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CAA protests:नोटबंदी में लोग मरे, तो शाहीन बाग में क्यों नहीं ? दिलीप घोष ने कह दी ये बात

कोलकाता : विवादित बयानों को लेकर सुर्खियों में रहे प्रदेश भाजपा के अध्यक्ष दिलीप घोष ने मंगलवार को शाहीन बाग पर दिये अपने बयान से विवाद से घिर गये हैं. कलकत्ता प्रेस क्लब में आयोजित एक कार्यक्रम के दौरान श्री घोष ने शाहीन बाग में चल रहे धरना पर सवाल का जवाब देते हुए कहा […]

कोलकाता : विवादित बयानों को लेकर सुर्खियों में रहे प्रदेश भाजपा के अध्यक्ष दिलीप घोष ने मंगलवार को शाहीन बाग पर दिये अपने बयान से विवाद से घिर गये हैं. कलकत्ता प्रेस क्लब में आयोजित एक कार्यक्रम के दौरान श्री घोष ने शाहीन बाग में चल रहे धरना पर सवाल का जवाब देते हुए कहा : नोटबंदी के दौरान ममता बनर्जी ने कहा था कि लाइन में लगने से 100 लोगों की मौत हो गयी थी. शाहीन बाग को लेकर पूरे देश में चर्चा हो रही है. लोग दिन-रात धरना दे रहे हैं. लोगों का आरोप है कि 500 रुपये के एवज में धरना दे रहे हैं.

उन्होंने कहा कि मेरे मन में यह सवाल है कि नोटबंदी के दौरान लाइन में तीन-चार घंटे खड़े होने से मौत हो जा रही थी और शाहीन बाग में तीन-चार डिग्री तापमान में बच्चे लेकर दिन-रात आंदोलन पर बैठे हैं. वहां तो कोई नहीं मर रहा है? एक-दो लोग तो मर ही सकते हैं? क्या खाये हैं, जो कोई मर भी नहीं रहा है, इतने कष्ट के बावजूद. ममता बनर्जी भी कुछ नहीं बोल रही हैं. इन्हें किस तरह की इनसेंटिव मिल रही है. जेएनयू की चालाकी सामने आ गयी है और शाहरीन बाग की चालाकी भी सामने आ जायेगी.

पार्क सर्कस में चल रहे आंदोलन पर कटाक्ष करते हुए श्री घोष ने कहा : सभी नाटक चल रहा है. यह आम लोगों का आंदोलन नहीं है. स्वाभाविक आंदोलन नहीं है. इसके पीछे पैसे व भारतीय संस्कृति व हित का विरोध करनेवाले लोग शामिल हैं. पीएफआइ द्वारा फंडिंग के मामले पर इडी की रिपोर्ट का जिक्र करते हुए श्री घोष ने कहा : पीएफआइ का चिंताजनक मामला है. कपिल सिब्बल जैसे लोगों का नाम इससे जुड़ गया है. बड़ी मात्रा में इसमें पैसों का लेने-देन हुआ है. अयोध्या आंदोलन के समय भी आंदोलन के दबाने के लिए विदेश से पैसे लिये गये थे. विदशी पैसों की मदद से आंदोलन हो रहे हैं. उन्होंने सवाल किया : देश में केवल चार विश्वविद्यालयों में ही क्यों आंदोलन हो रहे हैं? यदि देश के लोग सीएए नहीं चाहते, तो पूरे देश में आंदोलन होता. अन्य राज्यों में भी होता. इडी ने ये बातें कही है, कोई राजनीतिक दल नहीं कहा है. इसके पीछे साजिश है. उन्होंने कहा कि कानून व्यवस्था बिगाड़ने से कुछ लोगों को लाभ होगा, लेकिन राज्य का लाभ नहीं होगा. आज छात्र-युवा ममता के साथ नहीं हैं. छात्र व युवा समाज मोदी के साथ हैं.

हताश होकर पेंटिंग कर रही हैं ममता : दिलीप
प्रदेश भाजपा के अध्यक्ष व सांसद दिलीप घोष ने मुख्यमंत्री ममता बनर्जी द्वारा सीएए, एनआरसी और एनपीआर के खिलाफ पेंटिंग किये जाने पर कटाक्ष करते हुए कहा : बहुत दिनों के बाद उन्हें पेंटिंग करने का मौका मिला है. जब लोग हताश हो जाते हैं, अकेला हो जाते हैं, तो कोई गिटार बजाता है, कोई गाना गाता है, तो कोई तस्वीर बनाता है. सुश्री बनर्जी का प्रशासनिक कार्यों में मन नहीं लग रहा है. सीएए और एनआरसी का विरोध करते-करते अकेले पड़ गयी हैं. लोग उनके साथ नहीं हैं. सीएए के समर्थन में हमारी सभाओं में लोग उमड़ रहे हैं, लेकिन ममता की सभाओं में लोग नहीं हैं. ममता हताश हो गयी हैं और पूरी तरह से असफल प्रशासक साबित हुई हैं. मुख्यमंत्री ममता बनर्जी द्वारा प्रधानमंत्री को सीएए को लेकर बातचीत के प्रस्ताव देने पर श्री घोष ने कहा : सीएए का कानून संसद में विधेयक पारित होने के बाद बना है. संसद के दोनों सदनों में बहस हुई है, उसके बाद यह कानून बना है और अब फिर वह बातचीत की बात कर रही हैं. विधानसभा में निंदा प्रस्ताव लाया गया. उन्होंने डिवीजन मांगा, लेकिन अध्यक्ष ने अनुमति नहीं दी. प्रजातंत्र का बात करनेवाले ही प्रजातंत्र को नहीं मान रहे हैं. विपक्षी दलों की आवाज दबा रहे हैं.

निष्पक्ष चुनाव होने पर नगरपालिका चुनाव जीतेगी भाजपा
श्री घोष ने कहा कि निष्पक्ष चुनाव होने पर भाजपा नगरपालिका चुनाव जीतेगी. लोकसभा चुनाव में 18 सीटों पर भाजपा को जीत मिली थी. विधानसभा उपचुनाव में तीन सीटें जीतने पर तृणमूल कांग्रेस जश्न मना रही है, लेकिन उपचुनाव ज्यादातर सत्तारूढ़ दल की जीतती है. वोट बैलेट से हो या इवीएम से भाजपा की जीत सुनिश्चित है, क्योंकि अब भाजपा के 18 सांसद हैं. 121 विधानसभा सीटों पर भाजपा को बढ़त मिली थी. यदि चुनाव के दौरान धां‍धली करने की कोशिश की गयी, तो भाजपा इसका करारा जवाब देगी.

शिक्षा व्यवस्था हो गयी है ध्वस्त
कलकत्ता विश्वविद्यालय के दीक्षांत समारोह में राज्यपाल के जाने पर छात्रों द्वारा हंगामा किये जाने पर श्री घोष ने कहा कि राज्य की शिक्षा व्यवस्था पूरी तरह से चौपट हो गयी है. नोबेल पुरस्कार विजेता को डीलिट की उपाधि दी जानेवाली थी. ऐसी स्थिति में छात्रों का प्रदर्शन पूरी तरह से राज्य में अराजकता को दर्शाता है. इस घटना से राज्य की कानून व्यवस्था की पोल खुल गयी है.

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