रांची : पश्चिमी सिंहभूम जिले की सीमा पर स्थित गुदड़ी थाना क्षेत्र के बुरुगुलीकेरा गांव में रविवार दोपहर हुए विवाद के बाद सात ग्रामीणों की हत्या कर दी गई थी. इस घटना की जमीनी हकीकत जानने के लिए मौका-ए-वारदात पर जा रहे भाजपा की टीम को कराईकेला थाना के पास पुलिस ने रोक दिया.
क्षेत्र में धारा 144 लागू है जिस कारण भाजपा की टीम को घटनास्थल पर नहीं जाने दिया गया. बाद में भाजपा नेता थाना के सामने ही बीच सड़क पर धरने पर बैठ गए. थोड़ी देर बाद पुलिस ने समझा-बुझाकर धरना समाप्त करवाया. बाद में सभी नेता घटनास्थल की ओर रवाना हो गए.
भाजपा की टीम में गुजरात के सांसद जसवंत मामोर, महाराष्ट्र के सांसद भारती पवार, छत्तीसगढ़ के सांसद कांति साय, राज्यसभा सांसद समीर उरांव, विधायक नीलकंठ मुंडा, भाजपा प्रदेश अध्यक्ष लक्ष्मण गिलुवा, अनुसूचित जनजाति मोर्चा के रवि मुंडा, अशोक बराई, रीता मुंडा शामिल थे.
दरअसल, प्रशासन निषेधाज्ञा का हवाला देकर भाजपा नेताओं को बुरूगुलीकेरा जाने देने से मना कर थी. साथ ही प्रशासन का कहना था कि 26 के बाद इन्हें मृतकों के परिजनों से मिलाने ले जायेंगे. ज्ञात हो कि भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा ने यह सात सदस्यीय टीम का गठन किया है, जिन्हें पीड़ितो से मिलकर अपनी रिपोर्ट केन्द्रीय भाजपा नेतृत्व को सौंपनी है.
गौरतलब है कि बुरुगुलीकेरा की ग्रामसभा में पहले सातों ग्रामीणों की बुरी तरह पिटाई की गयी. जब सभी अधमरा हो गये, तो उन्हें घसीटते हुए करीब दो किमी दूर जंगल में ले जाया गया. वहां सभी के हाथ-पैर बांध कर सिर कलम कर दिया गया. बताया जाता है कि नरसंहार में मारे गये सातों ग्रामीण पत्थलगड़ी विचारधारा के विरोधी थे, जबकि गांव के अधिकांश आबादी पत्थलगड़ी समर्थक है.
बता दें कि, मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने जांच के लिए बनायी गयी एसआइटी टीम से सात दिनों में रिपोर्ट मांगी है. मुख्यमंत्री ने पुलिस से पूछा कि मामला पत्थलगड़ी से जुड़ा है या नहीं. उनको बताया गया है कि घटना के बाद वहां गये पुलिस के जवानों ने गांव में या गांव के बाहर पत्थलगड़ी नहीं देखी थी. लेकिन संभव है कि गांव के दूसरी ओर पत्थलगड़ी की गयी हो, जहां जवान नहीं गये थे. मुख्यमंत्री ने एसआइटी को यह पता करने का निर्देश दिया है कि सामूहिक नरसंहार का कारण पत्थलगड़ी ही है, या किन्हीं अन्य कारण से युवकों की हत्या की गयी है.