नयी दिल्ली/लखनऊ : अयोध्या में राम मंदिर निर्माण ट्रस्ट पर घमसान शुरू हो गया है. श्रीराम मंदिर तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट में पुराने लोगों को शामिल नहीं किये जाने से राम जन्मभूमि से जुड़े कई महंत नाराज हैं. दिगंबर अखाड़े के महंत सुरेश दास ने कहा है कि सरकार ने संतों का अपमान किया है. नृत्य गोपाल दास को जगह नहीं दिये जाने पर तर्क यह दिया जा रहा है कि वह मस्जिद ढहाने के केस में आरोपी हैं.
उम्मीद है कि मार्च में मामला खत्म हो जाने के बाद गोपाल दास को नये ट्रस्ट में शामिल कर लिया जायेगा. इस बीच, श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के न्यासी स्वामी गोविंद देवगिरि महाराज ने कहा कि अयोध्या में राम मंदिर का निर्माण अप्रैल में या तो राम नवमी या अक्षय तृतीया को प्रारंभ होगा. हालांकि सटीक तिथि ट्रस्ट की पहली बैठक में तय होगी. वहीं, केंद्र ने राम मंदिर निर्माण के लिए एक रुपया का चंदा दिया है. यह ट्रस्ट को मिला पहला दान है. केंद्र सरकार की तरफ से गृह मंत्रालय में अंडर सेक्रेटरी डी मुर्मू ने यह चंदा दिया.
अधिकारी ने बताया कि ट्रस्ट अचल संपत्ति समेत, बिना किसी शर्त के किसी भी व्यक्ति से किसी भी रूप में दान, अनुदान ले सकता है. ट्रस्टी की लिस्ट में नाम न होने से नाराज श्रीराम जन्मभूमि न्यास के अध्यक्ष नृत्य गोपाल दास मान गये हैं. नृत्य गोपाल दास से गृहमंत्री अमित शाह ने फोन पर बात कर उन्हें मनाने की कोशिश की और बताया जा रहा है कि यह कोशिश सफल हुई है.
ट्रस्ट में मेरा नाम नहीं होने का दुख नहीं : वेदांती
राम जन्मभूमि न्यास के उपाध्यक्ष राम विलास वेदांती ने कहा है कि राम जन्मभूमि ट्रस्ट के घोषित नामों में उनका नाम नहीं होने का उन्हें कोई दुख नहीं है, बल्कि ट्रस्ट घोषित होने की खुशी है. सरकार चाहे, तो मंदिर की नींव के अंदर मेरे शरीर- मेरी लाश को लगा दे, लेकिन भव्य राम मंदिर का निर्माण होना चाहिए. वेदांती ने कहा कि हमें के पारासरन को ट्रस्ट का अध्यक्ष बनाये जाने एवं जगद्गुरु शंकराचार्य स्वामी वासुदेवानंद जी, स्वामी परमानंद जी महाराज को ट्रस्ट में शामिल किये जाने की खुशी है.
दिल्ली चुनाव से पहले राम मंदिर ट्रस्ट का एलान राजनीति : शिवसेना
शिवसेना ने ‘सामना’ के जरिये पीएम पर निशाना साधा है. संपादकीय में शिवसेना ने गुरुवार को लिखा दिल्ली चुनाव से पहले मंदिर निर्माण के ट्रस्ट का एलान करना राजनीति से प्रेरित है. मोदी ने दिल्ली विधानसभा चुनाव से चार दिन पहले ‘जय श्रीराम’ का नारा दिया. श्रीराम की मदद से अगर दो-चार सीटें बढ़ गयीं, तो खुश होंगे. उम्मीद थी कि राम मंदिर के मुद्दे पर राजनीति नहीं की जायेगी, लेकिन दिल्ली विधानसभा चुनाव से ठीक पहले इसकी नींव रख दी गयी है.