<figure> <img alt="एवरेस्ट" src="https://c.files.bbci.co.uk/156BC/production/_110904778_bb4c4a53-4c3c-433a-8de8-899a25f16849.jpg" height="549" width="976" /> <footer>AFP</footer> </figure><p>एवरेस्ट समेत हिमालय की पांच अन्य चोटियों से लगभग 35 हज़ार किलोग्राम कचरा हटाने की योजना का नेपाल में भारी विरोध हो रहा है. </p><p>सरकार की इस योजना का विरोध करने वालों में वहां के जाने-माने पर्वतारोही भी शामिल हैं. सरकार का कहना है कि इस काम के लिए सेना का इस्तेमाल किया जाएगा. इसमें 75 लाख डॉलर का ख़र्च आने का अनुमान है.</p><p>पिछले साल सेना ने इस क्षेत्र से 10 हज़ार किलो कचरा हटाया गया था, लेकिन दुनिया की सबसे ऊंची चोटी को रिकॉर्ड 24 बार फ़तह करने वाले कामी रीता शेरपा कहते हैं कि सेना के पास ऊंची चोटियों पर पहुंचने की दक्षता नहीं है.</p><p>शेरपा ने बीबीसी नेपाली को बताया, "उन्होंने कम ऊंचाई वाले इलाक़ों से ही कचरा हटाया है. अधिक ऊंचाई से कचरा हटाना है तो इस काम के लिए शेरपा इस्तेमाल करने चाहिए."</p><p>"केवल शेरपा गाइड और कुली ही इस काम को कर सकते हैं. पहाड़ों को साफ़ करने के लिए उन्हें उचित पैसा भी दिया जाना चाहिए."</p> <ul> <li><a href="https://www.bbc.com/hindi/india-40399536?xtor=AL-73-%5Bpartner%5D-%5Bprabhatkhabar.com%5D-%5Blink%5D-%5Bhindi%5D-%5Bbizdev%5D-%5Bisapi%5D">एवरेस्ट नापा भारतीय ने, वाहवाही अंग्रेज़ ले गया</a></li> </ul> <ul> <li><a href="http://www.bbc.co.uk/hindi/international/2016/08/160831_fake_everest_indian_mountaineer_ban_ml?xtor=AL-73-%5Bpartner%5D-%5Bprabhatkhabar.com%5D-%5Blink%5D-%5Bhindi%5D-%5Bbizdev%5D-%5Bisapi%5D">’नकली तस्वीर से फतह किया एवरेस्ट'</a></li> </ul><figure> <img alt="पर्वत" src="https://c.files.bbci.co.uk/116D/production/_110916440_b794b30a-5c8f-47af-a5d2-52ba1ca494fe.jpg" height="549" width="976" /> <footer>AFP</footer> </figure><h1>क्या है योजना</h1><p>नेपाल सरकार की योजना है कि एवरेस्ट, ल्होत्से, पुमोरी, अमादब्लम, मकालू और धौलागिरी चोटियां हर साल दुनिया भर के पर्वतारोहियों को आकर्षित करती हैं.</p><p>ये पर्वतारोही चढ़ाई के अभियान में इस्तेमाल होने वाली ऑक्सीजन और खाना पकाने वाली गैस के खाली सिलेंडरों, पर्वतारोहण के साजो-सामान और अन्य कचरे को वहीं छोड़ देते हैं.</p><p>इन चोटियों पर चढ़ना काफ़ी ख़तरनाक है. हर साल बड़ी संख्या में लोगों की जान जाती है. 2019 में एवरेस्ट पर 11 लोगों की मौत हुई थी. इनमें से कई के शव पहाड़ों पर ही रह जाते हैं. सफ़ाई अभियान के तहत इन शवों को भी लाया जाएगा.</p><p>लेकिन ऊंची जगहों से चीज़ों को नीचे लाना आसान काम नहीं है. कई बार तो सामान, शव और कचरा वगैरह दशकों तक बर्फ़ के नीचे दबा रहता है.</p><p>21 बार एरवरेस्ट जा चुके पुरबा ताशी शेरपा कहते हैं, "पहाड़ों को नापने वाले शेरपा ही चोटियों को साफ़ करने के काम के लिए सही रहेंगे. सरकार को यह बात ध्यान में रखनी चाहिए."</p> <ul> <li><a href="https://www.bbc.com/hindi/international-40081593?xtor=AL-73-%5Bpartner%5D-%5Bprabhatkhabar.com%5D-%5Blink%5D-%5Bhindi%5D-%5Bbizdev%5D-%5Bisapi%5D">जब एवरेस्ट से आया हिलेरी को फ़ोन</a></li> </ul> <ul> <li><a href="https://www.bbc.com/hindi/international-39908518?xtor=AL-73-%5Bpartner%5D-%5Bprabhatkhabar.com%5D-%5Blink%5D-%5Bhindi%5D-%5Bbizdev%5D-%5Bisapi%5D">सबसे ज़्यादा बार एवरेस्ट फ़तह करने वाली महिला</a></li> </ul><figure> <img alt="एवरेस्ट" src="https://c.files.bbci.co.uk/14605/production/_110916438_88b7f916-23e2-4d77-88cd-3e3f1f782ab6.jpg" height="549" width="976" /> <footer>AFP</footer> </figure><h1>क्या कहती है नेपाली सेना</h1><p>नेपाल की सेना के प्रवक्ता बिज्ञान देव पांडे ने कहा कि वह आश्वस्त हैं कि उनकी टीम इस साल चलने वाले सफ़ाई अभियान के तहत ऊंचे इलाक़ों तक पहुंच जाएगी. यह अभियान पांच जून तक ख़त्म हो जाएगा.</p><p>उन्होने बीबीसी नेपाली को बताया, "हम अपनी ग़लतियों से सीख रहे हैं और ऊंची जगहों पर जाकर पहाड़ों को साफ़ करने के लिए कड़ी मेहनत कर रहे हैं."</p><p>नेपाल की सरकार ने भी कुछ ऐसे क़दम उठाए हैं ताकि लोगों को कचरा न फैलाने के लिए प्रेरित किया जाए. उन्हें 400 डॉलर जमा करवाने के लिए कहा जाता है और फिर यह रकम तभी लौटाई जाती है जब वे अपना कचरा वापस लेकर आते हैं.</p><p>लेकिन शेरपा कहते हैं कि यह काम आसान नहीं है. वह कहते हैं कि काफ़ी दक्षता होने के बावजूद उन्हें मुश्किलें पेश आती हैं.</p><p>आंग त्शेरिंग शेरपा नेपाल माउंटेनीयरिंग एसोसिएशन के पूर्व अध्यक्ष हैं. उन्होंने बीबीसी को बताया, "ख़ाली सिलेंडरों या शवों को ऊंचाई पर स्थित कैंपों से नीचे तक लाना बहुत ही मुश्किल होता है."</p><p>"शेरपा ऐसा करने के लिए कई बार अपनी ज़िंदगी पर दांव पर लगा देते है. जमे हुए अधिकतर शवों का वज़न 150 किलोग्राम से अधिक होता है. शेरपाओं के लिए इन्हें नीचे तक लाना काफ़ी मुश्किल होता है."</p><figure> <img alt="स्पोर्ट्स विमेन ऑफ़ द ईयर" src="https://c.files.bbci.co.uk/12185/production/_110571147_footerfortextpieces.png" height="281" width="976" /> <footer>BBC</footer> </figure><p><strong>(बीबीसी हिन्दी के एंड्रॉएड ऐप के लिए आप </strong><a href="https://play.google.com/store/apps/details?id=uk.co.bbc.hindi">यहां क्लिक</a><strong> कर सकते हैं. आप हमें </strong><a href="https://www.facebook.com/bbchindi">फ़ेसबुक</a><strong>, </strong><a href="https://twitter.com/BBCHindi">ट्विटर</a><strong>, </strong><a href="https://www.instagram.com/bbchindi/">इंस्टाग्राम </a><strong>और </strong><a href="https://www.youtube.com/user/bbchindi">यूट्यूब</a><strong>पर फ़ॉलो भी कर सकते हैं.)</strong></p>
एवरेस्ट से कचरा हटाने की योजना का क्यों विरोध कर रहे हैं शेरपा
<figure> <img alt="एवरेस्ट" src="https://c.files.bbci.co.uk/156BC/production/_110904778_bb4c4a53-4c3c-433a-8de8-899a25f16849.jpg" height="549" width="976" /> <footer>AFP</footer> </figure><p>एवरेस्ट समेत हिमालय की पांच अन्य चोटियों से लगभग 35 हज़ार किलोग्राम कचरा हटाने की योजना का नेपाल में भारी विरोध हो रहा है. </p><p>सरकार की इस योजना का विरोध करने वालों में वहां के जाने-माने पर्वतारोही भी शामिल हैं. सरकार का कहना है कि इस काम […]
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