वाशिंगटन : अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के खिलाफ ऐतिहासिक महाभियोग की सुनवाई मंगलवार को सीनेट में सत्तारूढ़ रिपब्लिकन पार्टी के सांसदों और विपक्षी डेमोक्रेट सदस्यों में आरोप-प्रत्यारोप के बीच शुरू हुई. मंगलवार को शुरू हुई महाभियोग की कार्यवाही से एक हफ्ते पहले डेमोक्रेट्स के बहुमत वाले निचले सदन में चल रही कार्यवाही को ऊपरी सदन सीनेट भेजने के पक्ष में सांसदों ने मतदान किया था.
सीनेट में कार्यवाही चलाए जाने के पक्ष में 228 सांसदों ने जबकि विपक्ष में 193 सांसदों ने वोट दिया था. महाभियोग को सीनेट भेजे जाने से पहले अमेरिकी प्रतिनिधि सभा की अध्यक्ष नैन्सी पैलोसी ने इसके तहत लगाए गए आरोपों पर हस्ताक्षर किए थे.
सीनेट में रिपब्लिकन पार्टी का बहुमत है. प्रतिनिधि सभा ने सात महाभियोग प्रबंधकों की नियुक्ति भी की है, जो ट्रंप को अमेरिकी राष्ट्रपति पद से हटाने के लिए डेमोक्रेट्स के प्रस्ताव की पैरवी करेंगे. 435 सदस्यीय निचले सदन में डेमोक्रेट्स बहुमत में हैं. सदन में एक राजनीतिक प्रतिद्वंद्वी के खिलाफ जांच करने के लिए यूक्रेन पर दबाव बनाने के मामले में ट्रंप पर गंभीर आरोप लगाते हुए 18 दिसंबर को महाभियोग की प्रक्रिया शुरू की गई.
राष्ट्रपति के वकीलों ने सोमवार को अपने निवेदन में पूरी प्रक्रिया पर सवाल उठाया और अनुरोध किया कि सीनेट को जल्द और एकजुट होकर निंदा करनी चाहिए. उन्होंने मांग की कि जो भी आरोप राष्ट्रपति के खिलाफ लगाए गए हैं वह खारिज होने चाहिए और उन्हें तुरंत आरोपमुक्त घोषित करना चाहिए.
डेमोक्रेट सांसदों ने सीनेट के नेता मिच मैककोनेल पर आरोप लगाया कि वह इस प्रक्रिया के लिए प्रस्तावित नियम लाकर मामले को दबाने की कोशिश कर रहे हैं. रिपब्लिकन मैककोनेल ने कुछ बुनियादी नियम प्रस्तावित किये हैं जिसके तहत पहले चरण में गवाहों और सबूतों पर कुछ कड़े प्रतिबंध लागू होंगे और यह मामला तेजी से आगे बढ़ेगा.
उन्होंने यह भी कहा है कि वह इस नियम को बदलने की डेमोक्रेट सांसदों की कोशिश को तुरंत रोक देंगे. राजनीतिक विश्लेषकों का कहना है कि ट्रंप प्रक्रिया से सफलतापूर्वक बाहर आएंगे क्योंकि सीनेट में रिपब्लिकन पार्टी बहुमत में है. अमेरिका के इतिहास में यह तीसरी बार है जब किसी राष्ट्रपति को सीनेट में महाभियोग कार्रवाई का सामना करना पड़ा है.