लंदनः ब्रिटेन शुक्रवार की आधी रात को औपचारिक तौर पर यूरोपीय यूनियन (ईयू) से अलग हो गया. इसके साथ ही ईयू सदस्य देशों के साथ उसकी 47 साल पुरानी आर्थिक, राजनीतिक और कानूनी एकजुटता खत्म हो गयी. इसके साथ ही ब्रिटेन 28 देशों के समूह वाले यूरोपीय यूनियन से अलग होने वाला पहला देश बन गया.
ब्रिटेन के प्रधानमंत्री बोरिस जॉनसन ने इसे ऐतिहासिक पल करार दिया. ईयू से अलग होने यानी ब्रेक्जिट पर बोरिस जॉनसन ने कहा कि यह नए युग की शुरुआत है. दरअसल, 28 देशों के इस समूह से अलग होने के लिए वर्ष 2016 में ब्रेक्जिट पर जनमत संग्रह कराया गया था. इस तरह ब्रेक्जिट शुक्रवार को रात 11 बजे अस्तित्व में आया. बता दें कि ब्रक्जिट से पहले ब्रिटेन के प्रधानमंत्री ने राष्ट्र को संबोधित किया.
डाउनिंग स्ट्रीट ने राष्ट्र के नाम जॉनसन के संबोधन का बयान जारी किया. इसमें जॉनसन ने कहा कि यह बदलाव का पल है. सरकार के तौर पर हमारा काम इस देश को एकजुट रखना और इसे आगे ले जाना है. सबसे महत्वपूर्ण चीज यह है कि आज की रात कोई अंत नहीं बल्कि एक नई शुरुआत का समय है.
ईयू प्रमुख ने ब्रिटेन को चेताया
ब्रिटेन ने इस कदम को बेशक खुद के लिए फायदेमंद बताया हो लेकिन यूरोपीय संघ (ईयू) ने इसे लेकर ब्रिटेन को आगाह किया है. ईयू के तीन शीर्ष अधिकारियों ने शुक्रवार को ब्रिटेन को आगाह करते हुए कहा कि यूरोपीय संघ से अलग होने (ब्रेक्जिट) के बाद वह बेहतर लाभ के मौके गंवा देगा.
न्यूज एजेंसी पीटीआई के मुताबिक यूरोपीय संघ आयोग की अध्यक्ष उरसुला वोन डेर लेयन ने कहा कि हम ब्रिटेन के साथ यथासंभव बेहतर संबंध चाहते हैं और अपनी शक्ति के अनुरूप ब्रिटेन के साथ नए संबंधों को सफल बनाएंगे. लेकिन ये एक सदस्य के तौर जितने अच्छे कभी नहीं हो सकते हैं. हमारे अनुभव ने हमें सिखाया है कि ताकत अलगाव में नहीं बल्कि हमारी अनोखी एकता में है.
ईयू ने कहा कि ब्रेक्जिट का तत्काल बदलाव महसूस नहीं होगा क्योंकि इस हफ्ते मंजूर ईयू-ब्रिटेन समझौते में 11 महीने का संक्रमण काल निर्धारित किया गया है. इसके मुताबिक 31 दिसंबर तक ब्रिटेन के लोग ईयू के सदस्य देशों में काम कर सकेंगे और कारोबार आदि कर सकेंगे.
भारत-ब्रिटेन के संबंध
ब्रिटेन अब आधिकारिक रूप से ईयू से बाहर निकल गया है. अब वो ईयू से अलग अपनी नीतियों को निर्धारित कर सकता है, इससे भारत के साथ व्यापार संबंधों को मजबूती मिलेगी. अब ब्रिटेन और यूरोपीय संघ के बीच व्यापार और व्यापारिक परिचालन के मोर्चे पर यथास्थिति कायम रहेगी, लेकिन ब्रिटेन को दुनियाभर में नए करार और भागीदारी के लिए पूरी स्वतंत्रता मिलेगी.