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सीमापार व्यापार ठप होने से मज़दूरों की रोज़ी-रोटी पर मार

<figure> <img alt="LoC चेक पॉइंट" src="https://c.files.bbci.co.uk/1284E/production/_110645857_15a1b61e-4f3e-4bf3-bda5-db08857d54bf.jpg" height="549" width="976" /> <footer>Getty Images</footer> <figcaption>चकोठी सेक्टर के क्रॉसिंग पॉइंट को पिछले साल भारत ने बंद कर दिया था</figcaption> </figure><p>जम्मू-कश्मीर के पुंछ में चक्कां दा बाग़ में बना सीमापार व्यापार केंद्र जहां पहले दिनभर कारोबारी गतिविधियां चला करती थीं, वहीं आज यहां कोई हलचल नहीं दिखती क्योंकि भारत और […]

<figure> <img alt="LoC चेक पॉइंट" src="https://c.files.bbci.co.uk/1284E/production/_110645857_15a1b61e-4f3e-4bf3-bda5-db08857d54bf.jpg" height="549" width="976" /> <footer>Getty Images</footer> <figcaption>चकोठी सेक्टर के क्रॉसिंग पॉइंट को पिछले साल भारत ने बंद कर दिया था</figcaption> </figure><p>जम्मू-कश्मीर के पुंछ में चक्कां दा बाग़ में बना सीमापार व्यापार केंद्र जहां पहले दिनभर कारोबारी गतिविधियां चला करती थीं, वहीं आज यहां कोई हलचल नहीं दिखती क्योंकि भारत और पाकिस्तान के बीच सीमापार व्यापार (LoC ट्रेड) पर रोक लगाए जाने के बाद से यहां कारोबार ठप पड़ा है.</p><p>पिछले साल अप्रैल में पुलवामा में हुए चमरपंथी हमले के बाद भारत और पाकिस्तान के बीच सीमापार व्यापार बंद कर दिया गया था. इसके कारण पुंछ ज़िले के जो स्थानीय लोग इस व्यापार पर आश्रित थे, वे बुरी तरह प्रभावित हुए हैं.</p><p>भारत-पाकिस्तान के बीच व्यापार के लिए जम्मू क्षेत्र में पुंछ-रावलकोट और कश्मीर घाटी में उड़ी, दो व्यापारिक मार्ग हैं. इन रास्तों से नियंत्रण रेखा (एलओसी) के दोनों तरफ व्यापार चलता था.</p><p>सीमापार होने वाले व्यापार से करीब 400 व्यापारी, दर्जनों मज़दूर और ट्रक वाले जुड़े हुए हैं.</p><p>साल 2008 में, भारत और पाकिस्तान ने पहल करते हुए दोनों देशों के बीच विश्वास बढ़ाने के लिए सीमापर व्यापार की शुरुआत की थी.</p><p>आधिकारिक आंकड़ों के मुताबिक़, 2008 में व्यापार शुरू होने के बाद से चक्कां दा बाग़ से करीब 1,067 करोड़ कीमत के सामान का कारोबार हुआ.</p><p>उड़ी के सलामाबाद व्यापार केंद्र पर साल 2018 में अधिकारियों ने बीबीसी को बताया था कि बीते दस सालों में 5,000 करोड़ का कारोबार हुआ था.</p><figure> <img alt="क्रॉस एलओसी ट्रेड सेंटर" src="https://c.files.bbci.co.uk/11EEE/production/_110645437_e0d3e91c-ee82-4b23-8b47-37e43eac33b1.jpg" height="549" width="976" /> <footer>Majid Jahangir/BBC</footer> </figure><h3>एक सकारात्मक शुरुआत</h3><p>पुंछ की ज़िला आयुक्त राहुल यादव ने बताया कि अगस्त 2019 के बाद से पुंछ-रावलकोट के बीच बस सेवा भी बंद कर दी गई. उन्होंने कहा कि पाकिस्तान ने ये बस सेवा बंद की है.</p><p>जम्मू-कश्मीर के जो परिवार भारत-पाकिस्तान के बीच बंटे हुए हैं उनकी सुविधा के लिए बस सेवा शुरू की गई थी. साल 2005 में श्रीनगर-मुजफ़्फ़राबाद मार्ग और 2006 में पुंछ-रावलकोट मार्ग पर बस सेवा शुरू हुई थी.</p> <ul> <li><a href="https://www.bbc.com/hindi/international-49279019?xtor=AL-73-%5Bpartner%5D-%5Bprabhatkhabar.com%5D-%5Blink%5D-%5Bhindi%5D-%5Bbizdev%5D-%5Bisapi%5D">कश्मीर पर क्यों मुश्किल है पाकिस्तान की राह</a></li> <li><a href="https://www.bbc.com/hindi/india-49279020?xtor=AL-73-%5Bpartner%5D-%5Bprabhatkhabar.com%5D-%5Blink%5D-%5Bhindi%5D-%5Bbizdev%5D-%5Bisapi%5D">विकास के मोर्चे पर क्या वाक़ई पिछड़ा है जम्मू-कश्मीर?</a></li> </ul><h3>डर का साया और बेरोज़गारी की मार </h3><p>पुंछ का कारोबारी केंद्र नियंत्रण रेखा (एलओसी) से महज़ दो किलोमीटर की दूरी पर है. </p><p>सीमा से सटे इस पुंछ ज़िले में सीमापार से संघर्षविराम उल्लंघन की ख़बरें आती रहती हैं. यहां रहने वाले लोग हमेशा क्रॉस फ़ायरिंग के ख़तरे में जीते हैं.</p><p>कभी-कभी उनके घरों पर मोर्टार शैल आकर गिर जाते हैं और उन्हें कई-कई दिन बंकरों में गुज़ारने पड़ते हैं. </p><p>पाकिस्तान के साथ व्यापार पर रोक लगने के बाद से पुंछ के रहने वाले कारोबारी, मज़दूर और ट्रक वाले या तो बेरोज़गार हैं या उन्होंने अपना बिजनेस ही बदल लिया है.</p><p>सीमापार व्यापार संध के महासचिव राजीव टंडन ने बीबीसी को बताया कि व्यापार से जुड़े सभी लोग इससे प्रभावित हुए हैं.</p><figure> <img alt="सीमापार व्यापार संध के महासचिव राजीव टंडन" src="https://c.files.bbci.co.uk/3876/production/_110645441_874734ae-14b8-498c-adda-f57f05855481.jpg" height="549" width="976" /> <footer>Majid Jahangir/BBC</footer> <figcaption>सीमापार व्यापार संध के महासचिव राजीव टंडन</figcaption> </figure><p>राजीव टंडन ने कहा, &quot;100 के करीब व्यापारी इस व्यापार से जुड़े थे. व्यापार बंद होने का असर केवल कारोबारियों पर पड़ा है, ऐसा नहीं है. ट्रांसपोर्टर्स और मज़दूर भी इसकी मार झेल रहे हैं. उदाहरण के तौर पर जब कोई ट्रक जम्मू से पुंछ के लिए कुछ सामान लाता है तो अब उसके पास पुंछ से वापस ले जाने के लिए कुछ नहीं होता. सीमापार व्यापार, इन ट्रकों के लिए कमाई का एक बेहद अहम जरिया था.&quot;</p><p>&quot;दूसरा है व्यापारी वर्ग, इन पर भी इस सीमापार व्यापार के बंद किए जाने का गंभीर असर पड़ा है. कुछ कारोबारी अन्य बिज़नेस भी करते हैं. लेकिन जो पूरी तरह सिर्फ़ सीमापार व्यापार पर ही निर्भर थे. उन्होंने किराए पर ऑफिस ले रखा था. यहां कई लोग काम करते थे जो बाहर से आए हैं. साथ ही कई लोग वहां कारोबार के लिए भी बाहर से आए हैं. ये लोग किराए के मकान में रहते हैं. व्यापार ठप पड़ने से उन्हें बिना कमाई किराया भरना पड़ रहा है. उनकी हालत बेहद ख़राब है. उनके लिए रोजी-रोटी चलाना मुश्किल हो गया है.&quot;</p><h3>’पैसा नहीं तो जीएसटी कैसे दें'</h3><p>व्यापार के चलते सीमापार रहने वाले लोगों के साथ संबंधों के बारे में पूछने पर राजीव टंडन कहते हैं, &quot;जब दोनों देशों के बीच व्यापार होता था तो दोनों तरफ से एक-दूसरे को तोहफ़े भेजे जाते थे. हमारे बीच भाइयों जैसे संबंध बन गए थे. जब हम उन्हें पाकिस्तानी कहते हैं तो उन्हें बहुत दुख होता. वो कहते हैं कि तुम हमें पाकिस्तानी क्यों कहते हो, हम तुम्हारे भाई हैं. मैं चाहता हूं कि सुरक्षा के साथ समझौता किए बिना सीमापार व्यापार को फिर से शुरू किया जाए.&quot; </p><p>पुंछ के एक स्थानीय कारोबारी 30 साल के मसूद अहमद कहते हैं कि पिछले साल अप्रैल में कारोबार बंद होने से वो बेहद परेशान हैं और एक साल से कुछ नहीं कर रहे हैं.</p><figure> <img alt="मसूद अहमद" src="https://c.files.bbci.co.uk/8696/production/_110645443_b81dcadd-11f2-4d49-ae02-e7d7408e46f7.jpg" height="549" width="976" /> <footer>Majid Jahangir/BBC</footer> <figcaption>मसूद अहमद</figcaption> </figure><p>मसूद अहमद ने बताया, &quot;2014 में मैंने सीमापार कारोबार शुरू किया था और वो अच्छा चल रहा था. अचानक सरकार ने उसे बंद कर दिया. मेरा उस पर बहुत कुछ दांव पर लगा था. जब इसे रोकने की घोषणा हुई तो मैंने पाकिस्तान प्रशासित कश्मीर (पीओके) में 45 लाख का सामान भेजा हुआ था और मुझे वहां से एक भी सामान नहीं मिल सका.&quot;</p><p>वो कहते हैं, &quot;मैंने व्यापार केंद्र पर एक कैंटीन भी खोली थी और उसके लिए एडवांस में एक साल का किराया दे दिया था. तभी व्यापार पर रोक लग गई. अब मैं बहुत बुरे हाल में हूं और मेरा 12 सदस्यों का परिवार बिना कमाई के किसी तरह गुज़ारा कर रहा है. अब सरकार हमसे जीएसटी जमा करने के लिए बोल रही है. जब हमारे पास पैसा ही नहीं है तो जीएसटी कैसे जमा करें. हम मानसिक पीड़ा से गुज़र रहे हैं.&quot;</p><p>पुंछ से एक और व्यापारी मोहम्मद आसिम क़ुरैशी दस साल से सीमापार व्यापार कर रहे थे. वह कहते हैं कि जब इस पर रोक लगी तो उन्हें 25 लाख रुपये का नुक़सान हुआ था.</p><p>उन्होंने बताया, &quot;मैंने उस दिन केले के 10 ट्रक ख़रीदे थे. एक बक्से की कीमत 850 रुपये थी. फिर जब व्यापार बंद हुआ तो मुझे एक बक्सा सिर्फ़ 50 रुपये में बेचना पड़ा.&quot;</p><h3>मज़दूरों की हालत</h3><p>व्यापार पर रोक ने कई मज़दूरों के लिए भी संकट पैदा कर दिया और मजबूरी में उन्हें सस्ती मजदूरी पर काम करना पड़ा.</p><p>पुंछ शहर में एक सीमेंट की दुकान पर मज़दूरी करने वाले ताज मोहम्मद कहते हैं, &quot;जब इस व्यापार की शुरुआत हुई थी, तो मेरे जैसे लोगों को कमाने का एक मौका मिला था. हम उस वक़्त 700 से 800 रुपये रोज कमाते थे. अब, मैं एक सीमेंट की दुक़ान पर काम कर रहा हूं और मुझे 400 से 500 रुपये की देहाड़ी पर काम करना पड़ता है. रोज पुंछ शहर आने में भी काफ़ी खर्चा होता है.&quot;</p><figure> <img alt="ताज मोहम्मद" src="https://c.files.bbci.co.uk/D4B6/production/_110645445_b383a0f2-8e89-48d4-885c-8ad79e4f7e21.jpg" height="549" width="976" /> <footer>MAJID JAHANGIR/BBC</footer> <figcaption>ताज मोहम्मद</figcaption> </figure><p>दोनों देशों के बीच सीमापार व्यापार वस्तु विनिमय प्रणाली पर आधारित था. यानी इसमें सामान के बदले पैसे नहीं बल्कि सामान दिया जाता था.</p><p>इसके लिए 21 सामानों के व्यापार की अनुमति थी. ताजे फल, सब्जियां, मसाले, औषधियां, कढ़ाईदार कपड़े जैसे सामानों का आयात होता था और मेवों, ताज़ा फलों और सब्जियों आदि का निर्यात होता था.</p><h3>गैर-क़ानूनी गतिविधियों का आरोप</h3><p>सुरक्षा एजेंसियां पिछले दस सालों में उड़ी व्यापार केंद्र और चक्कां दा बाग़ व्यापार केंद्र पर नशीले पदार्थ, नकली करंसी और हथियारों के ट्रक पकड़े जाने का दावा करती हैं. उनका कहना है कि पीओके से आने वाले इन ट्रकों का मकसद कश्मीर घाटी में आतंकी गतिविधियां बढ़ाना है.</p><p>अधिकारियों का कहना है कि ‘आतंकी फ़ंडिंग जैसे मामलों में जांच की जा रही है.'</p><p>उपायुक्त पुंछ राहुल यादव कहते हैं, &quot;सीमापार व्यापार पर कुछ समय के लिए रोक लगाई गई है. व्यापार में कुछ विसंगतियां पाई गई हैं और कई संगठनों द्वारा इसके दुरुपयोग का भी पता चला है. राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) आतंकी फंडिग के पक्ष को भी खंगाल रही है.&quot;</p><p>सीमापार व्यापार को निलंबित करते समय गृह मंत्रालय ने अपने आदेश में कहा था, &quot;हथियारों, मादक पदार्थों और मुद्रा के लिए मार्ग के दुरुपयोग को रोकने के लिए एक सख़्त नियामक व्यवस्था बनाने के बाद व्यापार फिर से शुरू किया जाएगा.&quot;</p><p>लेकिन, दस महीनों बाद भी इसके शुरू होने के खास आसार नहीं दिख रहे हैं.</p><figure> <img alt="नज़ीर अहमद" src="https://c.files.bbci.co.uk/16D0E/production/_110645439_8391d027-c7c5-4510-bc1f-edb1ea4c0527.jpg" height="549" width="976" /> <footer>Majid Jahangir/BBC</footer> <figcaption>नज़ीर अहमद</figcaption> </figure><p>मंजाकोट में ट्रक ड्राइवर नज़ीर अहमद ने कहा कि वह इस व्यापार से आठ सालों से जुड़े हैं और इस पर रोक से पहले वह अच्छी कमाई कर रहे थे. </p><p>नज़ीर अहमद कहते हैं, &quot;जब से व्यापार रुका है हम सब परेशान हैं. सीमापार व्यापार के कारण हमें ट्रक लोड करने में कोई दिक्कत नहीं होती थी. यह व्यापार केंद्र पर हमेशा उपलब्ध होता था और उसका किराया भी ठीक ठाक था. अब हम जम्मू में ट्रक लोड करते हैं और उसका किराया 11 हज़ार रुपये हैं. इसके अलावा डीजल का 11,500 रुपये अलग खर्च होता है. मैं जब आठ दिनों के लिए जम्मू में था तो मुझे लोडिंग के लिए बहुत जूझना पड़ा.&quot;</p><p>सिर्फ व्यापारी, ट्रक वाले या मज़दूर ही निराश नहीं हैं बल्कि स्थानीय लोग भी नाखुश हैं. उनका कहना है कि व्यापार केंद्र पर्यटकों के लिए एक आकर्षण बन गया था.</p><p>चक्कां दा बाग़ के पास रहने वाले रियाज़ अहमद कोहली कहते हैं कि व्यापार के कारण ये इलाक़ा पर्यटकों के लिए आकर्षण का केंद्र बन गया था और लोग वहां आते-जाते रहते थे.</p> <ul> <li><a href="https://www.bbc.com/hindi/international-49295191?xtor=AL-73-%5Bpartner%5D-%5Bprabhatkhabar.com%5D-%5Blink%5D-%5Bhindi%5D-%5Bbizdev%5D-%5Bisapi%5D">भारत से व्यापार बंद होने पर ठंडे पड़े इन पाकिस्तानी मज़दूरों के चूल्हे</a></li> <li><a href="https://www.bbc.com/hindi/international-49420641?xtor=AL-73-%5Bpartner%5D-%5Bprabhatkhabar.com%5D-%5Blink%5D-%5Bhindi%5D-%5Bbizdev%5D-%5Bisapi%5D">भारत- पाक नियंत्रण रेखा पर फंसे कश्मीरी वापसी के इंतज़ार में </a></li> </ul><p><strong>(बीबीसी हिन्दी के एंड्रॉएड ऐप के लिए आप </strong><a href="https://play.google.com/store/apps/details?id=uk.co.bbc.hindi">यहां क्लिक</a><strong> कर सकते हैं. आप हमें </strong><a href="https://www.facebook.com/bbchindi">फ़ेसबुक</a><strong>, </strong><a href="https://twitter.com/BBCHindi">ट्विटर</a><strong>, </strong><a href="https://www.instagram.com/bbchindi/">इंस्टाग्राम </a><strong>और </strong><a href="https://www.youtube.com/user/bbchindi">यूट्यूब</a><strong>पर फ़ॉलो भी कर सकते हैं.)</strong></p>

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