पटना : राज्य के चार शहरों पटना, भागलपुर, मुजफ्फरपुर और बिहारशरीफ में स्मार्ट सिटी की योजनाएं शुरू होने पर पहले ही दम तोड़ने लगी है. संबंधित अधिकारियों की सुस्ती और काम की लापरवाही के कारण अब स्मार्ट सिटी फंड की करोड़ों की राशि केंद्र को वापस लौटने के करार पर है. भागलपुर के 1300 करोड़, पटना के 2400 करोड़, मुजफ्फरपुर के 1580 करोड़ और बिहारशरीफ के 1517 करोड़ का फंड बीते तीन वर्ष से बैंक खाते में पड़ा हुआ है.
मई से जून के बीच नगर निकाय को योजनाओं को टेंडर फाइनल का काम शुरू कर देना होगा. अगर ऐसा नहीं होता तो स्मार्ट सिटी का फंड लौट जायेगा. शुक्रवार को नगर विकास व आवास विभाग के मंत्री सुरेश शर्मा ने स्मार्ट सिटी को लेकर बैठक की. उन्होंने मुजफ्फरपुर के नगर आयुक्त पर कारण बताओ नोटिस जारी करने के साथ कई निर्देश दिये.
कंस्ल्टेंट कंपनी को दस दिन का समय: विभाग में चली लंबी बैठक में मंत्री केवल मुजफ्फरपुर और भागलपुर के स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट की समीक्षा कर पाये. इस दौरान उन्होंने पाया कि मुजफ्फरपुर में स्मार्ट सिटी को लेकर अब तक एसपीवी का गठन नहीं किया गया है. स्मार्ट सिटी की कंस्ल्टेंट कंपनी श्रेया के पास मैनपावर की कमी है. अभी तक स्मार्ट सिटी का कार्यालय तक नहीं बना है. मंत्री ने नगर आयुक्त के अलावा कंपनी को दस दिनों के भीतर काम की शुरुआत करने और काम नहीं करने पर प्रमंडलीय आयुक्त को कंपनी को हटाने के निर्देश दिये. तत्काल व्यवस्था के तहत नगर निगम व बुडको के अधिकारियों को प्रभार देने का निर्देश दिया गया.
काम के लिए टाइम लाइन
मंत्री ने मुजफ्फरपुर व भागलपुर में स्मार्ट सिटी योजनाओं को टाइम लाइन के तहत वर्क ऑर्डर जारी करने के निर्देश दिये. मुजफ्फरपुर में दो स्मार्ट सिटी रोड के लिए 27 जनवरी तक टेंडर, बुढ़ी गंडक पर पुल बनाने के लिए फरवरी मे डीपीआर बनाने, फरवरी मे स्मार्ट सिटी का ऑफिस बनाने, डिजिटल लाइब्रेरी का प्रस्ताव तैयार करने का निर्देश दिया गया. भागलपुर में कंट्रोल एंड कमांड सेंटर के लिए 20 जनवरी तक वर्क आॅर्डर फाइनल करने, सैंडिस कंपाउंड की योजना को 28 जनवरी तक फाइनल कराने के निर्देश दिये गये.
विभाग में बनेगा अलग सेल
मंत्री ने बैठक में निर्देश दिये कि अब स्मार्ट सिटी योजना की मॉनिटरिंग के लिए विभाग में अलग से सेल बनेगा. प्रत्येक माह मंत्री की अध्यक्षता और सचिव व प्रमंडलीय आयुक्त की उपस्थिति में समीक्षा होगी. पूरे बिहार में एलइडी लगाने वाली इइएसएल कंपनी को सोमवार तक रिपोर्ट करने का निर्देश दिया गया. एडीबी क्षेत्र से बाहर कोई कार्य करने के लिए सभी निकायों को प्रस्ताव देने का निर्देश दिया गया. अब 20 जनवरी को मुख्य सचिव स्तर पर स्मार्ट सिटी की बैठक होगी.
रूकी हुई स्वीकृत योजनाएं पर हो काम : महापौर
पटना : नगर विकास मंत्री के साथ बैठक में पटना नगर निगम की महापौर सीता साहू ने पटना को स्मार्ट बनाने के लिए स्वीकृत योजनाओं पर काम शुरू करने की बात कही. उन्होंने कहा कि योजनाओं का चयन पटना स्मार्ट सिटी लिमिटेड के बोर्ड द्वारा सहमति के उपरांत ही किया गया था. इस सहमति में नगर विकास एवं आवास विभाग बिहार सरकार व शहरी विकास मंत्रालय भारत सरकार के प्रतिनिधि शामिल थे.
इसके बावजूद योजनाओं पर रोक लगाने के लिए क्यों सवाल खड़े किये जा रहे हैं कि इसकी स्वीकृति कंपीटेंट अथॉरिटी से नहीं ली गयी थी. महापौर ने मंत्री से कहा कि कुछ अधिकारी जनता के सपनों को तोड़ना चाहते हैं. योजनाओं के क्रियान्वयन में कोई कठिनाई थी तो उसे सुधार करना चाहिए था. लेकिन जैसे-जैसे पटना स्मार्ट सिटी लिमिटेड के पदाधिकारी बदलते गये वैसे-वैसे स्मार्ट सिटी बोर्ड द्वारा पूर्व में लिये गये निर्णयों को लागू करने में रूचि नहीं दिखा कर एक-एक योजनाओं पर सवाल खड़े कर उसके क्रियान्वयन पर रोक लगाने लगे.
यही कारण है कि अभी एक भी परियोजना मूर्त रूप नहीं ले पायी. उल्लेखनीय है कि पटना को स्मार्ट बनाने के लिए 2776 करोड़ खर्च करने का निर्णय लिया गया था. इसमें जन सुविधा केंद्र बनाने, मंदिरी व बाकरगंज नाला निर्माण, पटना रेलवे स्टेेशन एरिया रिडेवलपमेंट योजना, पटना स्मार्ट रोड नेटवर्क आदि योजनाओं पर रोक लग गयी है. उन्होंने मंत्री से पूर्व स्वीकृत योजनाओं को आरंभ करने का आग्रह किया.