनसे अनुरोध किया गया है. हड़ताली शिक्षकों द्वारा प्रखंड के सभी नियमित शिक्षकों के घर-घर जाकर नियमित शिक्षकों के संगठन बिहार राज्य प्राथमिक शिक्षक संघ द्वारा भी इस हड़ताल में शामिल होने संबंधित घोषणा-पत्र को दिखाया जा रहा है.
साथ ही उन सभी से अपील किया जा रहा है कि वे भी बगैर भेदभाव के इस हड़ताल में शामिल होकर प्रखंड के तमाम विद्यालयों में पूर्ण तालाबंदी करवाने में सहयोग करें. कल से वे भी विद्यालय में ताला बंदी कर देंगे दूसरी ओर इस आंदोलन को कुचलने के लिए बिहार सरकार आनन-फानन में कई तरह के हथकंडे अपना रही है.
बताते चले कि अपनी मांगों को लेकर बिहार राज्य शिक्षक संघर्ष समन्वय समिति के आह्वान पर समान काम का समान वेतन एवं राज्यकर्मी का दर्जा लेने हेतु सूबे के 4 लाख शिक्षक हड़ताल में चले गये हैं. नियोजित शिक्षकों की मांग है कि जब तक समान काम समान वेतन, सहायक शिक्षक का दर्जा, समान सेवा शर्त, ऐच्छिक स्थानांतरण आदि सुविधाएं सरकार नियोजित शिक्षकों को नहीं देगी तब तक हमारा आंदोलन और उग्र होते जायेगा.
टेढ़ागाछ प्रतिनिधि के अनुसार.
बिहार राज्य शिक्षक संघर्ष समन्वय समिति टेढागाछ के आह्वान पर बीआरसी टेढागाछ के सामने समान काम समान वेतन जैसे मांगों को लेकर शिक्षक धरना पर डटे हैं. शिक्षकों का कहना है कि जब तक सरकार हमारी मांगों को मान नहीं लेती है, तब तक विद्यालयों में पूर्ण ताला बंदी पर शिक्षक डटे रहेंगे. सोमवार को टेढागाछ प्रखंड के सभी विद्यालयों में हड़ताल का असर सतप्रतिशत दिखाई पड़ा. कहीं भी विद्यालयों में बच्चे और शिक्षक नहीं मिले.
सोमवार के धरने में सभी संघों के अध्यक्ष, सचिव एवं सैकड़ों शिक्षक शिक्षिकाएं उपस्थित हुए. अबूनसर अध्यक्ष सचिव जेम्स मारुति, परिवर्तनकारी प्रारंभिक शिक्षक, राजेश पांडेय, सचिव बिहार पंचायत-नगर प्रारंभिक शिक्षक संघ, जकीअनवर, सचिव, टीएसयूएनएसएस, शिक्षक संघ, मो अख्तर खान, दिनेश यादव, जुगनु,समीम अख्तर, रघुनाथ, प्रभात कुमार, प्रियंका कुमारी, नवल किशोर, जगदीश, सुरेंद्र बैठा, अकबर आजाद, राकेश झा, विनय कुमार, अरुण कुमार, कैशर आलम, अरुण कुमार, कैशर हुसैन, रामजतन, ब्रजेश कुमार, सुधीर कुमार, प्रमेश्वर कुमार आदि सैकड़ों शिक्षकों ने हड़ताल के समर्थन में भाग लिया.
बहादुरगंज प्रतिनिधि के अनुसार.
नियमित शिक्षककर्मियों की भांति समान वेतनमान, सेवाशर्त व राज्यकर्मी का दर्जा देने देने जैसी मांग के साथ बिहार राज्य संघर्ष समन्वय समिति के आह्वान पर आहूत अनिश्चितकालीन हड़ताल के पहले दिन से ही पठन-पाठन ठप हो गया. समन्वय समिति की अपील पर आयोजित इस हड़ताल का असर प्राथमिक व मध्य विद्यालयों में देखा गया.
इस बीच अधिकांश ही नियमित शिक्षककर्मियों के मैट्रिक बोर्ड परीक्षा ड्यूटी में रहने के चलते प्रखंड, पंचायत व नप के शत-प्रतिशत विद्यालय परिसर में दिन भर ताले लटके रहे. चुनिंदे कुछ स्कूलों में नियमित शिक्षकों की उपस्थिति के बावजूद छात्र-छात्राओं की उपस्थिति नगण्य थी. मांगों के समर्थन में आयोजित इस हड़ताल में बिहार राज्य प्रारंभिक शिक्षक संघ व टेट स्टेट उतीर्ण नियोजित शिक्षक संघ के सदस्य शामिल हैं.
बिहार प्रारंभिक शिक्षक संघ बहादुरगंज इकाई के अध्यक्ष प्रमोद पांडे व सचिव अब्दुल कादिर ने बीआरसी के सामने सोमवार को आयोजित धरना व नारेबाजी के दौरान बताया कि अनिश्चितकालीन आंदोलन के पहले दिन से ही हड़ताल का व्यापक असर साबित हुआ. गंभीर मुद्दे पर जब तक सरकार हमारी वाजिब मांगों को पूरा नहीं करती तब तक समन्वय समिति के आह्वान पर आहूत ये हड़ताल व तालाबंदी जारी रहेगा. संघ के सदस्य अब और उपेक्षा बर्दाश्त नहीं कर सकते.
कोचाधामन प्रतिनिधि के अनुसार.
बिहार राज्य शिक्षक संघर्ष समन्वयन समिति के आह्वान पर प्रखंड क्षेत्र के सभी नियोजित शिक्षक अपने विभिन्न मांगों को लेकर सोमवार से आनिश्चितकालीन हड़ताल पर चले जाने से प्रखंड के लगभग सभी विद्यालयों में ताला लटका रहा. शिक्षकों के हड़ताल पर जाने विद्यालयों में बच्चों का पठन पाठन बाधित रहा.
वहीं प्रखंड शिक्षक संघर्ष समन्वयन समिति के सदस्यों का कहना है कि प्रखंड में हड़ताल पूर्ण रूप से सफल है. हड़ताल को लेकर शिक्षक व शिक्षिका जमकर नारे बाजी की. सभी शिक्षकों का कहना है कि जबतक सरकार हमें सहायक शिक्षक का दर्जा देते हुए राज्यकर्मी का दर्जा नहीं देती है, नियमित शिक्षक के समान सेवाशर्त व पुरानी पेंशन, अनुकंपा पर बहाली के साथ-साथ अंतरजिला स्थांतारण जैसी मांगों को पूरा नहीं करती हैं तबतक हड़ताल जाड़ी रहेगी.
शिक्षकों की हड़ताल आरंभ, धरना पर बैठे कर्मी, विद्यालय में पठन-पाठन बाधित
ठाकुरगंज. नियोजित शिक्षकों के सोमवार से अनिश्चितकालीन हड़ताल पर चले जाने के कारण प्रखंड में शिक्षण व्यवस्था चरमरा गयी है. बिहार राज्य शिक्षक संघर्ष समन्वय समिति के आह्वान पर नियोजित शिक्षकों के हड़ताल से प्राथमिक, मध्य, माध्यमिक विद्यालयों में पठन-पाठन ठप हो गया. हड़ताल सफल बनाने को लेकर तमाम शिक्षक संगठनों से जुड़े सदस्यों ने सोमवार को बीआरसी में धरना दिया. इस दौरान जमकर नारेबाजी हुई. नियोजित शिक्षकों का कहना हैं कि हड़ताल के दौरान स्कूलों में पठन-पाठन को ठप रखा जायेगा. समिति के प्रखंड अध्यक्ष इकबाल अहमद का कहना हैं कि समिति की तरफ से संपूर्ण प्रखंड में क्विक रिस्पांस टीम बनायी गयी है. इस टीम के सदस्य घूम घूम कर स्कूलों को बंद करवा रहे है. नियोजित शिक्षकों कि मांग नियोजित शिक्षक समान काम, समान वेतन का मांग कर रहे है. साथ ही, वे अन्य सात सूत्री मांगों को सरकार से मनवाने के लिए दबाव बना रहे हैं. ज्ञात हो कि नीतीश सरकार के कार्यकाल में निश्चित वेतन पर अनगिनत शिक्षक बहाल किये गये हैं. लेकिन, उन्हें अभी तक वेतनमान सहित अन्य सरकारी फायदों से वंचित रहना पड़ रहा हैं. इस वजह से नियोजित शिक्षकों में आक्रोश हैं. इस हड़ताल में प्रखंड के बी आर पी सहित सभी सी आर सी सी भी खुलकर शामिल हुए हैं. मौके पर मौजूद बीआर पी एजाज अनवर ने सभी हड़ताली को संबोधित करते हुए कहा कि इस प्रखंड के सभी शिक्षक हड़ताल को लेकर बगैर किसी संशय या दबावब के गोलबंद होकर अपनी मांग पूर्ण होने तक एकजुट रहेंगे.समन्वय समिति के अध्यक्ष मंडल व सचिव मंडल में शामिल ब्रजेश सिंह, इकबाल अहमद, अविनीत पाठक, नीलेश भारती,अब्दुल करीम के संग तपेश वर्मा, उज्जवल कुमार ने संयुक्त रूप से कहा कि प्रखंड के सभी शिक्षक-शिक्षिकायें अपनी मांग पूर्ण होने तक दृढ़ संकल्प के साथ अनिश्चितकाल तक एकजुट रहते हुए रोजाना अपनी-अपनी उपस्थिति बी आर सी के बाहर आयोजित होने वाले धरना-प्रदर्शन में दर्ज कराते रहेंगे. इन नेताओं ने स्पष्ट रूप से कहा कि उनकी एक ही मांग है कि उन्हें राज्यकर्मी का दर्जा मिले व नियमित शिक्षकों को मिल रहे वेतनमान के साथ-साथ उनकी ही सेवा शर्तों से उन्हें आच्छादित किया जाये. अभिभावकों से भी हुई अपील इसके अलावे सोशल मीडिया पर अभिभावकों के नाम अपील भी जारी किया गया है. जिसमें इन हड़ताली शिक्षकों ने अपने हड़ताल के समर्थन में तर्कों को देकर उन्हें समझाने का प्रयास किया है, ताकि समाज के सभी वर्गों का सहयोग भी इस हड़ताल को सफल बनाने में मिलना तय हो सके. ये थे मौजूद धरना-प्रदर्शन में सम्पा दास गुप्ता, जेबा आरा, शांति सुमन, बेबी कुमारी, सीता कुमारी, कुमारी निधि, पिंकी कुमारी, गोपा कुंडू, असफीना इकबाल, मोनिका पंडित, बेनजीर भुट्टो, प्रिया सुमन, राजलक्ष्मी राय, श्वेता भारती, अरुणा सिंह, इति देवी, सीमा कुमारी, नूतन, मधुलता, वसंती, तारा देवी, नजीफा, नाहिदा फारूकी, जीनत प्रवीण, गुलनाज बेगम, मीना कुमारी, आरती, भारती कुमारी, चयनिका घोषाल, मोनालिशा, पुष्पा कुमारी, स्नेहलता, चंदा दास, कल्पना कुमारी, निर्मला गुप्ता, सरिता कुमारी, जमीला खातून, रुखसाना, ज्योति कुमारी, मुर्शीदा, रिजवाना, प्रमिला, जीनत आरा, सगुफ्ता, साधना चौधरी, फरजाना बेगम, मंजीरा, नाहिदा बेगम, जिल्ले हुमा, शबनम कुमारी, गुड़िया कुमारी, मुमताज बेगम, रोजी बेगम, रिजवी सजेदा बेगम के साथ प्रवीण यादव, मदन मोहन प्रसाद, मो मसीहउज्जमा, मलेंद्र कुमार, उदय कुमार, धनवीर प्रसाद, गौरी शंकर सिंह, सरवर आलम, चंद्र दीप महतो आदि संकुल समन्वयकों सहित वाहिद आलम, सरफराज अहमद, तहसीन रजा, जमालुद्दीन, प्रणव कुमार, शिव कुमार पासवान, नवीन यादव, राजेश यादव, त्रिवेणी पंडित, जहिदुर रहमान, जमील अख्तर, जुनैद आलम, सरवर आलम, तनवीर आलम, अजय कुमार शर्मा, मीर अनीश, पंकज राम, मैनुल हक, आबिद हुसैन, हरमुज आलम, सुजीत कुमार, शोएब आलम, मुजफ्फर, अब्दुल मतीन, पुनीत यादव, शाहरुख अल्तमश, राहुल यादव, रामजीवन कुमार, प्रसंजीत कुमार, उपेन्द्र साह, उपेन्द्र राम, असकार आलम, बुलंद हाशमी, गंगानंद राय, मिराज आरिफ, मो हन्नान, धीरज कुमार, हृदय नारायण, हरदेव सिंह, गौरी शंकर सिंह, वरुण कुमार, पंचानंद सिंह, हैदर अली अंसारी, फरीद अहमद, रफीक आलम, सफीक आलम, दीप नारायण सिंह, अमित कुमार, प्रदीप दत्ता, राजेश झा, तारक पांडेय, वसंत राय, सरोज कुमार, नईमुद्दीन, अंसरुल हक, कुमार संत राजेश, नुमान केशर, मो मुर्सलीन, अलबेला पासवान, सुगांती, बिमल कृष्ण दास, अमर राय, ललिंद्र पासवान, दिवाकर सिंह, अब्दुल मालिक, हीरा लाल महतो, नीलेश कुमार, मो सादिक आलम, नवलेश कुमार, राकेश कुमार राय, तरुण सिंह, सुरेंद्र सिंह, मनमोहन कुमार, मांगन दास, मुज्तर आलम, मनोज कुमार, अर्जुन पासवान, दयाशंकर सिंह, देवोत्तम कुमार, मो अफसर अली, विनोद कुमार, साकिब सदानी, शाहनवाज, संजीत कुमार आदि सैकड़ों शिक्षक मौजूद रहें.
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