जमशेदपुर : खुद्दार जैसी हिट फिल्म देने वाले निर्माता-निर्देशक डॉ इकबाल दुर्रानी एक बार फिर से मायानगरी में सक्रिय हो गये हैं. इस बार वे फिल्म घाटशिला लेकर आ रहे हैं. शनिवार को यूनाइटेड क्लब बिष्टुपुर में संवाददाता सम्मेलन को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा कि यह फिल्म नक्सली कान्हू मुंडा पर आधारित होगी. मुख्य भूमिका (पुलिस ऑफिसर) में जॉन इब्राहिम रहेंगे. उनकी नजर में कान्हू के किरदार में नवाजुद्दीन फिट रहेंगे. मुख्य नायिका में बिहार की माटी की सोनाक्षी सिन्हा नजर आयेंगी. हालांकि अभी तक कुछ भी तय नहीं हुआ है. उन्होंने यह भी कि आदिवासी का किरदार यहां के आदिवासी ही निभायेंगे. दृश्य के मुताबिक आइटम नंबर भी हो सकते हैं.
मुजरिम का होगा हृदय परिवर्तन
उन्होंने कहा कि घाटशिला के शिला-शिला में पन्ना, यूरेनियम, तांबा जैसे कीमती पदार्थ हैं तो घाट-घाट में जुल्म भी है. फिल्म प्लॉट के लिए उन्हें यह बात भा गयी. फिल्म मुजरिम को खत्म नहीं करेगी, बल्कि हृदय परिवर्तन कर उसे समाज की मुख्यधारा से जोड़ेगी. नक्सली को अच्छा इंसान बना देगी. घाटशिला और आसपास के इलाके में ही इसकी शूटिंग होगी. जो बारिश के बाद शुरू हो जायेगी.
जेल में कान्हू से हुई भेंट
वे कान्हू से जेल में मिल भी चुके हैं. उनकी कद-काठी बिल्कुल आम आदमी की तरह है. उन्होंने कान्हू से सवाल भी किये, तुम कभी रोये, रोये तो कब रोये? घाटशिला की कहानी केवल खून से नहीं, आंसुआें से भी लिखी गयी. यह बात फिल्म में आयेगी. उन्होंने कान्हू से कहा कि उनके अंदर जो आग है उसे जिंदा रखो. लेकिन इस आग से किसी की झोपड़ी न जले, मंदिर का चिराग जल उठे इसका ख्याल रहे. उन्होंने कहा कि फिल्म के लिए जब घाटशिला का नाम रजिस्टर्ड कराया, तो मुंबई के लोगों ने कहा कि यह तो घायल और घातक जैसा नाम है.
मुख्य भूमिका में जॉन अब्राहम, सोनाक्षी सिन्हा व कान्हू के किरदार में नवाजुद्दीन आ सकते हैं नजर
बॉक्स दारा शिकोह के ख्वाब को पूरा करना है
डॉ इकबाल दुर्रानी इन दिनों वेद को लेकर सुर्खियों में हैं. उन्होंने वेदों का उर्दू में अनुवाद किया है. उन्होंने कहा कि 1512 ई में दारा शिकोह वेद को उर्दू में अनुवाद करना चाहते थे, लेकिन औरंगजेब ने उनका सर कलम कर दिया. दारा शिकोह जो नहीं कर सके, उस ख्वाब को डॉ दुर्रानी पूरा कर रहे हैं. उन्होंने कहा कि वह काल अलग था. यह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का समय है. इसलिए वे इसे पूरा कर पा रहे हैं.
दुआओं की शक्ल में है सामवेद
उन्होंने कहा कि अनुवाद के लिए पहले संस्कृत सीखी. वेदों का अध्ययन किया. उसके बाद अनुवाद शुरू हुआ. उन्होंने कहा कि सामवेद दुआओं की शक्ल में है, दिल के करीब है. उन्हें फिल्मों के लिए इस काम के लिए जाना जायेगा. दीवारों पर उनका कद ऊंचा हो जायेगा. वह काम करना है जो मरने के बाद भी उन्हें जिंदा रखे. उन्होंने कहा कि लोग धर्म मानते हैं, जानते नहीं. जाने बगैर अपने धर्म से प्यार और दूसरे धर्म से नफरत करते हैं. ऐसा नहीं होना चाहिए.