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रांची नगर निगम : सिटी मैनेजरों की करतूत पहुंची सीएम तक, नगर आयुक्त को जांच का आदेश

मुख्यमंत्री ने ट्वीट कर कहा : भ्रष्ट अफसर हमें कतई बर्दाश्त नहीं, इन पर कार्रवाई करें रांची : रांची नगर निगम के सिटी मैनेजरों की करतूत मुख्यमंत्री दरबार तक पहुंच गयी है. मैनेजरों की मनमानी व भ्रष्टाचार को लेकर मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने नगर आयुक्त को पूरे मामले की जांच कर रिपोर्ट देने का निर्देश […]

मुख्यमंत्री ने ट्वीट कर कहा : भ्रष्ट अफसर हमें कतई बर्दाश्त नहीं, इन पर कार्रवाई करें
रांची : रांची नगर निगम के सिटी मैनेजरों की करतूत मुख्यमंत्री दरबार तक पहुंच गयी है. मैनेजरों की मनमानी व भ्रष्टाचार को लेकर मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने नगर आयुक्त को पूरे मामले की जांच कर रिपोर्ट देने का निर्देश दिया है.
सोमवार को मुख्यमंत्री ने ट्वीट कर कहा है कि पिछली सरकार की तरह भ्रष्ट अफसर हमें कतई बर्दाश्त नहीं हैं. भ्रष्टाचार में लिप्त अफसरों पर कार्रवाई कर नगर आयुक्त इसकी सूचना हमें दें. मुख्यमंत्री के इस आदेश पर निगम में हड़कंप मचा हुआ है. नगर आयुक्त ने शाखा प्रभारियों से ऐसी फाइलों की मांग की है, जिसमें निगम के अधिकारियों व सिटी मैनेजरों की मिलीभगत से गड़बड़ी हुई है.
ऐसा है निगम में भ्रष्टाचार का मकड़जाल
कमीशन नहीं मिला, तो नहीं होने दिया जेब्रा क्रॉसिंग व स्टॉप लाइन का रंग रोगन : शहर के अधिकतर चौक-चौराहों में बनी जेब्रा क्रॉसिंग व स्टॉप लाइनें मिट गयी हैं. इसके रंग रोगन का कार्य जिस एजेंसी को मिला था, उसे केवल इसलिए रंग रोगन नहीं करने दिया गया, क्योंकि उक्त एजेंसी निगम के एक अधिकारी व सिटी मैनेजरों को कमीशन नहीं दे रही थी.
इसलिए उसे काम नहीं करने दिया गया. दूसरी ओर एजेंसी का एग्रीमेंट रहने के बावजूद निगम के इन अधिकारियों व मैनेजरों ने नये सिरे से टेंडर निकाल दिया. इधर, एजेंसी ने इसकी शिकायत नगर विकास विभाग में की. इसके बाद निगम ने निकाले गये टेंडर को स्थगित कर दिया.
ठेकेदार ने लाखों वसूला, फिर हो गया फरार : ठेकेदार अभय साहू ने 18 लाख की बोली लगाकर मधुकम खादगढ़ा में बने सब्जी मार्केट का ठेका हासिल किया, लेकिन उसने निगम में कोई सिक्यूरिटी मनी जमा नहीं किया. फिर 10 माह तक ठेकेदार ने मार्केट के दुकानदारों से प्रतिदिन वसूली की. आठ माह तक पैसा वसूलने के बाद ठेकेदार फरार हो गया. सिटी मैनेजरों की मिलीभगत से ठेकेदार ने यह काम किया.
पार्किंग राशि की वसूली में घपला : निगम के सिटी मैनेजरों द्वारा काफी लंबे समय तक शहर के पार्किंग स्थलों में पार्किंग शुल्क की वसूली विभागीय रूप से करवायी गयी. आरोप है कि इस पार्किंग शुल्क वसूली अभियान में भी काफी घालमेल हुआ. प्रतिदिन जितनी राशि की वसूली होती थी, उसकी आधी राशि भी निगम में जमा नहीं करायी गयी.
ठेकेदारों को बस सौंप कर की गयी गड़बड़ी : सिटी बसों के परिचालन में भी सिटी मैनेजरों ने खेल किया. सिटी बसों को ड्राइवर को देने का नियम बनाया गया था, लेकिन इसे ठेकेदारों के हवाले कर दिया गया. फिर ठेकेदारों ने ड्राइवरों के माध्यम से इसका परिचालन करवा कर ड्राइवरों से मनमानी राशि की वसूली की. वसूली गयी इस राशि का एक हिस्सा निगम में भी पहुंचा.

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