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जेवीएम! नाम तो सुना ही होगा, 22 विधायक दिये झारखंड को

रांची : भाजपा से अलग होने के बाद झारखंड विकास मोरचा ने विधानसभा का तीन चुनाव लड़ा. झारखंड विकास मोरचा का गठन बाबूलाल मरांडी के नेतृत्व में जून 2006 हुआ था. भाजपा से अलग होने के बाद श्री मरांडी के नेतृत्व में पार्टी ने 2009, 2014 और 2019 का चुनाव लड़ा. 2019 के चुनाव में […]

रांची : भाजपा से अलग होने के बाद झारखंड विकास मोरचा ने विधानसभा का तीन चुनाव लड़ा. झारखंड विकास मोरचा का गठन बाबूलाल मरांडी के नेतृत्व में जून 2006 हुआ था. भाजपा से अलग होने के बाद श्री मरांडी के नेतृत्व में पार्टी ने 2009, 2014 और 2019 का चुनाव लड़ा.
2019 के चुनाव में पार्टी का प्रदर्शन सबसे खराब रहा. 2009 में झारखंड विकास मोरचा के 11 विधायक जीते थे. 2014 के चुनाव में आठ विधायक जीते थे. 2019 के दिसंबर में हुए चुनाव में पार्टी के मात्र तीन विधायक ही जीत सके. 2009 के चुनाव में झारखंड विकास मोरचा 25 सीटों पर चुनाव लड़ी थी. दो सीटों पर पार्टी की जमानत जब्त हो गयी थी.
कुल नौ लाख 23 हजार से अधिक मत मिला था. जिन सीटों पर पार्टी ने चुनाव लड़ा था, उसमें पार्टी को राज्य पार्टियों में सबसे अधिक 28.24 फीसदी मत मिला था. कुल सीटों के अाधार पर झाविमो को 8.99 फीसदी मत मिल पाया था. 2014 के चुनाव में पार्टी ने पूरे राज्य में 74 सीटों पर चुनाव लड़ा था. इसमें पार्टी को आठ सीटें मिली थी. इसमें छह विधायक भाजपा में चले गये थे. इस चुनाव में झाविमो के 55 प्रत्याशियों की जमानत जब्त हो गयी थी.
इस चुनाव में सभी सीटों के हिसाब से झाविमो को कुल 9.99 फीसदी मत मिला था. जिन सीटों पर पार्टी चुनाव लड़ी थी, वहां के हिसाब से पार्टी को 11.06 फीसदी मत मिला था. 2019 के चुनाव में झाविमो तीन सीटों पर ही जीत पायी थी. पार्टी गठन के बाद पहली बार 81 सीटों पर बाबूलाल ने प्रत्याशी उतारा था. इसमें 76 प्रत्याशियों की जमानत जब्त हो गयी थी. पार्टी को कुल मत का मात्र 5.45 फीसदी ही मत मिल पाया था.
मात्र एक लोकसभा सीट जीत पायी थी पार्टी
झाविमो गठन के बाद लोकसभा के चुनाव में पार्टी का प्रदर्शन बहुत प्रभावशाली नहीं रहा था. पार्टी से एक बार केवल बाबूलाल मरांडी की चुनाव जीत पाये थे.
2019 और 2014 के लोकसभा चुनाव में वह कोडरमा सीट से हार गये थे. 2006 में पार्टी छोड़ने के बाद श्री मरांडी ने 2006 में कोडरमा से उप चुनाव लड़ा था. इसमें वह झाविमो के टिकट से सांसद चुने गये. 2009 में वह दोबारा झाविमो के टिकट से सांसद चुने गये.

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