नयी दिल्ली : दिल्ली की एक अदालत ने 2013 में पूर्वी दिल्ली में पांच साल की एक बच्ची से सामूहिक दुष्कर्म के मामले में फैसला सुनाने के लिए 18 जनवरी की तारीख निर्धारित की. अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश नरेश कुमार मल्होत्रा ने फैसला आज नहीं सुनाया. इस मामले में आज फैसला सुनाये जाने की संभावना थी. पूर्वी दिल्ली में 15 अप्रैल 2013 को दो लोगों मनोज शाह और प्रदीप ने पांच वर्षीय लड़की से दुष्कर्म किया था.
आरोपियों ने उसके साथ बर्बरता भी की थी. दोनों आरोपी वर्तमान में न्यायिक हिरासत में हैं. आरोपी मनोज शाह और प्रदीप बच्ची से दुष्कर्म के बाद उसे मरा हुआ समझकर वहीं छोड़कर भाग गये थे. घटना के 40 घंटे बाद 17 अप्रैल 2013 में बच्ची को वहां से निकाला गया. लड़की मनोज के घर में मिली थी. बाद में दिल्ली पुलिस ने मनोज और प्रदीप को बिहार के मुजफ्फरपुर और दरभंगा से गिरफ्तार किया था.
अदालत ने दोनों आरोपियों के खिलाफ नाबालिग से बलात्कार, अप्राकृतिक दुष्कर्म, अपहरण, हत्या की कोशिश, सबूत मिटाने और समान मंशा के साथ उसे रोककर रखने के आरोप तय किये थे. पॉक्सो कानून के तहत भी आरोप लगाये थे, जिसके तहत अधिकतम आजीवन कारावास की सजा हो सकती है. अदालत ने दोनों आरोपियों पर बलात्कार और अप्राकृतिक दुष्कर्म के अपराध के आरोप भी लगाये थे, क्योंकि पुलिस ने अपने आरोप पत्र में इन दो धाराओं को शामिल नहीं किया था.
घटना के बाद राष्ट्रीय राजधानी में आक्रोश फैलने पर तत्कालीन प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने कहा था कि समाज से ऐसी बुराई को दूर करने के लिए एकजुट होकर काम करने की जरूरत है. पुलिस ने कहा था कि बच्ची के अंग से मोमबत्ती के तीन टुकड़े और केश तेल की एक बोतल भी मिली थी. अदालत में गवाही के दौरान डॉक्टरों ने भी इसकी पुष्टि की थी. इस घटना के बाद शहर में इंडिया गेट, पुलिस मुख्यालय और अन्य जगहों पर व्यापक विरोध प्रदर्शन हुआ था. हाथों में तख्तियां लिए हुए लोग एम्स के पास भी जुटे थे जहां लड़की का उपचार हुआ था. उस समय के दिल्ली पुलिस आयुक्त नीरज कुमार को बर्खास्त करने की मांग करते हुए उनका पुतला भी फूंका गया था.