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कश्मीर पर एस. जयशंकर ने अमरीकी सांसद को कहा, ‘सिनेटर, आप परेशान न हों..’

<p>जर्मनी के म्यूनिख शहर में आयोजित सुरक्षा सम्मेलन में भारत प्रशासित कश्मीर की मौजूदा स्थिति का मसला भी उठा. </p><p>सम्मेलन में एक पैनल डिस्कशन के दौरान अमरीकी सांसद लिंडसे ग्राहम ने भारत के विदेश मंत्री एस. जयशंकर की ओर मुख़ातिब होते हुए कहा, &quot;भारत तेज़ी से आगे बढ़ रहा है. आप अपनी परेशानियों का सामना […]

<p>जर्मनी के म्यूनिख शहर में आयोजित सुरक्षा सम्मेलन में भारत प्रशासित कश्मीर की मौजूदा स्थिति का मसला भी उठा. </p><p>सम्मेलन में एक पैनल डिस्कशन के दौरान अमरीकी सांसद लिंडसे ग्राहम ने भारत के विदेश मंत्री एस. जयशंकर की ओर मुख़ातिब होते हुए कहा, &quot;भारत तेज़ी से आगे बढ़ रहा है. आप अपनी परेशानियों का सामना उसी तरह कर रहे हैं जैसे हम अपनी परेशानियों का करते हैं. आपने लोकतांत्रिक तरीक़ा चुना है.&quot; </p><p>&quot;लेकिन जब बात कश्मीर की आती है तो मुझे समझ नहीं आता कि यह ख़त्म कैसे होगा लेकिन ये तो निश्चित है कि दो अलग-अलग लोकतंत्र इसे अलग-अलग तरह से ख़त्म करेंगे. अगर आप उस कॉन्सेप्ट को यहां साबित कर सकें तो मुझे लगाता है कि लोकतंत्र को बताने का सबसे अच्छा तरीक़ा होगा.&quot; </p><p><a href="https://twitter.com/ANI/status/1228523258888278016">https://twitter.com/ANI/status/1228523258888278016</a></p><p>इसके जवाब में बिना एक पल गंवाए भारत के विदेश मंत्री एस जयशंकर ने कहा, &quot;सिनेटर, आप परेशान ना हों. एक लोकतंत्र इसे सुलझा लेगा और आप ये जानते हैं कि वो कौन सा होगा…&quot;</p><p>उन्होंने कहा कि भारत कश्मीर मुद्दे को ख़ुद से ही सुलझा लेगा.</p><p>म्यूनिख में चल रहे सम्मेलन में एक पैनल डिस्कशन के दौरान जम्मू-कश्मीर के मुद्दे पर रिपब्लिकन सीनेटर ग्राहम ने कहा कि अगर आप लोकतंत्र साबित करना चाहते हैं तो सबसे अच्छा तरीक़ा यही होगा कि आप कश्मीर मुद्दे को लोकतांत्रिक तरीक़े से हल करें. </p><p><a href="https://twitter.com/ANI/status/1228516598740209664">https://twitter.com/ANI/status/1228516598740209664</a></p><p>इसी <a href="https://www.youtube.com/watch?v=0In57pOK1Pk">बातचीत</a> के दौरान जयशंकर ने यह भी कहा कि इतिहास की तुलना में अभी के समय अमरीका की विश्वसनीयता में निश्चित तौर पर कमी आयी है और यह बहुत अधिक आश्चर्यचकित करने वाली बात नहीं है क्योंकि बीते 75 सालों में बहुत कुछ बदला है और काफ़ी चीज़ें अब भी उतनी ही अच्छी हैं जितनी वो पहले थीं लेकिन इस ओर ‘कुछ’ ना ‘कुछ’ तो ज़रूर किया जाना चाहिए.</p><p>इस दौरान उन्होंने बहुपक्षवाद और राष्ट्रवाद पर भी अपनी बात रखी. </p> <ul> <li><a href="https://www.bbc.com/hindi/india-51513221?xtor=AL-73-%5Bpartner%5D-%5Bprabhatkhabar.com%5D-%5Blink%5D-%5Bhindi%5D-%5Bbizdev%5D-%5Bisapi%5D">कश्मीर पर तुर्की के रुख से भारत ख़फ़ा, दिया जवाब</a></li> <li><a href="https://www.bbc.com/hindi/international-51502029?xtor=AL-73-%5Bpartner%5D-%5Bprabhatkhabar.com%5D-%5Blink%5D-%5Bhindi%5D-%5Bbizdev%5D-%5Bisapi%5D">पाकिस्तानी संसद में अर्दोआन ने कश्मीर को अपना बताया तो बजती रहीं तालियां</a></li> </ul><p>राष्ट्रवाद के संदर्भ में उन्होंने कहा कि इसे लेकर कोई सवाल ही नहीं है कि दुनिया में राष्ट्रवाद बढ़ा है. अमरीका, चीन समेत कई देशों का इस पर ज़ोर है. ज़ाहिर है कि राष्ट्रवाद को बड़े स्तर पर स्वीकारोक्ति मिली है. </p><p><a href="https://twitter.com/DrSJaishankar/status/1228584652409069568">https://twitter.com/DrSJaishankar/status/1228584652409069568</a></p><p>इस सम्मेलन और पैनल से इतर एस. जयशंकर ने प्रतिनिधि सभा की अध्यक्ष नैन्सी पैलोसी से भी मुलाक़ात की. जिसके बारे में उन्होंने ट्वीट करते हुए लिखा, &quot;भारत-अमरीका के संबंधों के प्रति उनका निरंतर सहयोग, उसे मज़बूती देने वाला एक बड़ा और अहम स्रोत रहा है.&quot;</p><p><strong>क्या है म्यूनि</strong><strong>ख</strong><strong> सिक्योरिटी कॉन्फ्रेंस </strong></p><p>म्यूनिख सिक्योरिटी कॉन्फ्रेंस का आयोजन वार्षिक स्तर पर किया जाता है. इस सम्मेलन में अंतरराष्ट्रीय सुरक्षा नीतियों पर चर्चा होती है. यह सम्मेलन साल 1963 से आयोजित किया जा रहा है. </p> <ul> <li><a href="https://www.bbc.com/hindi/india-51389241?xtor=AL-73-%5Bpartner%5D-%5Bprabhatkhabar.com%5D-%5Blink%5D-%5Bhindi%5D-%5Bbizdev%5D-%5Bisapi%5D">जम्मू कश्मीर: राजनीतिक बर्फ़ कब पिघलेगी?</a></li> <li><a href="https://www.bbc.com/hindi/india-51292085?xtor=AL-73-%5Bpartner%5D-%5Bprabhatkhabar.com%5D-%5Blink%5D-%5Bhindi%5D-%5Bbizdev%5D-%5Bisapi%5D">कश्मीर: जहां दिहाड़ी मज़दूरी करने के लिए मजबूर है पत्रकार</a></li> </ul><p>सुरक्षा नीतियों पर चर्चा का यह अपनी तरह का सबसे बड़ा मंच है. हर साल यहां दुनिया के तमाम बड़े नेता ख़ासकर सुरक्षा नीतियों पर चर्चा के लिए जुटते हैं. </p><p>इस साल 14 से 16 फ़रवरी तक चलने वाले इस सम्मेलन में हर साल की तरह वैश्विक कूटनीति पर चर्चा करने के लिए दुनिया के अलग-अलग देशों के राजनेता, वैज्ञानिक और प्रतिष्ठित लोग जुटे हैं. </p><figure> <img alt="स्पोर्ट्स विमेन ऑफ़ द ईयर" src="https://c.files.bbci.co.uk/12185/production/_110571147_footerfortextpieces.png" height="281" width="976" /> <footer>BBC</footer> </figure><p><strong>(बीबीसी हिन्दी के एंड्रॉएड ऐप के लिए आप </strong><a href="https://play.google.com/store/apps/details?id=uk.co.bbc.hindi">यहां क्लिक</a><strong> कर सकते हैं. आप हमें </strong><a href="https://www.facebook.com/bbchindi">फ़ेसबुक</a><strong>, </strong><a href="https://twitter.com/BBCHindi">ट्विटर</a><strong>, </strong><a href="https://www.instagram.com/bbchindi/">इंस्टाग्राम</a><strong> और </strong><a href="https://www.youtube.com/bbchindi/">यूट्यूब</a><strong> पर फ़ॉलो भी कर सकते हैं.</strong><strong>)</strong></p>

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