रांची/नयी दिल्ली : संसद भवन परिसर में गांधी प्रतिमा के नजदीक झारखंड के सांसद बुधवार को धरने पर बैठे. इस सांसदों के हाथों में तख्ती नजर आ रही थी जिसमें लिखा था- गुदड़ी झारखंड में आदिवासियों का नरसंहार…हाय-हाय कांग्रेस-जेएमएम सरकार. एक अन्य तख्ती में लिखा है-आदिवासियों की हत्यारी…राहुल-हेमंत सरकार… आपको बता दें कि झारखंड के पश्चिम सिंहभूम जिले के गुदड़ी प्रखंड में पत्थलगड़ी मामले को लेकर पिछले दिनों सात लोगों की हत्या कर दी गयी थी.
19 जनवरी को कर दी गयी थी सात लोगों की हत्या : पश्चिमी सिंहभूम के बुरुगुलीकेरा गांव में 19 जनवरी को सात लोगों की हत्या कर दी गयी थी. करीब 19 घंटे के सर्च ऑपरेशन के बाद जंगल से सात लोगों के शव बरामद किये गये थे. मामले में 17 लोगों की गिरफ्तारी भी हुई.
भाजपा सांसदों की टीम : सात लोगों के नरसंहार की जांच कर भाजपा के छह सांसदों की टीम ने अपनी रिपोर्ट पार्टी अध्यक्ष जेपी नड्डा को सौंपी थी. राज्यसभा सांसद समीर उरांव, विधायक नीलकंठ मुंडा के साथ कमेटी के अन्य सदस्यों ने रिपोर्ट में घटना के लिए हेमंत सोरेन की सरकार को जिम्मेवार ठहराया. सांसदों की टीम ने केंद्रीय गृह मंत्री को भी रिपोर्ट सौंपी.
राष्ट्रीय अध्यक्ष ने बनायी थी छह सदस्यीय जांच कमेटी : भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा ने हत्याकांड के लिए सांसद जसवंत सिंह भाभोर, समीर उरांव, भारती पवार, गोमती साय, जोन बार्ला और विधायक नीलकंठ सिंह मुंडा की छह सदस्यीय टीम को हत्याकांड पर रिपोर्ट सौंपने को कहा था. सदस्यों के मुताबिक प्रशासन ने भाजपा प्रतिनिधिमंडल और प्रदेश अध्यक्ष लक्ष्मण गिलुवा की टीम को पहले गांव जाने से रोक दिया, लेकिन बाद में विरोध के बाद उन्हें ग्रामीणों से मिलने की इजाजत दे दी गयी.
हुआ था विवाद : बताया गया कि पत्थलगड़ी समर्थकों ने गांव में ग्रामीणों के साथ बैठक की. बैठक में ग्रामीणों के दो गुटों के बीच विवाद हो गया. विवाद झड़प में बदल गया. लोग एक-दूसरे को मारने पर उतारू हो गये. गुदड़ी पंचायत के बुरुगुलीकेरा में पत्थरगढ़ी को बढ़ावा देने के लिए सुखदेव बुढ़, राणासी बुढ़ समेत गांव के सात-आठ ग्रामीणों ने गुजरात में प्रशिक्षण लिया था. एसआइटी की जांच में इसका खुलासा हुआ. एसआइटी की की जांच में यह बात सामने आयी है कि बुरुगुलीकेरा में हुई वारदात पत्थलगढ़ी से जुड़ी है. मृतक पूर्व उपमुखिया जेम्स बुढ़ पत्थरगढ़ी के विरोध में थे, जबकि सुखदेव बुढ़, राणासी बुढ़ समेत अन्य ग्रामीण समर्थन में थे.