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मुझे घर में हमेशा एक भय सताता रहता है
सद्गुरुश्री स्वामी आनंद जी Qदुखदायिनी साढ़ेसाती क्या होती है? क्या मैं इसके प्रभाव में हूं? जन्मतिथि-23.03.1995, जन्म का समय-17.07 बजे, जन्म स्थान- गिरिडीह – निर्मल दास, गिरिडीह ज्योतिष शास्त्र में कष्टिका साढ़ेसाती जैसी कोई कोई उपमा प्रचलित रूप से शनि की साढ़ेसाती के लिए प्रयुक्त तो नहीं होती, पर यदि शनि अष्टम या द्वादश भाव […]
सद्गुरुश्री स्वामी आनंद जी
Qदुखदायिनी साढ़ेसाती क्या होती है? क्या मैं इसके प्रभाव में हूं? जन्मतिथि-23.03.1995, जन्म का समय-17.07 बजे, जन्म स्थान- गिरिडीह
– निर्मल दास, गिरिडीह
ज्योतिष शास्त्र में कष्टिका साढ़ेसाती जैसी कोई कोई उपमा प्रचलित रूप से शनि की साढ़ेसाती के लिए प्रयुक्त तो नहीं होती, पर यदि शनि अष्टम या द्वादश भाव में आसीन हों, तो व्यक्ति को अवश्य ही साढ़ेसाती के दरम्यान कई बार जाने-अनजाने में स्वयं निर्मित नकारात्मक कर्मों के फलस्वरूप विकट स्थितियों का सामना करना पड़ता है. शनि की दशा और साढ़ेसाती दरअसल योग्यता में इजाफा करने का काल है, जिसका सही इस्तेमाल जीवन बदल सकता है. यदि कर्म, वचन, विचार और आचरण शुद्ध हों, तो शनि की दशा दुःख नहीं, आनंद का सबब बनती है. आपकी राशि धनु और लग्न सिंह है. हां, आप साढ़ेसाती के द्वितीय चरण के अधीन हैं, पर 24 जनवरी, 2020 को होने वाले शनि के गृह परिवर्तन से आपकी राशि साढ़ेसाती के अंतिम चरण में आ जायेगी. शनि आपकी कुंडली में अपनी ही राशि कुंभ में विराजमान है. यह शनि की उत्तम स्थितियों में से एक है. यह शनि अपनी दशा में सुख और आनंद प्रदान करता है.
Qमंगल दोष, खराब मंगल, अनिष्ट मंगल, कड़ा मंगल, हल्का मंगल, मांगलिक ये सब क्या होता है?
विजय शर्मा, सासाराम
यदि जन्मकुंडली के प्रथम, चतुर्थ, सप्तम, अष्टम व द्वादश भाव में मंगल आसीन हो, तो यह स्थिति मांगलिक बनाती है. इसे ही मंगल दोष कहते हैं. यहां विराजमान मंगल पर किसी क्रूर ग्रह की दृष्टि पड़ रही हो या और मंगल के साथ कोई पापी ग्रह आसीन हो, तो मंगल दोष और उसकी क्रूरता में इजाफा होता है. इसे ही कड़ा मंगल या क्रूर मंगल की उपमा से नवाज़ा जाता है. यदि मंगल किसी शुभ ग्रह के साथ विराजमान है या उस पर शुभ ग्रहों की नजर पड़ रही हो तो उसके दोष में कमी होती है. इसे सौम्य मंगल कहते हैं.
Qनये घर में यदि पति को यौन समस्याएं आ रही हैं, तो क्या इसका कारण वास्तु दोष हो सकता है?
अजय मुंडा, दुमका
हां! इसके सूत्र आपके घर के वास्तु में समाहित हो सकते हैं. अपने घर के उत्तर-पश्चिम कोने का सूक्ष्म विश्लेषण करें. घर का यह कोना आपके मन की आकांक्षाओं, आरजुओं और उमंगों के लिए जिम्मेदार है. यहां किसी भी प्रकार का दोष आपके काम सुख का का बंटाधार कर सकता है. यहां दीवार या छत पर दर्पण या कांच की मौजूदगी, गंदगी, बहुत तीव्र प्रकाश आपकी यौन आकांक्षाओं के पतन का कारक बन सकता है. इसके अलावा दक्षिण-पूर्व कोण का नीचा या दोषपूर्ण होना अथवा वहां कोई गड्ढा होना भी व्यक्तिगत रिश्तों पर चोट पहुंचाता है. यह स्थिति नपुंसक न होकर भी बेमतलब के तनावों को थोप कर नपुंसकता का आभास कराती है.
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