जिला समाहरणालय में ग्राम एवं ब्लॉकस्तर पर शिशु सुरक्षा को लेकर कार्यशाला में सामने आया तथ्य
जलपाईगुड़ी : इन दिनों चाय बागानों के अलावा गांव और शहरों में किशोर उम्र के लड़के लड़कियों के विभिन्न कारणों से घर छोड़कर भागने और मानव तस्करों के चंगुल में फंसने की घटनाये हो रही हैं. इसके पीछे मुख्य रुप से बदलते सामाजिक मूल्यबोध हैं जिसके चलते ये बच्चे घर छोड़कर भाग जाते हैं और इस तरह से मानव तस्करों के चंगुल में फंस जाते हैं. इससे बाल सुरक्षा का मसला अत्यंत संवेदनशील हो जाता है.
गुरुवार को जलपाईगुड़ी जिला समाहरणालय में आयोजित कार्यशाला में उक्त बातें सामने आयीं. वक्ताओं के अनुसार संयुक्त परिवार के टूटने से भी ये समस्यायें बढ़ी हैं. उल्लेखनीय है कि बालन सुरक्षा कमेटियों की कोशिशों से जिले के विभिन्न अंचलों से लापता बच्चों को सुरक्षित लाया गया है.
जानकारी अनुसार ग्राम पंचायत स्तर पर प्रधान और ब्लॉक स्तर पर पंचायत समिति के सभापति को बाल सुरक्षा कमेटियों के चेयरपरसन मनोनीत किया गया है. इस बीच सात ब्लॉकों और ग्राम सभा स्तर पर 80 ग्राम पंचायतों के कुल एक हजार 347 ग्राम स्तर पर बाल सुरक्षा कमेटियां गठित की गयी हैं.
जिला परिषद के पूर्व सदस्य मिन्टू राय ने बताया कि बाल सुरक्षा कमेटी के माध्यम से असम से क्रांति के राजारडांगा से एक लाख रुपये पर बिक्री की गयी किशोरी को बचाया गया है. मयनागुड़ी के साप्टीबाड़ी में घर से भागी तीन बहनों को भी पिछले साल घरवापसी की गयी. इन दोनों मामलों में बच्चों को सुरक्षित जगह पहुंचाया गया है.
वहीं, मयनागुड़ी पंचायत समिति के सभापति और ब्लॉक बाल सुरक्षा कमेटी के अध्यक्ष शिवम राय ने बताया कि ऐसे बच्चों के बारे में उनके अभिभावक जानकारी नहीं देते. हमने अपने नेटवर्क के जरिये खोजखबर लेकर इन्हें बचाने का काम किया है. मेटेलीहाट पंचायत की प्रधान शांति मुंडा ने बताया कि चाय बागानों में अभावग्रस्त परिवार के नाबालिग बच्चों को काम के लिये अभिभावक चुपचाप बाहर भेज रहे हैं. बाद में जब संकट आता है तो हमें खबर देते हैं.
जिला बाल कल्याण कमेटी की अध्यक्ष बेबी उपाध्याय और जलपाईगुड़ी महिला थाना की ओसी उपासना गुरुंग ने बताया कि जागरुकता प्रचार के बाद हमने मानव तस्करी, बाल विवाह और अनाथ अवस्था में ऐसे बच्चों को बचाकर सुरक्षित स्थान पर भेजने का काम कर रहे हैं. जिला समाज कल्याण अधिकारी दीनबंधु साहा ने बताया कि दत्तक लेने के नियमों के अलावा मानव तस्करी की रोकथाम के लिये सतर्कता जरूरी है.
जिला बाल सुरक्षा यूनिट के अधिकारी सुदीप भद्र ने बताया कि पंचायत प्रधानों को अपने इलाके के आसपास भी अगर कोई घटना होती है तो इसकी जानकारीर संबंधित कमेटी को देनी चाहिये. डिप्टी मजिस्ट्रेट सोमनाथ चटर्जी ने बताया कि नाबालिग बच्चों की समस्याओं के बारे में ग्राम पंचायत स्तर से ही निगरानी रखी जा रही है.