लंदनः भारत के संशोधित नागिरकता कानून (सीएए) के खिलाफ यूरोपीय संसद के सदस्यों (एमईपी) द्वारा पेश संयुक्त प्रस्ताव पर ब्रसेल्स में चर्चा हुई. साथ ही, आज होने वाले मतदान को मार्च सत्र तक के लिए स्थगित कर दिया गया है. यूरोपीय संघ की उपाध्यक्ष और विदेशी मामलों एवं सुरक्षा नीति के लिए संघ की उच्च प्रतिनिधि हेलेना डेल्ली ने चर्चा की शुरुआत की और भारत के साथ यूरोपीय संघ के साथ खुले, ईमानदार और मजबूत रिश्तों के पक्ष में मुखरता से अपने विचार रखे.
उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के 15वें भारत-यूरोपीय संघ शिखर सम्मेलन के लिए मार्च में ब्रसेल्स आने का भी जिक्र किया. डेल्ली ने कहा कि हमारा मानना है कि यह देखना भारत के उच्चतम न्यायालय का काम है कि कानून का अनुपालन संविधान के दायरे में हो और हमें विश्वास है कि देश में पिछले कुछ हफ्तों से जारी तनाव एवं हिंसा को कम करने के लिए न्यायिक प्रक्रिया अपना काम करेगी.
उन्होंने भारत के साथ एक सम्मानित लोकतंत्र और यूरोपीय संघ के मूल्यवान साथी के रूप में वार्ता जारी रखने और उसे बढ़ाने के संदेश के साथ अपनी बात पूरी की.
यूरोपीय संसद में भारतीय मूल के दो सदस्यों दिनेश धमीजा और नीना गिल ने भी संसदीय प्रस्ताव में सीएए और राष्ट्रीय नागरिक पंजी (एनआरसी) को लेकर गलत जानकारी को रेखांकित करते हुए भारत के पक्ष में बात रखी. यूरोपीय संसद में फ्रांस के सदस्य थियरी मारिआनी ने प्रस्ताव पर चर्चा में पाकिस्तान का हाथ होने का संकेत दिया, वहीं बाकियों ने इसे हस्तक्षेप बताते हुए अन्य देश का आंतरिक मामला बताया.
वहीं संसद पाकिस्तान मूल के सदस्य शफक मोहम्मद और ब्रिटेन के जॉन होवार्थ एवं स्कॉट एंसली ने सीएए को एक बेहद भेदभावपूर्ण कानून बताते हुए आरोप लगाया कि यूरोपीय संघ ने भारत की कूटनीतिक लॉबी के सामने घुटने टेक दिए हैं और प्रस्ताव पर मतदान को स्थगित करके मानवाधिकारों की चिंताओं पर व्यापारिक एवं व्यावसायिक हितों को प्राथमिकता दी है.
इसके जवाब में संसद में पोलैंड के सदस्य आर. सी. ने कहा कि आज सही समझ और सम्मान की लॉबी की जीत हुई. यूरोपीय संसद ने घोषणा की कि प्रस्ताव पर मतदान पूर्ण सत्र में मार्च में किया जाएगा. बता दें कि लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने सोमवार को यूरोपीय संसद अध्यक्ष डेविड मारिया सासोली को उक्त प्रस्तावों के संदर्भ में पत्र लिखकर कहा कि एक देश की संसद द्वारा दूसरी संसद के लिए फैसला देना अनुचित है और निहित स्वार्थो के लिए इनका दुरुपयोग हो सकता है.
बिरला ने पत्र में लिखा था कि अंतर संसदीय संघ के सदस्य के नाते हमें दूसरे देशों, विशेष रूप से लोकतांत्रिक देशों की संसद की संप्रभु प्रक्रियाओं का सम्मान रखना चाहिए.