पटना : स्वास्थ्य मंत्री मंगल पांडेय ने राजद सुप्रीमो लालू प्रसाद के आशिक मिजाज वाले गाने पर कटाक्ष करते हुए कहा है कि ‘दिल की तन्हाई को आवाज लगा लेता हूं, दर्द जब हद से गुजरता है तो गा लेता हूं.’ उन्होंने कहा कि ‘आशिकी’ फिल्म का यह गाना ‘चाहत’ फिल्म के गाने की तरह उनकी तन्हाई और बेबसी को दर्शाता है. आज गाना गाकर लालू प्रसाद जिस तरह से अफसोस जाहिर कर रहे हैं, अगर वे अपने शासनकाल में लूट छोड़ विकास का गीत गाते, तो उन्हें आज जेल में यह गाना नहीं गाना पड़ता.
यह बात दीगर है कि लालू प्रसाद न तो शायर बन सके और न ही गायक, परंतु वास्तविक लाइफ में असली काॅमेडीमैन और खलनायक जरूर बन गये. देश और दुनिया को भले ही रूपहले पर्दे पर उनकी फिल्में देखने का मौका नहीं मिला हो, लेकिन जीवंत सिनेमा कई वर्षों तक लगातार देखते रहे. असल सिनेमा में न सिर्फ लालू किरदार होते थे, बल्कि पटकथा भी खुद लिखते थे. यहीं नहीं मुख्यमंत्री आवास को उन्होंने रंगमंच बना डाला था. जहां से अपहरण, अपराध और डरावनी जैसी असली फिल्मों का रिहर्सल होता था. सहयोगी कलाकार भी कोई और नहीं लालू के खास रिश्तेदार और बाहुबली नेता होते थे. राजद सुप्रीमो गाना गायें या कव्वाली, 2020 में उनके बेटे की बहाली नहीं होने वाली है.